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नई दिल्ली : भाकपा ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कहा कि उन्हें यह स्पष्ट करना चाहिए कि परमाणु जवाबदेही मुद्दे पर अमेरिका के साथ समझौता करने में सरकार ने इतनी ‘जल्दबाजी’ क्यों की। इसके साथ ही पार्टी ने कहा कि अमेरिकी परमाणु कंपनियों को दायरे में लाने के लिए प्रस्तावित बीमा ‘पूल’ बनाए जाने से इस मुद्दे पर भारतीय कानून का उल्लंघन होगा।
पार्टी के राष्ट्रीय सचिव डी राजा ने कहा कि अगर इस संबंध में मीडिया में आयी खबरें सही हैं, और अमेरिकी आपूर्तिकताओं की पहचान के लिए सार्वजनिक क्षेत्र की भारतीय कंपनियों द्वारा समर्थित एक बीमा पूल बनाने पर सरकार सहमत हो गयी है, तो इससे 2010 के कानून (परमाणु जवाबदेही) की मूल भावना का उल्लंघन होगा। प्रधानमंत्री को भेजे एक पत्र में राजा ने कहा कि अमेरिकी आपूर्तिकर्ताओं को अंतरराष्ट्रीय बीमा कंपनियों से वाणिज्यिक दरों पर बीमा हासिल करना चाहिए। वे ऐसा करने में नाकाम क्यों हैं? क्या इसलिए कि वे अपनी ही कंपनियों को यह समझाने में असमर्थ हैं कि उनके रिएक्टर उतने ही सुरक्षित हैं जितना वे दावा करते हैं?
उन्होंने सवाल किया कि भारतीय लोगों को भारतीय सार्वजनिक क्षेत्र की किसी कंपनी के जरिए अमेरिकी कंपनियों को बीमा क्यों मुहैया कराना चाहिए। राजा ने इस रिपोर्ट पर चिंता जतायी कि मोदी सरकार अमेरिका की इस मांग पर सहमत हो गयी है कि उनके द्वारा आपूर्ति किए जाने वाले रिएक्टरों के डिजायन में दोष के कारण दुर्घटना की स्थिति में उनकी कंपनियों की जवाबदेही नहीं हो। राजा ने कहा कि भारतीय कानून का प्रयोजन स्पष्ट रूप से आपूर्तिकर्ता पर कुछ जवाबदेही डालना था। इसका अर्थ यह सुनिश्चित करना था कि बहुराष्ट्रीय आपूर्तिकर्ता सुरक्षा मानकों पर पर्याप्त ध्यान देंगे। उन्होंने कहा कि डिजायन में दोष के कारण थ्री माइल आइलैंड, चेर्नोबिल और फुकुशिमा में परमाणु हादसे हुए। उन्होंने कहा कि अमेरिकी कंपनी जीई ने फुकुशिमा दुर्घटना में शामिल मार्क 1 रिएक्टर का डिजायन तैयार किया था।