अब 'गृहयुद्ध' की बात कहने वाली ममता बनर्जी ने 2005 में बांग्‍लादेशी घुसपैठियों के बारे में क्‍या कहा था?
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अब 'गृहयुद्ध' की बात कहने वाली ममता बनर्जी ने 2005 में बांग्‍लादेशी घुसपैठियों के बारे में क्‍या कहा था?

अब ममता बनर्जी खुद ही सत्‍ता में हैं और राजनीति के जानकारों के मुताबिक उस वोटबैंक को साधने के लिए ही इस वक्‍त 2005 से उलट बात कह रही हैं.

असम की एनआरसी लिस्‍ट जारी होने के बाद ममता बनर्जी ने केंद्र के खिलाफ आक्रामक रुख अपनाया है.(फाइल फोटो)

नई दिल्‍ली: अब असम के नेशनल रजिस्‍टर ऑफ सिटीजन्‍स (एनआरसी) के मुद्दे पर भले ही पश्चिम बंगाल की मुख्‍यमंत्री ममता बनर्जी लगातार हमलावर रुख अपनाए हुए हैं लेकिन 13 साल पहले संसद में बांग्‍लादेशी घुसपैठियों के बारे में उनका नजरिया आज की तुलना में एकदम उलट था. 2005 में ममता बनर्जी विपक्षी सांसद थीं और उन्‍होंने संसद में कहा था, ''बंगाल में घुसपैठ एक भयानक समस्‍या बन चुकी है और यहां की वोटर लिस्‍ट में बांग्‍लादेशियों का नाम है.''

  1. 2005 में लोकसभा में ममता बनर्जी ने बांग्‍लादेशी घुसपैठियों का मुद्दा उठाया
  2. उस वक्‍त इसको बेहद गंभीर समस्‍या बताते हुए सदन में बहस की मांग की
  3. केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने ममता के उस वक्‍तव्‍य को ट्वीट कर आलोचना की

उस वक्‍त इसको बेहद गंभीर मुद्दा बताते हुए इस मसले पर बहस के लिए वह एक प्रस्‍ताव भी लाईं थीं लेकिन उस वक्‍त लोकसभा स्‍पीकर सोमनाथ चटर्जी ने इसको स्‍वीकार नहीं किया था. उल्‍लेखनीय है कि सोमनाथ चटर्जी माकपा के सदस्‍य थे और तब पश्चिम बंगाल में माकपा ही सत्‍ता में थी. इस कारण ममता बनर्जी ने उन पर पक्षपात का आरोप लगाते हुए उनके डिप्‍टी और पीठासीन अधिकारी चरणजीत सिंह अटवाल की तरफ कुछ पेपर भी उछाले थे. उनके इस कदम से हैरान सदन उस वक्‍त स्‍तब्‍ध रह गया जब उन्‍होंने अपनी लोकसभा सीट से इस्‍तीफे की घोषणा कर दी. हालांकि इस्‍तीफा कभी स्‍वीकार इसलिए नहीं हुआ क्‍योंकि वह सही फार्मेट में नहीं लिखा गया था.

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दरअसल इसकी पृष्‍ठभूमि इस बात से भी समझी जा सकती है कि उस वक्‍त बंगाल की राजनीति में माकपा के नेतृत्‍व में लेफ्ट पार्टियां ही सत्‍ता में काबिज थीं और इस तबके को उनका वोटबैंक माना जाता था. इस कारण ही उस वक्‍त ममता बनर्जी ने कथित बांग्‍लादेशी घुसपैठियों का विरोध किया था. लेकिन अब ममता बनर्जी खुद ही सत्‍ता में हैं और राजनीति के जानकारों के मुताबिक उस वोटबैंक को साधने के लिए ही इस वक्‍त 2005 से उलट बात कह रही हैं.

केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने एनआरसी के मुद्दे पर कांग्रेस और ममता बनर्जी पर हमला करने के क्रम में ममता बनर्जी के 2005 में लोकसभा में दिए गए वक्‍तव्‍य को ट्वीट भी किया है. उन्‍होंने 4 अगस्‍त 2005 के उस कोट को पेश किया है, जिसमें ममता बनर्जी ने कहा था, ''बंगाल में घुसपैठ ने भयानक रूप अख्तियार कर लिया है...मैं बांग्‍लादेशी और भारत दोनों की ही वोटर लिस्‍ट में हूं. यह बेहद गंभीर मसला है. मैं यह जानना चाहती हूं कि सदन में इस मुद्दे पर कब बहस होगी?'' इसके साथ ही अपने ब्‍लॉग में अरुण जेटली ने कहा था कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी असम के राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के मुद्दे पर देश की संप्रभुता के साथ खिलवाड़ कर रही हैं.

