ZEE जानकारी: ख़बर के नाम पर पाकिस्तान का एजेंडा चलाने वाली मीडिया!
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ZEE जानकारी: ख़बर के नाम पर पाकिस्तान का एजेंडा चलाने वाली मीडिया!

5 जनवरी) को The Quint ने एक ख़बर छापी, जिसमें दावा किया गया कि कुलभूषण जाधव एक भारतीय जासूस हैं.

ZEE जानकारी: ख़बर के नाम पर पाकिस्तान का एजेंडा चलाने वाली मीडिया!

कश्मीर घाटी के पाकिस्तान परस्त लोगों के बाद हम भारत के उस Media की भी बात करेंगे, जो ख़बर के नाम पर ऐसा एजेंडा चलाता है. जो सीधे पाकिस्तान के पक्ष में जाता है. कुलभूषण जाधव के मुद्दे पर एक ऐसा ही अनैतिक काम किया है.. News Website.. The Quint ने. मीडिया की इस लापरवाह और देशविरोधी भूमिका पर हम सवाल उठाएंगे  लेकिन उससे पहले पाकिस्तान के पेशावर से आई कुछ तस्वीरों का ज़िक्र करना ज़रुरी है. ताकि पाकिस्तान का पक्ष लेने वालों को ये समझ में आ जाए कि पाकिस्तान भारत के बारे में क्या सोचता है. पेशावर में 7 जनवरी को Difa-e-Pakistan Council नामक संगठन ने अमेरिका और भारत विरोधी रैली का आयोजन किया था. ये पाकिस्तान की 40 राजनीतिक और धार्मिक पार्टियों का एक गठबंधन है. जिसके Chief of Council में अध्यक्ष पद की भूमिका में हैं....जमियात उलेमा-ए-इस्लाम के नेता समी-उल-हक़...जबकि इस संस्था का Vice President कोई और नहीं बल्कि आतंकवादी हाफिज़ सईद है. इस रैली का एजेंडा दो मुख्य विषयों पर आधारित था. पहला एजेंडा था...Jerusalem के मुद्दे पर अमेरिका को कोसना. और दूसरा एजेंडा था...भारत के खिलाफ ज़हर उगलना

Donald Trump को कोसने की ज़िम्मेदारी ख़ैबर-पख्तून-ख्वा प्रांत के मुख्यमंत्री परवेज़ खट्टाक जैसे लोगों को सौंपी गई थी. जबकि, भारत के लिए हाफिज़ सईद को Special Invitation भेजा गया था. पाकिस्तान पर अंतर्राष्ट्रीय दबाव की वजह से हाफिज़ सईद, उस रैली में शारीरिक तौर पर मौजूद नहीं था. लेकिन उसकी आवाज़ वहां पर मौजूद थी. और इसके लिए खास इंतज़ाम भी किए गए थे. क्योंकि, वो फोन से वहां मौजूद लोगों को संबोधित कर रहा था. हालांकि, बाद में उसका एक Video भी सामने आया. जिसमें वो बंद कमरे में बैठकर भारत और अमेरिका को चुनौती दे रहा था. ध्यान देने वाली बात ये है, कि इस बार हाफिज़ सईद...किसी Professional नेता की तरह नहीं.....बल्कि मंझे हुए आतंकवादी की तरह बातें कर रहा था. पाकिस्तान में हाफिज़ सईद को खुली छूट मिली हुई है.. इसलिए वो जब चाहता है नेता बन जाता है और जब चाहता है.. एक आतंकवादी की भाषा बोलने लगता है.

पाकिस्तान की हालत ये है कि अब हाफिज़ सईद की तस्वीरें Calendars पर छापी जा रही हैं. ये पाकिस्तान के एक उर्दू अखबार का वार्षिक कैलेंडर है. जिसका एक Special Edition निकाला गया है. लेकिन, जिस कैलेंडर पर पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना को जगह मिलनी चाहिए थी, वो इज्ज़त अब हज़ारों लोगों के हत्यारे हाफिज़ सईद को दी जा रही है. दुख की बात ये है कि पाकिस्तान तो पूरा ज़ोर लगाकर भारत विरोधी एजेंडा चला रहा है.. लेकिन इसके बावजूद भारत में कुछ लोग पाकिस्तान की हिमायत भी कर रहे हैं और मदद भी कर रहे हैं.

अब हम अपने ही पेशे यानी पत्रकारिता की गिरती हुई साख का विश्लेषण करेंगे. अपने ऊपर उंगली उठाने के लिए बड़ी हिम्मत की ज़रूरत होती है, और आज हम ये हिम्मत दिखा रहे हैं. पत्रकारिता वो पेशा है, जिसके लिए सबसे बड़ा Investment ईमानदारी होती है. और पत्रकारिता की जो इमारत बेईमानी से खड़ी की जाती है, वो बहुत जल्दी गिर भी जाती है. आज देश के सामने यही संकट है. अब वक्त आ गया है कि ऐसी कमज़ोर नींव वाली इमारतों को पहचाना जाए, क्योंकि अब कई Media House झूठी और गलत ख़बरें दिखाकर न सिर्फ लोगों को बदनाम कर रहे हैं, बल्कि देश की सुरक्षा और संप्रभुता के लिए एक बड़ा खतरा पैदा कर रहे हैं. कुछ ऐसा ही काम The Quint नामक एक News Portal ने किया है. 

