ZEE जानकारीः बनारस की पहचान में एक और उपलब्धि जुड़ गई
Advertisement

ZEE जानकारीः बनारस की पहचान में एक और उपलब्धि जुड़ गई

आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वाराणसी में नेशनल वॉटरवे पर बने देश के पहले Multi Model Terminal का उद्घाटन किया है. 

ZEE जानकारीः बनारस की पहचान में एक और उपलब्धि जुड़ गई

आज सबसे पहले हम बदलते हुए बनारस का विश्लेषण करेंगे. बनारस को दुनिया के सबसे पुराने शहरों में से एक माना जाता है. लेकिन आज बनारस की इस पहचान में एक और उपलब्धि जुड़ गई है. आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वाराणसी में नेशनल वॉटरवे पर बने देश के पहले Multi Model Terminal का उद्घाटन किया है. ये सुनकर आपको काफी Technical लग रहा होगा... इसलिए आपको आसान भाषा में इसका मतलब समझाते हैं. इसका मतलब ये है कि अब गंगा नदी में मालवाहक जहाज़ चलेंगे. और ऐसे ही एक जहाज़ का स्वागत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज वाराणसी में किया. ये जहाज़ पश्चिम बंगाल के हल्दिया से चलकर वाराणसी पहुंचा था. 

इस जहाज़ ने हल्दिया से वाराणसी तक की अपनी यात्रा 13 दिन में पूरी की. इस जहाज़ का नाम है M.V रबिन्द्रनाथ टैगोर. इस जहाज़ में 16 ट्रकों के बराबर के 16 कंटेनर थे, जिनमें खाने पीने का सामान था. अब ये जहाज़ Fertilisers लेकर वापस पश्चिम बंगाल जाएगा. आज़ाद भारत में पहली बार ऐसा हुआ है, जब नदी के रास्ते पानी का कोई जहाज़ इतनी बड़ी मात्रा में सामान लेकर गया हो. वैसे आपको बता दें कि आज़ादी से पहले गंगा नदी एक व्यस्त जलमार्ग हुआ करती थी.. जिस पर पानी के जहाज़ चला करते थे और व्यापार होता था. लेकिन देश में जैसे-जैसे रेलवे का विकास हुआ, वैसे-वैसे जलमार्ग खत्म होते चले गए. 

ये अपने आप में एक अनोखी योजना है, जिसका नाम है, जल मार्ग विकास प्रोजेक्ट. इस योजना के तहत वाराणसी, साहेबगंज और हल्दिया में तीन Multi Model Terminal बनाए गए हैं. इस पूरी योजना की लागत करीब 5 हज़ार 369 करोड़ रुपये है. आपको ये जानकर हैरानी होगी ये पूरी योजना आज से 32 साल पुरानी है. National Waterway No. 1 नामक इस योजना की घोषणा सबसे पहले 1986 में की गई थी. और उस वक्त हल्दिया से प्रयागराज तक 1 हज़ार 620 किलोमीटर का पहला National Waterway घोषित किया गया था.

दूसरा National Waterway ब्रह्मपुत्र नदी पर धुबरी से सदिया तक घोषित किया गया था, जिसकी लंबाई 891 किलोमीटर है. लेकिन ये योजना आगे नहीं बढ़ पाई.  2016 में बने National Waterways Act के तहत देश भर में 111 Waterways विकसित करने का फैसला हुआ था. और इसके बाद ही इस योजना में तेज़ी आई. अब आपको ये समझाते हैं, कि भारत को जलमार्गों की ज़रूरत क्यों है? भारत में अभी 65% सामान सड़क के रास्ते यानी ट्रकों के माध्यम से जाता है. जबकि 27% सामान ट्रेन द्वारा जाता है और सिर्फ 0.5% सामान ही जलमार्ग से जाता है. 

इसके मुकाबले दुनिया के दूसरे देशों में स्थिति बिल्कुल अलग है. अमेरिका में 8.3% सामान जलमार्ग से जाता है. यूरोप में 7% और चीन में 8.7% सामान जलमार्ग से ले जाया जाता है. सामान ढोने के लिए जलमार्ग का इस्तेमाल करना सस्ता है. 1 टन सामान को Highways से 1 किलोमीटर तक ले जाने की लागत है - 2 रुपये 28 पैसे रेलवे से ये लागत पड़ती है - 1 रुपये 41 पैसे .लेकिन इतना ही सामान अगर जलमार्ग से जाए, तो उसकी लागत सिर्फ 1 रुपये 19 पैसे आएगी. इससे पर्यावरण को नुकसान भी कम होगा. 

क्योंकि 1 लीटर ईंधन से सड़कमार्ग के ज़रिए 24 टन सामान ले जाया जा सकता है. रेल मार्ग से 1 लीटर ईंधन में 85 टन सामान ले जाया जा सकता है. जबकि जलमार्ग का इस्तेमाल करेंगे, तो 1 लीटर ईंधन से 105 टन सामान ले जाया जा सकता है. अभी सामान को सड़क या रेल मार्ग से ले जाने में बहुत ज्यादा खर्च होता है. देश के GDP का 18% हिस्सा सिर्फ सामान को इधर से उधर ले जाने में ही खर्च हो जाता है. ऐसे में जलमार्ग का इस्तेमाल करना एक बहुत बड़ी और कारगर योजना है.

अब आप ये समझ सकते हैं कि ये योजना देश की अर्थव्यवस्था के लिए कितनी कारगर है. आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वाराणसी के लोगों को कुछ और सौगातें भी दी हैं. प्रधानमंत्री ने आज, वाराणसी के लोगों को कुल मिलाकर करीब ढाई हज़ार करोड़ रुपये की परियोजनाओं का तोहफा दिया है. इसमें बनारस के बाबतपुर एयरपोर्ट से शहर तक पहुंचाने वाला एक हाईवे भी शामिल है. 

आज लोगों के मन में ये सवाल भी है कि क्या पिछले 4 वर्षों में वाराणसी की तस्वीर बदली है? बनारस को दुनिया का सबसे पुराना शहर कहा जाता है. ऐसा अनुमान है कि ये शहर करीब 5000 वर्ष पुराना है. इसे आधुनिक बनाने के लिए जापान के शहर क्योटो का उदाहरण दिया गया था. अब 4 साल बाद बनारस इस दिशा में कितना आगे बढ़ा है.. ये जानने के लिए हमने Ground Reporting की है. इसमें आपको वाराणसी का बदलता हुआ DNA दिखाई देगा.

Trending news