जब मंच पर PM मोदी और EX पीएम मनमोहन सिंह का हुआ सामना, जानें फिर क्या हुआ?
Advertisement

जब मंच पर PM मोदी और EX पीएम मनमोहन सिंह का हुआ सामना, जानें फिर क्या हुआ?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह एक ही मंच पर अगल-बगल बैठे दिखे. इस मुलाकात के दौरान पीएम मोदी खुद आगे बढ़े और वरिष्ठ राजनेता का स्वागत किया. 

चुनावी भाषणों में एक दूसरे पर हमलावर रहने वाले पीएम नरेंद्र मोदी और पूर्व पीएम मनमोहन सिंह एक ही मंच पर दिखे. तस्वीर साभार: PTI

नई दिल्ली: हम भारतीय गर्व से कहते हैं हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था दुनिया में सबसे अलग और सबसे बेहतर है. यहां नेताओं के बीच मतभेद होते हैं, विचारों और मुद्दों पर वे एक दूसरे पर हमलावर होत हैं, लेकिन कभी भी मनभेद नहीं होने देते हैं. यही हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था की खूबसूरती है. इसका एक नजारा रविवार को दिल्ली में देखने को मिला. यहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह एक ही मंच पर अगल-बगल बैठे दिखे. इस मुलाकात के दौरान पीएम मोदी खुद आगे बढ़े और वरिष्ठ राजनेता का स्वागत किया. 

  1. उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू की पुस्तक का हुआ विमोचन
  2. पुस्तक में उपराष्ट्रपति ने अपने एक साल के अनुभवों को किया है शेयर
  3. कार्यक्रम में पीएम मोदी और पूर्व पीएम मनमोहन सिंह का हुआ आमना-सामना

इस मुलाकात के दौरान दोनों नेताओं के चहरे पर जिस तरह की मुस्कान दिख रही थी, उसे देखकर तो बस यही कहा जा सकता है लोकतंत्र जिंदाबाद. ये तस्वीर इसलिए भी खास है क्योंकि साल 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान पीएम मोदी ने न जाने कितने भाषणों में मनमोहन सिंह पर निशाना साधा होगा. इसके अलावा उत्तर प्रदेश, गुजरात सहित कई राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान पीएम मोदी ने मनमोहन सिंह की सरकार पर हमले किए हैं. अगले साल एक बार फिर से लोकसभा चुनाव होने हैं ऐसे में यह सिलसिला एक बार फिर से शुरू हो सकता है. इन सबके बावजूद दोनों नेताओं का यूं मुस्कुराते हुए मिलना लोकतंत्र की कामयाबी और खूबसूरती को बयां करती है.

ये भी पढ़ें: पिछले कुछ वर्षों में बढ़ी असहिष्णुता और मॉब लिंचिंग की घटनाएं : मनमोहन सिंह

दरअसल, उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने अपने एक साल के कार्यकाल के अनुभवों को एक पुस्तक में प्रस्तुत किया है. नायडू की लिखी पुस्तक ‘‘मूविंग ऑन मूविंग फॉरवर्ड’’ के विमोचन समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह, लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, पूर्व पीएम एच डी देवगौड़ा, वित्त मंत्री अरूण जेटली और राज्यसभा में कांग्रेस के उपनेता आनंद शर्मा मौजूद रहे. इस मौके पर नेताओं ने अपनी बात रखी.

अनुशासन की बात करने को इन दिनों ‘निरंकुशता’ करार दिया जाता है: मोदी 
इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने व्यवस्था में अनुशासन के महत्व को प्राथमिक बताते हुये कहा है कि इन दिनों अनुशासन को ‘निरंकुशता’ करार दिया जाता है. पीएत ने उपराष्ट्रपति नायडू की अनुशासनप्रिय कार्यशैली का जिक्र करते हुये कहा कि दायित्वों की पूर्ति में सफलता के लिये नियमबद्ध कार्यप्रणाली अनिवार्य है, व्यवस्था और व्यक्ति, दोनों के लिये यह गुण लाभप्रद होता है.

ये भी पढ़ें: क्या आप जानते हैं पहली बार PM मोदी का बैंक अकाउंट कब खुला?

पीएम मोदी ने कहा ‘वैंकेया जी अनुशासन के प्रति बहुत आग्रही हैं और हमारे देश की स्थिति ऐसी है कि अनुशासन को अलोकतांत्रिक कह देना आजकल सरल हो गया है,’ प्रधानमंत्री ने कहा ‘‘अगर कोई अनुशासन का जरा सा भी आग्रह करे तो उसे निरंकुश बता दिया जाता है, लोग इसे कुछ नाम देने के लिये शब्दकोष खोलकर बैठ जाते हैं,’

प्रधानमंत्री ने कहा कि वैंकेया जी की यह पुस्तक बतौर उपराष्ट्रपति उनके अनुभवों का संकलन तो है ही, साथ में इसके माध्यम से उन्होंने इसके माध्यम से एक साल में किये गये अपने काम का हिसाब देश के समक्ष प्रस्तुत किया है, उन्होंने कहा कि नायडू ने उपराष्ट्रपति की संस्था को नया रूप देने का खाका भी इस पुस्तक में खींचा है, जिसकी झलक इसमें साफ दिखती है,

उल्लेखनीय है कि नायडू ने 245 पृष्ठ की इस पुस्तक में पिछले एक साल के अपने अनुभवों को साझा किया है, इसमें 465 तस्वीरों का इस्तेमाल करते हुये उन्होंने पिछले एक साल में देश के 27 राज्यों की यात्रा, विभिन्न शिक्षण संस्थानों के दौरे, विभिन्न सम्मेलन और समारोहों से जुड़े अपने अनुभव पेश किये हैं, 

मनमोहन सिंह ने इन पंक्तियों से की नायडू की तारीफ
अपने संबोधन के दौरान पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने कहा कि- वेंकैया नायडू उपराष्ट्रपति कार्यकाल में अपने राजनीतिक और प्रशासनिक अनुभव को शामिल करते हैं, और यह उनके एक साल के कार्यकाल में काफी हद तक परिलक्षित होता है. मगर सबसे अच्छा अभी भी आने वाला है. किसी कवि ने कहा है कि 'सितारों के आगे जहां और भी हैं, अभी इश्क के इम्तेहां और भी हैं.'

किसी आधार पर भेदभाव राष्ट्रवादी के लिये स्वीकार्य नहीं : नायडू
उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने भारतीय संस्कृति को विश्व संस्कृति बताते हुये कहा है कि सभी के कल्याण और सुख की कामना करने वाली संस्कृति में धर्म, जाति और लिंग या किसी अन्य आधार पर भेदभाव किसी भी राष्ट्रवादी के लिये स्वीकार्य नहीं है, नायडू ने उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति के रूप में एक साल के कार्यकाल के अनुभवों पर आधारित अपनी पुस्तक ‘‘मूविंग ऑन मूविंग फॉरवर्ड’’ के विमोचन समारोह में कहा ‘‘भारतीय संस्कृति विश्व की परम उत्कृष्ट संस्कृति है, इसको कायम रखना चाहिये,’’ उन्होंने कहा ‘वसुधैव कुटुंबकम’ भारतीय दर्शन की आत्मा है और इसमें सबका ख्याल रखने का संदेश निहित है,

Trending news