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''संप्रभुत्ता और नागरिकता भारत की आत्मा है, आयातित वोट बैंक नहीं'': अरुण जेटली
केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने बुधवार को लिखे अपने ब्‍लॉग में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी तथा पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की असम एनआरसी मामले पर भारत की संप्रभुता के साथ खेलने के लिए आलोचना की और कहा कि नागरिक राष्ट्र की आत्मा हैं न कि 'आयातित वोट बैंक'. जेटली ने फेसबुक पोस्ट में राहुल की आलोचना करते हुए कहा है कि असम के एनआरसी मामले में पूर्व प्रधानमंत्रियों इंदिरा गांधी और राजीव गांधी ने जो कहा था, कांग्रेस अध्यक्ष का रुख इसके विपरीत है. उन्होंने कहा कि किसी भी सरकार का प्रमुख कर्तव्‍य अपनी सीमाओं की सुरक्षा करना, किसी भी अपराध को रोकना और देश के नागरिकों का जीवन सकुशल एवं सुरक्षित बनाना होता है.

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जेटली ने फेसबुक पोस्ट में राहुल की आलोचना करते हुए कहा है कि असम के एनआरसी मामले में पूर्व प्रधानमंत्रियों इंदिरा गांधी और राजीव गांधी ने जो कहा था, कांग्रेस अध्यक्ष का रुख इसके विपरीत है. (फाइल फोटो)

जेटली ने कहा, ''यह (कांग्रेस) अब भारत की संप्रभुता के साथ समझौता कर रही है. राहुल गांधी और ममता बनर्जी जैसे नेताओं को यह महसूस करना चाहिए कि संप्रभुता खेलने की चीज नहीं है.'' केंद्रीय मंत्री ने पोस्ट में लिखा है, ''संप्रभुत्ता और नागरिकता भारत की आत्मा है. आयातित वोट बैंक नहीं.'' जेटली के इस पोस्ट का शीर्षक ‘‘राष्ट्रीय नागरिक पंजी बनाम वोट बैंक’’ है. जेटली ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की आलोचना करते हुए कहा है कि वह बांग्लादेशी घुसपैठ पर अपना रूख बदल रही हैं.

भाजपा नेता ने लिखा है, ‘‘हालांकि, श्रीमती इंदिरा गांधी और श्री राजीव गांधी ने विदेशियों को हटाने और उनके निर्वासन के लिए 1972 और 1985 में विशेष रूख अपनाया था और अब राहुल गांधी इसके विपरित रूख अपना रहे हैं और कांग्रेस पार्टी इससे पलट गई है.’’ जेटली ने कहा, ‘‘इसी तरह 2005 में भाजपा की सहयोगी रह चुकी सुश्री ममता बनर्जी ने भी इस पर खास रुख अपनाया था. संघीय मोर्चे के नेता के तौर पर अब वह इसके उलट बात कर रही हैं. क्या भारत की संप्रभुता ऐसे चंचल दिमाग वालों और नाजुक हाथों द्वारा तय की जाएगी.’’

असम के 40 लाख लोगों के नाम एनआरसी के मसौदे में नहीं है. प्रदेश में अवैध प्रवासियों की पहचान के लिए एनआरसी तैयार की जा रही है. एनआरसी का दूसरा मसौदा इस हफ्ते के शुरू में गुवाहाटी में प्रकाशित किया गया था.

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जेटली ने कहा कि क्षेत्र और नागरिक किसी भी संप्रभु देश के दो पहलू हैं. उन्होंने यह भी कहा, ‘‘ऐतिहासिक रूप से दोनों पूर्व प्रधानमंत्रियों, श्रीमती इंदिरा गांधी और श्री राजीव गांधी ने देश से प्रतिबद्धता जताई थी कि 25 मार्च 1971 के बाद के प्रवासियों का पता लगाया जाएगा, उनकी पहचान कर उन्हें निर्वासित किया जाएगा.'' जेटली ने आगे कहा कि 1971 से पहले के कुछ प्रवासी उत्पीड़न के कारण भारत आये थे लेकिन 1971 के बाद के सभी प्रवासियों के मामले में यह बात सही नहीं है क्योंकि उन्होंने अवैध रूप से देश में प्रवेश किया था.

राज्यसभा के सदस्य ने कहा, ‘‘एक तीसरी कैटेगरी है जो न तो नागिरक हैं और न ही शरणार्थी हैं, जो यहां आर्थिक अवसरों के लिए आते हैं. ये लोग अवैध प्रवासी हैं. उनका प्रवेश देश के खिलाफ एक मूक हमला है.’’

तृणमूल कांग्रेस का अरुण जेटली पर पलटवार
ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली पर पलटवार करते हुए कहा कि नागरिकता कोई उपहार नहीं है जिसे दिया या वापस लिए जा सके. तृणमूल नेता डेरेक ओ ब्रायन ने जेटली की आलोचना करते हुए कहा कि संप्रभुता बेशक भारत की आत्मा है, धर्मनिरपेक्षता देश का आंतरिक विवेक है.

उन्होंने एक बयान में कहा, ''एक के बिना दूसरा अर्थहीन है. नागरिकता मूलभूत अधिकार है कोई उपहार या खिलौना नहीं. कृपया इस प्रकार विभाजनकारी खेल मत खेलिए और कृपया आप अपनी सेहत का ध्यान रखें. आपके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करता हूं.’’ वहीं, माकपा ने एनआरसी के मुद्दे पर कहा है कि असम के राष्ट्रीय नागरिक पंजी से जुड़ी सभी शिकायतों की गहनता से जांच होनी चाहिए और किसी भी भारतीय को सूची से बाहर नहीं छोड़ा जाना चाहिए.

(इनपुट: एजेंसी के साथ)

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