ZEE जानकारीः CBI में चल रहे गृहयुद्ध का विश्लेषण
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ZEE जानकारीः CBI में चल रहे गृहयुद्ध का विश्लेषण

प्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस A. K. पटनायक की अध्यक्षता में हुई ये जांच 10 नवंबर को पूरी की गई थी. और सोमवार को यानी 12 नवंबर को CVC ने सुप्रीम कोर्ट में एक सीलबंद लिफाफे में ये रिपोर्ट जमा की थी. 

ZEE जानकारीः CBI में चल रहे गृहयुद्ध का विश्लेषण

अब हम CBI में चल रहे गृहयुद्ध का विश्लेषण करेंगे. आज पूरे देश की नज़रें सुप्रीम कोर्ट पर लगी हुई थीं, क्योंकि आज सुप्रीम कोर्ट में CBI के डायरेक्टर आलोक वर्मा की याचिका पर सुनवाई होनी थी. इस सुनवाई के बाद अदालत ने कोई फैसला तो नहीं दिया, लेकिन कुछ बड़ी टिप्पणियां ज़रूर की हैं. इसलिए आज सबसे पहले इस सुनवाई का विश्लेषण करना ज़रूरी है. आपको बता दें कि 26 अक्टूबर को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने Central Vigilance Commission यानी CVC को आलोक वर्मा पर लगे आरोपों की जांच करने के लिए कहा था. सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस A. K. पटनायक की अध्यक्षता में हुई ये जांच 10 नवंबर को पूरी की गई थी. और सोमवार को यानी 12 नवंबर को CVC ने सुप्रीम कोर्ट में एक सीलबंद लिफाफे में ये रिपोर्ट जमा की थी. 

इस रिपोर्ट से जो सबसे बड़ी बात निकलकर सामने आई है, वो ये है कि CVC ने अपनी रिपोर्ट में फिलहाल आलोक वर्मा को क्लीन चिट नहीं दी है. क्योंकि CVC की रिपोर्ट को पढ़ने के बाद अदालत ने कहा है कि इस रिपोर्ट में कुछ ऐसी चीज़ें हैं जो आलोक वर्मा के लिए... तारीफ के काबिल नहीं हैं और कुछ ऐसी भी हैं जो बहुत गंभीर हैं. सुप्रीम कोर्ट ने ये भी टिप्पणी की कि कुछ गंभीर आरोपों की जांच करवाए जाने की ज़रूरत है. अदालत ने आलोक वर्मा के वकील को इस रिपोर्ट की कॉपी देने का आदेश दिया. और ये कहा कि जब आलोक वर्मा रिपोर्ट पढ़ने के बाद अपना जवाब देंगे, तो फिर अदालत इस पर सुनवाई करेगी. आलोक वर्मा को सोमवार यानी 19 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब देना है और फिर अगले दिन मंगलवार को इस मामले की सुनवाई होगी. CBI के स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना के वकील की तरफ से भी रिपोर्ट की कॉपी मांगी गई थी, लेकिन अदालत ने ये कॉपी उन्हें देने से इंकार कर दिया. 

इस मामले की सुनवाई के दौरान अदालत की तरफ से बहुत दिलचस्प टिप्पणियां भी की गई हैँ. इनके बारे में आपको बताते हैं. जब अदालत ने आलोक वर्मा के वकील फली नरीमन को CVC की रिपोर्ट की कॉपी सौंपने का आदेश दिया, तो सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी कहा कि उनके पास जांच रिपोर्ट की कॉपी नहीं है. तुषार मेहता CVC की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए थे. इस पर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने पूछा कि आप कौन हैं? इस पर तुषार मेहता ने कहा कि वो CVC की तरफ से मामले की पैरवी कर रहे हैं, तो चीफ जस्टिस ने कहा - कि आप तो इस रिपोर्ट के Author हैं... यानी रिपोर्ट आपने ही तैयार की है, और इसके बावजूद आप ये कह रहे हैं कि आपने ही ये रिपोर्ट नहीं देखी?

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की तरफ से कहा गया कि उन्होंने ये रिपोर्ट नहीं देखी, क्योंकि अदालत ने CVC को Sealed Cover में रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया था. हालांकि बाद में चीफ जस्टिस ने CVC के वकील तुषार मेहता और अटॉर्नी जनरल K. K. वेणुगोपाल को भी रिपोर्ट की कॉपी देने का आदेश दिया. और सभी को रिपोर्ट की गोपनीयता बरकरार रखने को कहा . ताकि CBI की छवि को कोई नुकसान न पहुंचे. इसके बाद CBI के स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना के वकील ने रिपोर्ट की कॉपी मांगी, लेकिन अदालत ने उन्हें देने से इंकार कर दिया. राकेश अस्थाना की तरफ से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए थे. मुकुल रोहतगी की तरफ से कहा गया कि राकेश अस्थाना शिकायतकर्ता हैं, इसलिए उन्हें भी रिपोर्ट की कॉपी मिलनी चाहिए. लेकिन चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा - No Chance, आपको इसकी कॉपी नहीं मिलेगी. 

