केंद्र सरकार आंध्र प्रदेश को आर्थिक पैकेज देने की बात तो कह रही थी लेकिन विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग को वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बुधवार को एक प्रेस कांफ्रेंस में दो टूक शब्दों में मना कर दिया.
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आंध्र प्रदेश में सत्तारूढ़ तेलुगु देसम पार्टी(टीडीपी) ने बीजेपी से नाता तोड़ लिया है. लिहाजा मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के मंत्रिमंडल से बीजेपी के दो मंत्रियों ने इस्तीफा दे दिया है. केंद्र सरकार में टीडीपी के दो केंद्रीय मंत्रियों के इस्तीफे की बात कही जा रही है. दरअसल पिछले चार साल से टीडीपी, केंद्र से आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य के दर्जे देने की मांग कर रही थी. इसके बदले में केंद्र सरकार आंध्र प्रदेश को आर्थिक पैकेज देने की बात तो कह रही थी लेकिन विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग को वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बुधवार को एक प्रेस कांफ्रेंस में दो टूक शब्दों में मना कर दिया. इस संदर्भ में यह जानना जरूरी है कि केंद्र सरकार ने ऐसा फैसला क्यों लिया?
विशेष राज्य का दर्जा (स्पेशल स्टेटस)
दरअसल 2014 में जब आंध्र प्रदेश का विभाजन हुआ तो मनमोहन सिंह के नेतृत्व में तत्कालीन यूपीए सरकार ने आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने का वादा किया था. यह वादा इस आधार पर किया गया कि दरअसल तेलंगाना के अस्तित्व में आने के बाद से आंध्र प्रदेश के पास संसाधनों का अभाव हो गया है. सो, उसको स्पेशल स्टेटस का दर्जा दिया जाएगा. लेकिन 2014 में जब बीजेपी के नेतृत्व में एनडीए सरकार सत्ता में आई तो उसने आंध्र प्रदेश को यह दर्जा देने से इनकार करते हुए कहा कि वह इसके बराबर धन दे सकती है लेकिन यह दर्जा नहीं दे सकती.
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वजह
दरअसल उसकी एक बड़ी वजह यह है कि 14वें वित्त आयोग की सिफारिशों के मुताबिक 'स्पेशल स्टेटस' की श्रेणी को खास तौर पर सीमित कर दिया गया. अब यह दर्जा केवल उत्तर-पूर्व और तीन पर्वतीय राज्यों तक ही सीमित है. आयोग की इन अनुशंसाओं को आंध्र प्रदेश के विभाजन के एक साल बाद 2015 में स्वीकार किया गया. नतीजतन नई संवैधानिक व्यवस्था के अनुरूप अब स्पेशल स्टेटस का दर्जा आंध्र प्रदेश को नहीं दिया जा सकता. इसलिए ही बीजेपी ने टीडीपी की मांग को ठुकरा दिया.
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वित्तीय सहायता
इसके एवज में केंद्र ने आंध्र प्रदेश को पांच सालों के लिए विशेष वित्तीय सहायता का ऑफर दिया. केंद्र के मुताबिक यह मदद, विशेष राज्य के दर्जे की मांग के समतुल्य ही है. इसके तहत सभी केंद्र प्रायोजित स्कीमों में 90:10 के तहत वित्तीय सहायता प्रदान करने की बात कही गई. यानी कि इस माध्यम से करीब 21 हजार करोड़ की केंद्रीय वित्तीय सहायता अतिरिक्ति रूप से आंध्र प्रदेश को मिलने का प्रस्ताव दिया गया. लेकिन इसके बावजूद एन चंद्रबाबू नायडू विशेष राज्य के दर्जे की मांग पर अड़े रहे.