हिंडन नदी का इतिहास काफी रोचक है. इस नदी का इतिहास सैकड़ों वर्ष पुराना बताया जाता है. महाभारत काल से लेकर स्वतंत्रता की पहली लड़ाई तक में इस नदी का वर्णन है.
हिंडन नदी उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले में निचले हिमालय क्षेत्र के शिवालिक पर्वतमाला में स्थित शाकंभरी देवी की पहाड़ियों से निकलती है.
हिंडन नदी का उद्गम उत्तर प्रदेश से होता है और उत्तर प्रदेश में ही इसका समापन हो जाता है.
हिंडन नदी यूपी के गौतमबुद्ध नगर जिले के ग्रेटर नोएडा के निकट तिलवाड़ा नामक स्थान पर यमुना नदी में मिल जाती है.
इसे यमुना नदी की सहायक नदी भी कहा जाता है. इसकी लंबाई 400 किलोमीटर और इसका बेसिन क्षेत्र 7083 वर्ग किलोमीटर है.
हिंडन नदी उत्तर प्रदेश के सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, और गौतमबुद्धनगर जिले बसे हुए हैं.
हिंडन नदी का पानी काला है. स्थानीय लोगों का कहना है कि नदी का रंग लाल, हरा, पीला या गहरा काला हो जाता है. इसका एक बड़ा कारण इस नदी में गिरने वाले नाले हैं
महाभारत काल में इस नदी को हरनदी या हरनंदी के नाम से जाना जाता था. इसका उल्लेख हिंदू धर्म ग्रंथों में मिलता है.
महाभारत काल के इतिहास में बागपत के बरनवाल स्थान का वर्णन मिलता है. जहां पांडवों का वध करने के लिए दुर्योधन ने लाक्षागृह का निर्माण कराया था.
यह ऐतिहासिक नदी सन 1857 की प्रथम स्वतंत्रता क्रांति के दौरान हिंडन नदी पर अंग्रेजी हुकूमत और भारतीय क्रांतिकारियों के बीच जंग की भी गवाह रही है. ब्रिटिश सैनिकों और अधिकारियों की कब्रें देखी जा सकती हैं.
हिंडन नदी में अब से वर्ष 1978 में बाढ़ आई थी. तब गाजियाबाद शहर में पुराने बस अड्डे तक बाढ़ का असर देखने को मिला था.