उत्तराखंड के गोविंदघाट से शुरू होती है हेमकुंड साहिब के लिए पैदल यात्रा.
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जोशीमठ : उत्तराखंड की ऊंची पहाडि़यों पर स्थित सिखों के तीर्थ स्थल हेमकुंड साहिब के कपाट शुक्रवार (25 मई) को खुल गए हैं. शुक्रवार को पंच प्यारों की अगुआई में सिख श्रद्धालुओं का जत्था पालकी लेकर हेमकुंड साहिब के लिए रवाना हुआ. हेमकुंड में जब यह जत्था पहुंचा तो वहां करीब पांच हजार श्रद्धालू मौजूद थे. बड़ी संख्या में मौजूद सिख श्रद्धालुओं की उपस्थिति में गुरुद्वारा श्री हेमकुंड साहिब के कपाट खोल दिए गए. इसी के साथ ही वहां स्थित लोकपाल लक्ष्मण मंदिर के भी कपाट खोल दिए गए.
गुरुवार को उत्तराखंड के गोविंदघाट से गुरुग्रंथ साहिब की पालकी को लेकर श्रद्धालू हेमकुंड साहिब के लिए रवाना हुए थे. इसके बाद इस पालकी को हेमकुंड साहिब से पांच किमी पहले बेस शिविर घांघरिया में रोका गया. जहां इसे विश्राम कराया गया. शुक्रवार को बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के साथ पालकी को हेमकुंड साहिब पहुंचाया गया. हेमकुंड साहिब पहुंचे श्रद्धालुओं ने पवित्र सरोवर में स्नान किया और उसके बाद गुरुद्वारे में मत्था टेका. हेमकुंड साहिब में कपाट खुलने के बाद पहली अरदास सुबह 10:20 बजे के करीब शुरू हुई.
बता दें कि श्री हेमकुंड साहिब में भारी बर्फबारी के कारण रास्ते और गुरुद्वारे के आसपास बड़ी मात्रा में बर्फ जमी हुई है. प्रशासन ने पिछले दिनों गुरुद्वारे के लिए रास्ते खोलने में सेना की मदद ली थी. सेना के साथ मिलकर प्रशासन ने रास्ते से करीब दो फीट मोटी बर्फ हटाकर उसके बीच में रास्ता बनाया. मौजूदा समय में हेमकुंड साहिब और उसके आसपास के क्षेत्र में मोटी बर्फ जमी हुई है. हेमकुंड साहिब जाने के लिए घांघरिया के बाद वाले रास्ते पर अलकाकोटी नामक स्थान पर अभी भी 100 मीटर लंबा ग्लेशियर मौजूद है. इसी को काटकर इसके बीच से रास्ता बनाया गया है.
हेमकुंड साहिब और लक्ष्मण लोकपाल मंदिर जाने के लिए यात्रा गोविंदघाट से शुरू होती है. जोशीमठ के आगे बदरीनाथ धाम के रास्ते पर गोविंदघाट पड़ता है. यहां से पैदल यात्रा की शुरुआत होती है. करीब 15 किमी की दुर्गम पैदल यात्रा के बाद श्रद्धालू घांघरिया पहुंचते हैं. इसके बाद वहां विश्राम करने के बाद श्रद्धालू पांच किमी आगे स्थित हेमकुंड साहिब के लिए निकलते हैं.
ये रहा कार्यक्रम :
10:15 बजे पंच प्यारों द्वारा गुरु स्वरूप दरबार साहिब को सचखंड से लाकर सुखासन पर विराजमान किया गया.
10:20 बजे पहली अरदास हुई.
10:30 बजे सुखमनी साहिब का पाठ शुरू हुआ. गुरुद्वारे के ठीक सामने दोनों निशान साहिब के चोले संगतों द्वारा बदले गए.
11:30 से 12.30 बजे तक सबद कीर्तन हुआ.
12:30 बजे से दूसरी अरदास हुई.
12:45 बजे हुक्मनामा का पाठ हुआ.
1:00 बजे संतों का इतिहास सुनाया गया.