जानिए क्या फर्क है राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति की चुनाव प्रक्रियाओं में
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जानिए क्या फर्क है राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति की चुनाव प्रक्रियाओं में

उपराष्ट्रपति पद के लिए वोटिंग 5 अगस्त को होनी है. एनडीए और यूपीए ने अपने-अपने उम्मीदवार घोषित कर रही हैं. यूपीए ने पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल गोपालकृष्ण गांधी और एनडीए ने सीनियर बीजेपी लीडर और केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू को मैदान में उतारा है. सोमवार (17 जुलाई) को राष्ट्रपति पद के लिए भी वोटिंग हुई है. उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव प्रक्रिया थोड़ी अलग होती है.  आइए जानते हैं कि देश के उपराष्ट्रपति का चुनाव कैसे होता है : -  

उपराष्ट्रपति पद के लिए वोटिंग 5 अगस्त को होनी है. (file)

नई दिल्ली : उपराष्ट्रपति पद के लिए वोटिंग 5 अगस्त को होनी है. एनडीए और यूपीए ने अपने-अपने उम्मीदवार घोषित कर रही हैं. यूपीए ने पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल गोपालकृष्ण गांधी और एनडीए ने सीनियर बीजेपी लीडर और केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू को मैदान में उतारा है. सोमवार (17 जुलाई) को राष्ट्रपति पद के लिए भी वोटिंग हुई है. उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव प्रक्रिया थोड़ी अलग होती है.  आइए जानते हैं कि देश के उपराष्ट्रपति का चुनाव कैसे होता है : -  

उपराष्ट्रपति का चुनाव एक निर्वाचक मंडल करता है

उपराष्ट्रपति का चुनाव परोक्ष होता है.उपराष्ट्रपति का चुनाव निर्वाचक मंडल यानी इलेक्टोरल कॉलेज करता है. इलेक्टोरल कॉलेज में राज्यसभा और लोकसभा के सांसद शामिल होते हैं. 

कैसे अलग होता है राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव 

दोनों चुनाव प्रक्रिया के बीच पहला बड़ा फर्क यह है कि राष्ट्रपति चुनाव में संसदों के साथ ही विधायक भी चुनाव करते हैं लेकिन उपराष्ट्रपति चुनाव में सिर्फ लोकसभा और राज्यसभा के सांसद ही वोट डाल सकते हैं. दूसरा फर्क यह है कि संसद के दोनों सदनों के लिए मनोनीत सांसद राष्ट्रपति चुनाव में वोट नहीं डाल सकते. वहीं उपराष्ट्रपति चुनाव में दोनों सदनों के मनोनित सदस्य भी वोटिंग में हिस्सा ले सकते हैं.

उम्मीदवार को जमा करानी होती है 15,000 रुपए की जमानत राशि

उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव लड़ने जा रहे उम्मीदवार का नाम 20 मतदाताओं के द्वारा प्रस्तावित और 20 मतदाताओं के द्वारा समर्थित होना जरूरी है. साथ ही आवेदक द्वारा 15,000 रुपए की जमानत राशि जमा करना भी जरूरी है. इसके बाद निर्वाचन अधिकारी नामांकन पत्रों की जांच करता है और योग्य उम्मीदवारों के नाम बैलट में शामिल किए जाते हैं. प्रत्याशी निर्वाचन अधिकारी को लिखित में नोटिस देकर नाम वापस भी ले सकता है. 

उपराष्ट्रपति पद का चुनाव अनुपातिक प्रतिनिधि पद्धति से होता है

उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव अनुपातिक प्रतिनिधि पद्धति से होता है. इसमें वोटिंग खास तरीके से होती है जिसे सिंगल ट्रांसफ़रेबल वोट सिस्टम कहते हैं. चुनाव में वोटर एक ही वोट डाल सकता है लेकिन अपनी पंसद के आधार पर प्राथमिकता तय कर सकता है. वह बैलट पेपर पर मौजूद उम्मीदवारों में अपनी पहली पसंद को 1, दूसरी पसंद को 2 और इसी तरह से आगे की प्राथमिकता देता है.

