यशवंत सिन्हा ने की अवगाववादियों से बातचीत की वकालत, सवाल उठाने वालों से पूछा- क्या अटल जी देशद्रोही थे?
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यशवंत सिन्हा ने की अवगाववादियों से बातचीत की वकालत, सवाल उठाने वालों से पूछा- क्या अटल जी देशद्रोही थे?

पूर्व केंद्रीय मंत्री और नौकरशाह यशवंत सिन्हा ने कश्मीर मुद्दे पर अलगाववादियों से बातचीत की वकालत करते हुए कहा कि आज के समय में जब कोई अलगाववादियों से वार्ता करने जाता है तो उसे राष्ट्रद्रोही कहा जाता है.

पूर्व केंद्रीय मंत्री और नौकरशाह यशवंत सिन्हा ने कश्मीर मुद्दे पर अलगाववादियों से बातचीत की वकालत की. (फाइल फोटो)

नई दिल्ली: पूर्व केंद्रीय मंत्री और नौकरशाह यशवंत सिन्हा ने कश्मीर मुद्दे पर अलगाववादियों से बातचीत की वकालत करते हुए कहा कि आज के समय में जब कोई अलगाववादियों से वार्ता करने जाता है तो उसे राष्ट्रद्रोही कहा जाता है.

उन्होंने बुधवार को कहा, 'आज के समय में यदि आप अलगाववादियों से वार्ता की बातचीत करते है तो आपको राष्ट्रद्रोही कहा जाता है. तो क्या इसका मतलब यह है कि अटलजी भी देशद्रोही थे?' 

9 अप्रैल को श्रीनगर लोकसभा उपचुनाव में हुई हिंसा पर यशवंत सिन्हा ने कहा, 'हिंसा बहुत हुई, तो कोई भी अपनी जान खतरे में डाल के वोट करने नहीं आता है.' गौरतलब है कि घाटी में उपचुनाव के दौरान हुई हिंसा में करीब 8 लोगों की मौत हो गई, जबकि कई पुलिसकर्मी घायल हो गए थे.

इससे पहले भी यशवंत सिन्हा ने 18 फरवरी को कश्मीर में 'बिगड़ते हालात' पर चिंता जताई थी और केंद्र सरकार से जम्मू एवं कश्मीर में सभी पक्षों से वार्ता प्रक्रिया शुरू करने को कहा था. सिन्हा ने कहा था, "हम कश्मीर घाटी के बिगड़ते हालात से बेहद चिंतित हैं. हालिया घटनाओं में अनावश्यक ही लोगों की जानें गईं, उसे टाला जा सकता था."

इस संबंध में जारी एक बयान में सिन्हा और 'कन्सर्ड सिटिजन्स ग्रुप' के सदस्यों ने कहा, "जम्मू एवं कश्मीर एक राजनीतिक मुद्दा है और यह राजनीतिक समाधान की मांग करता है।"

सिन्हा ने कहा था, "मौजूदा रक्तपात खत्म होना चाहिए और यह केवल बातचीत के माध्यम से ही संभव है." 

सिन्हा ने दिसंबर 2016 में 'कन्सर्ड सिटिजंस ग्रुप' का नेतृत्व किया था, जिसमें वजाहत हबीबुल्लाह, शुशोभा बार्वे, भारत भूषण तथा सेवानिवृत एयर मार्शल कपिल काक मौजूद थे. इस ग्रुप ने कश्मीर में शांति को लेकर सभी पक्षों से बातचीत की थी.

उन्होंने एक रिपोर्ट भी जारी की थी, जिसमें घाटी में शांति बहाल करने को लेकर सुझाव दिए गए थे. इस दौरे का उद्देश्य कश्मीर में शांति बहाली के तरीके ढूंढना था, जो जुलाई 2016 में आंतकवादी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकवादी बुरहान वानी के सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में मारे जाने के बाद से ही हिंसा की आग में जल रहा है.

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