Year Ender 2017: चीन-पाकिस्तान की सेना से टकराव, कश्मीर में आतंकवाद बना सशस्त्र बलों के लिए चुनौती
Advertisement

Year Ender 2017: चीन-पाकिस्तान की सेना से टकराव, कश्मीर में आतंकवाद बना सशस्त्र बलों के लिए चुनौती

मई में दो जवानों के गला रेत दिये जाने के बाद सेना ने नियंत्रण रेखा के पार पाकिस्तानी चौकियों को तबाह कर दिया.

डोकलाम गतिरोध को बड़ी कुशलता से निबटने पर सेना की भूरि भूरि प्रशंसा हुई. (फाइल फोटो)

नई दिल्ली: चाहे डोकलाम में चीनी सैनिकों के साथ 73 दिनों तक चला गतिरोध हो, कश्मीर में आतंकवाद को काबू में रखना हो या फिर अहम समुद्री मार्गों में जंगी जहाजों की तैनाती हो, भारतीय सशस्त्र बलों ने 2017 में ऐसी राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौतियों से निबटने में अपनी दृढ़ता का परिचय दिया. लेकिन उस पर विवादों का साया भी रहा जिनमें एक कश्मीरी युवक को ‘मानव कवच’ के रुप में इस्तेमाल करना तथा उसे जीप के सामने बांधकर पेश करने वाले युवा सैन्य अधिकारी को पुरस्कार देना शामिल है. इस घटना की निंदा हुई.

  1. डोकलाम में चीनी सैनिकों के साथ 73 दिनों तक चला था गतिरोध.
  2. सितंबर में निर्मला सीतारण भारत की पहली पूर्णकालिक महिला रक्षा मंत्री बनीं.
  3. कश्मीर में पत्थरबाजों के खिलाफ ‘मानव कवच’ बनाने को लेकर हुई सेना की आलोचना.

सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत की यह टिप्पणी कि जो लोग आतंकवाद निरोधक अभियानों में सशस्त्र बलों के लिए बाधा बनेंगे, उन्हें भी आतंकवादी संगठनों से जुड़ा माना जाएगा, भी आलोचना का शिकार बनी. संचालन के मोर्चे पर नौसेना ने अहम समुद्री मार्गों में जंगी जहाजों की आक्रामक तैनाती से जुड़ी नयी ‘मिशन रेडी’ योजना लागू की . उसके बस एक महीने बाद भारत ने चीन के वर्चस्व वाले हिंद-प्रशांत क्षेत्र में साझा हितों को आगे बढ़ाने के लिए जापान, अमेरिका, आस्ट्रेलिया के साथ मिलकर चतुष्कोणीय खंड बनाया.

इस साल की एक अन्य अहम बात सरकार द्वारा बहुप्रतीक्षित उस नीति की घोषणा रही जिसके तहत वैश्विक रक्षा कंपनियों की साझेदारी में भारत में पनडुब्बियों एवं लड़ाकू जेटों जैसे अहम सैन्य साजो-समानों के निर्माण के लिए कुछ कंपनियां चुनी जाएंगी. वैसे इस योजना की घोषणा मई में ही हुई लेकिन उसे अमलीजामा पहनाने की दिशा में जमीनी स्तर पर कुछ ठोस मामला सामने नहीं आया है. सशस्त्र बलों के तीनों अंगों की महत्वाकांक्षी आधुनिकीकरण परियोजना की गति बहुत धीमी रही.

चूंकि सेना ‘संक्षिप्त अवधि के जंगों’ के लिए हथियारों एवं अन्य साजों सामानों की भारी कमी से जूझ रही है, ऐसे में सरकार ने एक अन्य नीतिगत फैसले के तहत सीधे ही अपनी आवश्यक खरीददारी करने के लिए उसे पूर्ण वित्तीय अधिकार दे दिया. साल के प्रारंभ से ही सेना जम्मू कश्मीर में आक्रामक आतंकवाद निरोधक नीति पर चली और साथ ही उसने नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तानी सैनिकों के संघर्षविराम उल्लंघनों का मुंहतोड़ जवाब दिया. मई में दो जवानों के गला रेत दिये जाने के बाद सेना ने नियंत्रण रेखा के पार पाकिस्तानी चौकियों को तबाह कर दिया. हालांकि अप्रैल में जब सेना ने पथराव करने वालों में शामिल एक व्यक्ति को जीप पर बांधकर उसका ‘मानव कवच ’ के रुप में इस्तेमाल किया तो उसे आलोचना भी झेलनी पड़ी. लेकिन उसके बाद भी सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने सेना के इस कृत्य का बचाव किया.

वैसे डोकलाम गतिरोध को बड़ी कुशलता से निबटने पर सेना की भूरि भूरि प्रशंसा हुई. इससे पहले 1980 के दशक में भी ऐसा ही गंभीर गतिरोध हुआ था. सेना ने मिलिट्री पुलिस में महिलाओं को शामिल करने की योजना को सितंबर में अंतिम रुप दिया. वैसे रक्षा मंत्रालय के प्रभारी बदलते रहे. मार्च में मनोहर पर्रिकर के हटने के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली रक्षा मंत्रालय का प्रभार देख रहे थे. सितंबर में निर्मला सीतारण भारत की पहली पूर्णकालिक महिला रक्षा मंत्री बनीं.

Trending news