शुक्रवार (5 जनवरी) को The Quint ने एक ख़बर छापी, जिसमें दावा किया गया कि कुलभूषण जाधव एक भारतीय जासूस हैं. कुलभूषण जाधव Indian Navy के एक रिटायर्ड अफसर हैं. लेकिन पाकिस्तान उन्हें भारत की खुफिया एजेंसी Research and Analysis Wing यानी RAW का जासूस बताता रहा है.  जबकि भारत, पाकिस्तान के इन दावों को खारिज करता है. भारत के मुताबिक कुलभूषण जाधव एक Businessman हैं और उन्हें पाकिस्तान ने ईरान से अगवा किया था. पाकिस्तान ये दावा करता है कि उसने कुलभूषण को 3 मार्च 2016 को बलोचिस्तान से गिरफ्तार किया था. पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI के एक पूर्व अफसर ने भी ये स्वीकार किया था कि जाधव को ईरान से पकड़ा गया था. 

लेकिन Quint ने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि उन्हें Raw के विश्वसनीय सूत्रों ने बताया है कि कुलभूषण जाधव भारतीय जासूस हैं. Quint के रिपोर्टर ने दावा किया कि कुलभूषण जाधव ने अपने वरिष्ठ अधिकारियों और साथियों के साथ संपर्क साधने में लापरवाही बरती. जिसके बाद पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI उनकी Location पता करने में कामयाब रही. और इस तरह वो पकड़े गए.  इस ख़बर पर विवाद बढ़ने के बाद अब Quint की तरफ से ये ख़बर... Website से हटा दी गई है और कहा गया है कि वो इस ख़बर के कुछ तथ्यों की फिर से जांच कर रहे हैं. अब सवाल ये उठता है कि Quint ने पहले ही अपनी ख़बर के हर तथ्य की जांच क्यों नहीं की? 

इस ख़बर को लिखने वाले पत्रकार चंदन नंदी 7 जनवरी से अचानक गायब हो गए थे. सूत्रों का हवाला देकर Quint के रिपोर्टर चंदन नंदी ने ऐसी कहानी गढ़ी है कि पाकिस्तान का मीडिया भी शायद ऐसी कहानी नहीं बना पाता. इस ख़बर को पाकिस्तान ने हाथों हाथ लिया है. पाकिस्तान बहुत खुश है कि बिना कुछ किए ही भारत में उसका एजेंडा धड़ल्ले से चल रहा है.  पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मोहम्मद फैसल ने पूरे विवाद में The Quint के रिपोर्टर चंदन नंदी के लापता होने को मुद्दा बनाया है. और ये दावा भी किया है कि भारत सरकार ने कुलभूषण जाधव से जुड़ी हुई इस ख़बर को Portal से हटवा दिया है. जबकि हकीकत ये है कि Quint ने ये ख़बर खुद हटाई और कहा है कि वो अभी इस ख़बर के तथ्यों की जांच कर रहा है. 

ज़ाहिर है..  The Quint जैसे News Portal  और चंदन नंदी जैसे पत्रकारों के रहते हुए हमें दुश्मनों की ज़रूरत नहीं है. हैरानी की बात तो ये है कि हमारे देश के बहुत से बुद्धिजीवी और पत्रकार Quint की इस पाकिस्तान भक्ति के बावजूद उसका बचाव कर रहे हैं. और धीरे धीरे ऐसा माहौल ऐसा बनाया जा रहा है, जैसे कि Quint पर बहुत दबाव डाला जा रहा हो.  ये सब कुछ एक ख़ास एजेंडे के तहत आगे बढ़ रहा है.

सबसे पहले ख़बर लिखने वाला रिपोर्टर Underground हुआ. अब ये कहा जाएगा कि रिपोर्टर को Right Wing के लोगों की तरफ से लगातार धमकियां मिल रही हैं. इसके बाद इस पूरे खेल में भारत तेरे टुकड़े होंगे कहने वाले Gang की Entry होगी. फिर ये कहा जाएगा भारत में प्रेस की स्वतंत्रता खतरे में है. इसके बाद ये दावा किया जाएगा भारत रहने के लिए सुरक्षित नहीं है और भारत सरकार आज़ादी को दबाने की कोशिश कर रही है. और अंत में बड़े बड़े कैंडल मार्च निकाले जाएंगे और TV Channels पर इस मुद्दे पर बड़े बड़े Debate Shows होंगे. हो सकता है कि इस दौरान कुछ बुद्धिजीवी अपने अवॉर्ड लौटाना भी शुरू कर दें.

ये ख़बर आपको कोई और मीडिया हाउस नहीं दिखाएगा.. क्योंकि इसके लिए खुद पर ही सवाल उठाने होंगे. लेकिन हम ये हिम्मत दिखा रहे हैं. और हो सकता है कि इसके लिए मीडिया के बहुत से लोग हमारी आलोचना करें. लेकिन हमें लगता है कि देश की संप्रभुता को मसालेदार ख़बरों के लिए इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. 

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