सुप्रीम कोर्ट में CBI के Deputy एसपी, A. K. बस्सी ने भी अपने ट्रांसफर के खिलाफ याचिका दायर की हुई है. बस्सी की तरफ से उनके वकील राजीव धवन पेश हुए. राजीव धवन ने AK बस्सी के ट्रांसफर पर सवाल उठाए, तो चीफ जस्टिस ने पूछा कि उनका ट्रांसफर कहां हुआ है? इस पर राजीव धवन ने कहा - पोर्ट ब्लेयर. ये सुनकर चीप जस्टिस ने कहा कि पोर्ट ब्लेयर अच्छी जगह है, वहां कुछ दिन और रहिए. वहीं कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे की तरफ से कपिल सिब्बल पेश हुए. खड़गे ने आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेजे जाने के खिलाफ याचिका दायर की हुई है. आज सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल से चीफ जस्टिस ने पूछा कि आप कौन हैं? तो कपिल सिब्बल ने कहा कि वो Mister खड़गे की तरफ से पेश हुए हैं.

इसके पर चीफ जस्टिस ने चुटकी लेते हुए कहा - ओह, विपक्ष के नेता या सबसे बड़ी पार्टी के नेता, हम तो आपको भूल ही गए थे. अदालत के इस Mood को भांपते हुए कपिल सिब्बल ने कहा कि उनके Client की याचिका भी बाद में सुनी जाए. इसके अलावा Common Cause NGO की तरफ से पेश हुए वकील दुष्यंत दवे ने ये दावा किया कि CBI के अंतरिम डायरेक्टर M. नागेश्वर राव ने नीतिगत फैसले लिए हैं. लेकिन वकील दुष्यंत दवे, नागेश्वर राव के कथित फैसलों की कोई लिस्ट अदालत में पेश नहीं कर पाए. आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने नागेश्वर राव द्वारा नीतिगत फैसले लेने पर रोक लगाई हुई है. इसके बाद अदालत ने दुष्यंत दवे से कहा कि - हम ये मानते हैं कि उन्होंने कोई भी बड़ा नीतिगत फैसला नहीं लिया है, क्योंकि आपने फैसलों की कोई लिस्ट पेश नहीं की है. नागेश्वर राव अदालत को पहले से ही 23 से 26 अक्टूबर के बीच लिए गए फैसलों की जानकारी दे चुके हैं. 

और इस पूरे विवाद के बाद एक नया अपडेट ये है कि आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्रियों ने अपने-अपने राज्यों में CBI की छापेमारी और जांच पर रोक लगा दी है . आंध्र प्रदेश सरकार की तरफ से एक अधिसूचना जारी की गई है, जिसके मुताबिक CBI को राज्य में किसी भी तरह की जांच के लिए राज्य सरकार की इजाज़त लेनी होगी. ये एक गोपनीय आदेश था, जिसे आंध्र प्रदेश सरकार की तरफ से 8 नवंबर को जारी किया गया था, लेकिन ये आदेश गुरुवार की रात को लीक हो गया. इस आदेश में कहा गया है कि सरकार ने, CBI को राज्य में क़ानून के तहत शक्तियों के इस्तेमाल के लिए दी गई 'सामान्य रज़ामंदी' यानी General Consent वापस ले ली है. 

दूसरे राज्यों में CBI वहां की सरकारों की आम सहमति के आधार पर ही कार्रवाई कर सकती है.आंध्र प्रदेश की सरकार ने इसी साल अगस्त में CBI को राज्य में कार्रवाई करने के लिए आम सहमति दी थी. लेकिन NDA से अलग होने के बाद राज्य के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू आरोप लगा रहे थे कि केंद्र सरकार, CBI को अपने राजनीतिक विरोधियों को निशाना बनाने के लिए इस्तेमाल कर रही है. फैसले पर चंद्राबाबू नायडू ने दलील दी है कि CBI अब अपनी विश्वसनीयता खो चुकी है. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नायडू के इस कदम का समर्थन किया है. ममता ने कहा है, कि आंध्र प्रदेश में CBI को बैन करके उन्होंने सही काम किया है, क्योंकि CBI को बीजेपी से निर्देश मिल रहे हैं. 

और इसके बाद सूत्र ये बता रहे हैं कि ममता बनर्जी ने भी एक ऐसा ही आदेश पास किया है. जिसके मुताबिक अब कोई भी कोई भी केन्द्रीय जांच एजेंसी बिना पश्चिम बंगाल सरकार की सहमति के राज्य में जांच नहीं कर पाएगी. 

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