वेटेज का आधे से अधिक हिस्सा हासिल करने वाला जीत हासिल करता है

-राष्ट्रपति चुनाव की तरह ही उपराष्ट्रपति चुनाव में सबसे ज्यादा वोट हासिल करने से ही जीत तय नहीं होती. उपराष्ट्रपति वही बनता है, जो वोटरों के वोटों के कुल वेटेज का आधे से अधिक हिस्सा हासिल करे.  सबसे पहले देखा जाता है कि सभी उम्मीदवारों को पहली प्राथमिकता वाले कितने वोट मिले हैं. फिर सभी को मिले पहली प्राथमिकता वाले वोटों को जोड़ा जाता है. कुल संख्या को 2 से भाग किया जाता है और भागफल में 1 जोड़ दिया जाता है. इसके बाद जो संख्या मिलती है उसे वह कोटा माना जाता है जो किसी उम्मीदवार को काउंटिंग में बने रहने के लिए ज़रूरी है.

-अगर पहली गिनती में ही कोई कैंडिडेट जीत के लिए ज़रूरी कोटे के बराबर या इससे ज़्यादा वोट हासिल कर लेता है तो उसे  जीता हुआ घोषित कर दिया जाता है. अगर ऐसा न हो पाए तो प्रक्रिया आगे बढ़ाई जाती है. सबसे पहले उस उम्मीदवार को  से बाहर किया जाता है जिसे पहली गिनती में सबसे कम वोट मिले हों. लेकिन उसे पहली प्राथमिकता देने वाले वोटों में यह देखा जाता है कि दूसरी प्राथमिकता किसे दी गई है. फिर दूसरी प्राथमिकता वाले ये वोट अन्य उम्मीदवारों के ख़ाते में ट्रांसफर कर दिए जाते हैं. इन वोटों के मिल जाने से अगर किसी उम्मीदवार के मत कोटे वाली संख्या के बराबर या ज़्यादा हो जाएं तो उस उम्मीदवार को विजयी घोषित कर दिया जाता है.
-अगर दूसरे राउंड के अंत में भी कोई कैंडिडेट न चुना जाए तो प्रक्रिया जारी रहती है. सबसे कम वोट पाने वाले कैंडिडेट को बाहर कर दिया जाता है. उसे पहली प्राथमिकता देने वाले बैलट पेपर्स और उसे दूसरी काउंटिंग के दौरान मिले बैलट पेपर्स की फिर से जांच की जाती है और देखा जाता है कि उनमें अगली प्राथमिकता किसे दी गई है.
-फिर उस प्राथमिकता को संबंधित उम्मीदवारों को ट्रांसफ़र किया जाता है. यह प्रक्रिया जारी रहती है और सबसे कम वोट पाने वाले उम्मीदवारों को तब तक बाहर किया जाता रहेगा जब तक किसी एक उम्मीदवार को मिलने वाले वोटों की संख्या कोटे के बराबर न हो जाए. इलेक्शन हो जाने के बाद वोटों की गिनती होती है और निर्वाचन अधिकारी नतीजे का ऐलान करता है.

कौन बन सकता है उपराष्ट्रपति : 
-उपराष्ट्रपति बनने के लिए एक व्यक्ति में इन बातों का होना जरूरी है.
- वह शख्स भारत का नागरिक होना चाहिए. 
-उसकी आयु 35 साल से कम नहीं होना चाहिए.
-वह राज्यसभा का सदस्य निर्वाचित होने के योग्य हो.   
-अगर कोई भारत सरकार या किसी राज्य की सरकार के अधीन कोई लाभ का पद रखता है तो वह उप राष्ट्रपति चुने जाने के योग्य नहीं होगा. 
-अगर संसद के किसी सदन या राज्य विधानमंडल का कोई सदस्य उपराष्ट्रपति चुन लिया जाता है तो यह समझा जाता है कि उन्होंने उपराष्ट्रपति का पद ग्रहण करते ही अपना पिछला स्थान ख़ाली कर दिया है.

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