उप-राष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा, संसद से लेकर पंचायत तक के चुनाव एक साथ होने चाहिएं
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उप-राष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा, संसद से लेकर पंचायत तक के चुनाव एक साथ होने चाहिएं

नायडू ने कृषि क्षेत्र पर सामूहिक रूप से ध्यान देने की जरूरत पर जोर देते हुए कहा कि 130 करोड़ की आबादी वाला भारत आयातित खाद्य सुरक्षा पर निर्भर नहीं रह सकता.

उप-राष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू. (फाइल फोटो)

पणजी: उप-राष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने ‘‘संसद से लेकर पंचायत तक’’ के चुनाव एक साथ कराने की वकालत करते हुए शनिवार (16 दिसंबर) को कहा कि इस पूरी कवायद को एक महीने के भीतर पूरा किया जाना चाहिए. ‘इंडिया आयडियाज कॉन्क्लेव’ 2017 को संबोधित करते हुए नायडू ने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि चुनाव एक साथ कराने की बहुत जरूरत है. यह इस सरकार या उस सरकार की वजह से नही है. ऐसा इसलिए है क्योंकि राजनीतिक पार्टियों के लिए तीन सूत्री कार्यक्रम - चुनाव, चयन और भ्रष्टाचार - एक नियमित गतिविधि बन गया है.’’ उन्होंने कहा कि हमेशा कोई न कोई चुनाव होते रहने के कारण नेता विकास के मुद्दों पर ध्यान केन्द्रित नहीं कर पाते.

इस हफ्ते की शुरुआत में संसद के शीतकालीन सत्र के पहले एक सर्वदलीय बैठक को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा एवं राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने का अपना प्रस्ताव दोहराया था. नायडू ने नेताओं से यह अपील भी की कि वे समुदाय, जाति या धर्म के मुद्दे पर राजनीति से परहेज करें. उप-राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता. पहले जब हमारा पड़ोसी आतंकवादियों को पैसे मुहैया कराकर और उन्हें प्रशिक्षण देकर हमारी अर्थव्यवस्था को अस्थिर करने की कोशिश करता था तो पश्चिमी देशों को हमारा दर्द समझ नहीं आता था.’’ उन्होंने कहा कि भारत पाकिस्तान सहित सभी देशों से दोस्ताना रिश्ते चाहता है.

नायडू ने कहा, ‘‘लेकिन हम अपने देश के अंदरूनी मामलों में दखल देने और तनाव पैदा करने की इजाजत किसी देश को नहीं दे सकते. जब सीमा पर तनाव हो तो हम विकास पर कैसे ध्यान दे सकते हैं ?’’ इस बीच, नायडू ने कृषि क्षेत्र पर सामूहिक रूप से ध्यान देने की जरूरत पर जोर देते हुए कहा कि 130 करोड़ की आबादी वाला भारत आयातित खाद्य सुरक्षा पर निर्भर नहीं रह सकता. नायडू ने कहा, ‘‘मुझे उम्मीद है कि केंद्र, राज्यों एवं समाज को एक साथ मिलकर कृषि पर ज्यादा से ज्यादा ध्यान देना चाहिए, क्योंकि 130 करोड़ की आबादी वाला भारत आयातित खाद्य सुरक्षा पर निर्भर नहीं रह सकता.’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम (कृषि उत्पाद) का कुछ वक्त के लिए निर्यात कर सकते हैं, लेकिन आबादी बढ़ रही है.’’ 

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