ZEE जानकारीः अयोध्या विवाद पर प्रमाणिक रिपोर्ट
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ZEE जानकारीः अयोध्या विवाद पर प्रमाणिक रिपोर्ट

आज हमारे पास अयोध्या के विवादित स्थल में खुदाई से प्राप्त हुई कुछ खंडित प्रतिमाओं और वस्तुओँ की भी तस्वीरें हैं . इन प्रतिमाओं को अयोध्या के संग्रहालय में रखा गया है . 

ZEE जानकारीः अयोध्या विवाद पर प्रमाणिक रिपोर्ट

भारत के महान ग्रंथ 'मुंडक उपनिषद' में लिखा है... सत्यमेव जयते... अर्थात् सत्य की ही विजय होती है . सत्य की पवित्रता और महानता को समझाने वाला ऐसा मंत्र दुनिया में किसी और भाषा में नहीं है . सत्यमेव जयते का मतलब है कि सत्य कभी हार नहीं सकता . सत्य को कुछ समय के लिए या लंबे समय के लिए छुपाया जा सकता है . साज़िश करके सत्य को दबाया भी जा सकता है लेकिन आज नहीं तो कल... कभी ना कभी... सत्य सबके सामने आ ही जाता है. कोई भी सत्य को झुठला नहीं सकता है . आज हमारे पास अयोध्या विवाद से जुड़ा हुआ एक ऐसा ही सत्य है . हमारे पास कुछ दुर्लभ तस्वीरें हैं . 

आप सोच रहे होंगे कि इन तस्वीरों की खासियत क्या है ? हम इसका जवाब आपको देंगे, लेकिन उससे पहले आपको इन तस्वीरों की पृष्ठभूमि के बारे में पता होना चाहिए. वर्ष 2003 में Archaeological Survey of India ने अयोध्या में विवादित स्थल पर की गई खुदाई की रिपोर्ट इलाहाबाद हाईकोर्ट को सौंपी थी . ASI के द्वारा की गई इस खुदाई का मकसद था - ये पता लगाना कि क्या विवादित भूमि के नीचे किसी तरह की इमारत का ढांचा मौजूद है ? Archaeological Survey of India की खुदाई में किसी प्राचीन मंदिर के हिस्से जैसे दिखने वाले जो अवशेष मिले थे. वही तस्वीरें आज हमारे पास मौजूद हैं . 

आज हमारे पास अयोध्या के विवादित स्थल में खुदाई से प्राप्त हुई कुछ खंडित प्रतिमाओं और वस्तुओँ की भी तस्वीरें हैं . इन प्रतिमाओं को अयोध्या के संग्रहालय में रखा गया है . उत्तर प्रदेश का संस्कृति मंत्रालय इसकी देखरेख करता है . वर्ष 1989 में शिलान्यास पूजा के दौरान अयोध्या के विवादित स्थल के कुछ हिस्सों में खुदाई हुई थी और उसी दौरान ये मूर्तियां प्राप्त हुई थीं . 

इनमें से एक मूर्ति कुबेर की बताई जाती है . माना जाता है कि ये मूर्ति पहली शताब्दी की है . इसका मतलब ये है कि ये मूर्ति आज से करीब 2 हजार वर्ष पुरानी है  संग्रहालय में उमा महेश्वर की एक प्रतिमा भी मिली है . ये प्रतिमा 11वीं से 12 वीं सदी के बीच की बताई जाती है. यानी ये आज से करीब 900 वर्ष पुरानी प्रतिमा हैं. संग्रहालय में भगवान शिव के वाहन नंदी की प्रतिमा भी मौजूद है . ये प्रतिमा भी पहली शताब्दी की बताई जाती है . इसका मतलब है कि ये भी आज से करीब 2 हज़ार वर्ष पुरानी है . 

इस तरह की और भी कई प्रतिमाएं और निशानियां इस संग्रहालय में मौजूद हैं . Zee News की टीम ने इस संग्रहालय का दौरा करके, अयोध्या के प्राचीन सत्य पर एक स्पेशल रिपोर्ट तैयार की है. ये भगवान राम में आस्था रखने वालों के लिए एक ज़रूरी ख़बर है.

आपने इस रिपोर्ट में एक बात नोट की होगी कि ASI के पूर्व अधिकारी के के मुहम्मद ये मान रहे हैं कि विवादित स्थल पर मंदिरों के अवशेष मिले हैं . वो ये भी मान रहे हैं कि इतिहास में कुछ गलतियां हुई हैं . लेकिन बाबरी मस्जिद के पक्षकार इकबाल अंसारी ये कह रहे हैं कि कभी कोई ऐसी बात नहीं हुई है . वो ये बता रहे हैं कि विवादित स्थल पर मंदिर के अवशेष नहीं मिले हैं . 
यानी ये संघर्ष कट्टर विचारधारा और उदारवादी विचारधारा के बीच है . देश की एकता और अखंडता के लिए इस संघर्ष को दूर करना होगा. 

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