कांवड़ यात्रा के ये हैं 10 नियम

भक्ति का भाव

नियम है कि कांवड़ यात्रा में जो भी व्यक्ति शामिल हो रहा है वो शिवजी की भक्तिभाव से भरा हो तभी ही कांवड़ यात्रा पर निकले. इस दौरान सभी नियमों का पालन करे.

भक्त नशा न करे

कावड़ यात्रा में नशा करना वर्जित है, ऐसे में कोई भी मादक पदार्थ जैसे चरस, गांजा, शराब से भक्त दूर रहें नहीं तो यात्रा मान्य नहीं होगी.

कांवड़ यात्रा के दौरान मांसहार

कावड़ यात्रा में मांसहारी भोजन से दूर रहना चाहिए. केवल और केवल भगवान की आराधना साधना में मन लगाना चाहिए.

कांवड़ भूमि पर न रखें

कावड़ यात्रा में कांवड़ को कतई भूमि पर न रखें. रुकें या दैनिक क्रिया से निवृत्त हों तब किसी पेड़ पर उंची वाली डाल पर कांवड़ को लटकाएं या साथी के कंधे पर रखें.

कावड़ में नदी का ही जल

कांवड़ यात्रा पर निकले भक्त भोलेनाथ के अभिषेक के लिए बहती और पवित्र नदी का जल ही भरे. कुएं या तालाब का जल मान्य नहीं होगा.

पैदल यात्रा

कावड़ यात्रा पैदल करने के बारे में बताया गया है. हालांकि इसके पूर्व व इसके बाद की यात्रा गाड़ी से कर सकते हैं.

लंबी दूरी की यात्रा

कांवड़ यात्रा पहले वर्ष छोटी दूरी की करनी चाहिए ताकि क्षमता पहचान सकें और कांवड़ यात्रा की तपस्या के बारे में आरके शरीर को पता चल सके.

जत्‍थे के साथ ही चलें

एक दूसरे की सुरक्षा का कावड़ियों को ध्‍यान रखना चाहिए और जत्थे के साथ कांवड़ यात्रा करें. साथ-साथ में यात्रा अच्छी होगी.

मुख्य कांवड़ यात्रा

अपने शहर के करीब की नदी से जल लें और पास के प्रमुख शिवमंदिर तक मुख्य कांवड़ यात्रा ले जाएं और भगवान का अभिषेक करें. की जाती है. देश के पांच प्रमुख कांवड़ यात्रा मार्ग- नर्मदा से महाकाल तक गंगाजी से नीलकंठ महादेव तक गंगा से बैजनाथ धाम (बिहार) तक गोदावरी से त्र्यम्बकेशवर तक गंगाजी से केदारेश्वर तक

स्वस्थ्य का ध्यान रखें

कांवड़ यात्रा में स्वास्थ्य का ध्‍यान रखना जरूरी होता है ऐसे में क्षमता अनुसार ही यात्रा तय करें, न ज्यादा दूर हों और न तो पास. खानपान पर विशेष दें, पीने के लिए शुद्ध जल ही लें. रुककर आराम करते रहें.

VIEW ALL

Read Next Story