वर्ल्ड बैंक के अनुमान के मुताबिक, भ्रष्टाचार की वजह से भारत को हर वर्ष, GDP का 0.5 प्रतिशत नुकसान होता है. जबकि वर्ष 2011 में प्लानिंग कमीशन की इंटरनल रिपोर्ट में कहा गया था, कि भ्रष्टाचार की वजह से देश की GDP को सालाना 1.5 प्रतिशत का नुकसान होता है. भ्रष्टाचार कैसे हमारे देश को दीमक की तरह खा रहा है, इसे समझने के लिए आप इन आंकड़ों को देख सकते हैं.
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नई दिल्ली: वर्ल्ड बैंक के अनुमान के मुताबिक, भ्रष्टाचार की वजह से भारत को हर वर्ष, GDP का 0.5 प्रतिशत नुकसान होता है. जबकि वर्ष 2011 में प्लानिंग कमीशन की इंटरनल रिपोर्ट में कहा गया था, कि भ्रष्टाचार की वजह से देश की GDP को सालाना 1.5 प्रतिशत का नुकसान होता है. भ्रष्टाचार कैसे हमारे देश को दीमक की तरह खा रहा है, इसे समझने के लिए आप इन आंकड़ों को देख सकते हैं.
-भारत शायद दुनिया का पहला ऐसा देश होगा, जहां बर्थ सर्टिफिकेट लेने के लिए भी घूस देनी पड़ती है.
-सरकारी नौकरी के पाने के लिए 1 लाख रूपये, ड्राइविंग लाइसेंस के लिए कम से कम 600 रूपये देने पड़ते हैं
-पासपोर्ट के वेरीफिकेशन और रिन्यूअल के लिए 1 हज़ार रूपये से लेकर 10 हज़ार रूपये तक देने पड़ते हैं .
-बच्चों को स्कूल में एडमिशन दिलाने के लिए भी, 20 हज़ार रूपये से 1 लाख रूपये की घूस देनी पड़ती है .
एक अनुमान के मुताबिक, भारत के शहरी इलाकों में रहने वाले लोग, एक साल में औसतन 26 हज़ार 932 रूपये की घूस देते हैं .
-National Council of Applied Economic Research की वर्ष 2015 की रिपोर्ट कहती है, कि शहरी इलाकों में एक परिवार औसतन एक साल में 4400 रूपये घूस देता है, जबकि ग्रामीण इलाकों में ये आंकड़ा 2900 रूपये का है .
-Global Corruption Barometer 2013 के मुताबिक लोगों का मानना था, कि भारत में सबसे ज़्यादा भ्रष्टाचार राजनीतिक पार्टियों में है. उसके बाद पुलिस, सांसद, विधायक और सरकारी कर्मचारियों का नंबर आता है .
(ज़ी जानकारी से ली गई इनपुट पर आधारित)