Zee जानकारी : ब्रिटेन की संसद की नज़र में विलेन बनता जा रहा BBC
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Zee जानकारी : ब्रिटेन की संसद की नज़र में विलेन बनता जा रहा BBC

लोकतंत्र के 4 स्तंभ माने गए हैं। जिसमें पहला स्तंभ विधायिका को कहा जाता है। दूसरा स्तंभ कार्यपालिका को कहा जाता है, तीसरा न्यायपालिका को और चौथा पत्रकारिता को। सांसद और विधायक कैसे लोकतंत्र की मर्यादा का मज़ाक उड़ा रहे हैं ये गुरुवार को हमने आपको दिखाया था और आज हम आपको दिखाएंगे कि कैसे लोकतंत्र का चौथा स्तंभ यानी पत्रकारिता भी मर्यादाओं की सीमा लांघ रही है। ब्रिटेन के एक सांसद आतंकवादी हमले के दौरान लोगों की जान बचाने की कोशिश करके, ब्रिटेन के हीरो बन गए हैं लेकिन ब्रिटेन का ही एक बड़ा मीडिया हाउस इन दिनों ब्रिटेन की संसद की नज़र में विलेन बनता जा रहा है। हम BBC की बात कर रहे हैं। Brexit यानी यूरोपियन यूनियन से ब्रिटेन के बाहर जाने के मुद्दे पर, BBC की रिपोर्टिंग से नाराज़ ब्रिटेन के 72 सांसदों ने BBC के डाइरेक्टर जनरल टोनी हाल को एक चिट्ठी लिखी है। इस चिट्ठी में ब्रिटेन के सांसदों ने आरोप लगाया है कि BBC ने Brexit के दौरान एक एजेंडे के तहत रिपोर्टिंग की थी। 

Zee जानकारी : ब्रिटेन की संसद की नज़र में विलेन बनता जा रहा BBC

नई दिल्ली : लोकतंत्र के 4 स्तंभ माने गए हैं। जिसमें पहला स्तंभ विधायिका को कहा जाता है। दूसरा स्तंभ कार्यपालिका को कहा जाता है, तीसरा न्यायपालिका को और चौथा पत्रकारिता को। सांसद और विधायक कैसे लोकतंत्र की मर्यादा का मज़ाक उड़ा रहे हैं ये गुरुवार को हमने आपको दिखाया था और आज हम आपको दिखाएंगे कि कैसे लोकतंत्र का चौथा स्तंभ यानी पत्रकारिता भी मर्यादाओं की सीमा लांघ रही है। ब्रिटेन के एक सांसद आतंकवादी हमले के दौरान लोगों की जान बचाने की कोशिश करके, ब्रिटेन के हीरो बन गए हैं लेकिन ब्रिटेन का ही एक बड़ा मीडिया हाउस इन दिनों ब्रिटेन की संसद की नज़र में विलेन बनता जा रहा है। हम BBC की बात कर रहे हैं। Brexit यानी यूरोपियन यूनियन से ब्रिटेन के बाहर जाने के मुद्दे पर, BBC की रिपोर्टिंग से नाराज़ ब्रिटेन के 72 सांसदों ने BBC के डाइरेक्टर जनरल टोनी हाल को एक चिट्ठी लिखी है। इस चिट्ठी में ब्रिटेन के सांसदों ने आरोप लगाया है कि BBC ने Brexit के दौरान एक एजेंडे के तहत रिपोर्टिंग की थी। 

चिट्ठी लिखने वाले सांसदों का कहना है BBC ने अपनी रिपोर्टिंग के दौरान Brexit के खिलाफ वोट डालने वालों का पक्ष ज्यादा मजबूती से दिखाया जबकि Brexit के पक्ष में वोट डालने वालों को कम अहमियत दी गई। चिट्ठी लिखने वाले सांसदों में कंजरवेटिव पार्टी के सांसद जूलियन नाइट भी शामिल हैं, जिन्होंने Brexit के खिलाफ वोट डाला था। यानी जूलियन नाइट ये चाहते थे कि ब्रिटेन यूरोपियन यूनियन से अलग ना हो। लेकिन BBC की रिपोर्टिंग देखने के बाद जूलियन का कहना है कि ऐसा लगता है कि Brexit के पक्ष में वोट पड़ने के बाद BBC को कलेक्टिव नर्वस ब्रेकडाउन हो गया है। जूलियन ने ये भी कहा है कि BBC को उन गावों और छोटे शहरों तक भी पहुंचना चाहिए, जहां के लोग यूरोप से अलग होना चाहते हैं। आपको बता दें कि सांसद जूलियन नाइट खुद BBC के पत्रकार रह चुके हैं। इसलिए उनके द्वारा कही गईं ये बातें बहुत अहम हैं। सांसदों ने ये आरोप भी लगाया है कि BBC ने जून 2016 के बाद से हुई आर्थिक तरक्की की खबरों को कमतर करके दिखाया है, जो ये बताता है कि BBC वोटिंग से पहले बने निराशावादी माहौल से उबर नहीं पाया है, और BBC को नए तथ्य स्वीकार करने में परेशानी हो रही है। BBC पर एक गंभीर आरोप ये भी है कि Brexit के बाद BBC ने ऐसे वोटर्स को प्रमुखता से कवर किया, जिन्होंने वोट तो अलग होने के लिए डाला था लेकिन बाद में वो अपने फैसले पर पछता रहे थे।

हालांकि सासंदों की चिट्ठी का जवाब देते हुए BBC ने कहा है कि Brexit के दौरान BBC की पत्रकारिता सभी तरह के राजनीतिक दबावों से परे थी। BBC की तरफ से ये भी कहा गया है कि हम हमेशा आलोचनाओं के लिए तैयार रहते हैं। और हम जानते हैं कि बहस में शामिल सभी लोग जोश से भरे हुए हैं। और BBC का ये कर्तव्य है कि वो जनता की तरफ से  सभी तथ्यों का विश्लेषण करे और राजनेताओं से जवाब मांगे।

BBC के उदाहरण से भारत के मीडिया को भी एक सबक मिलता है और वो सबक ये है कि मीडिया को पूर्वाग्रह से ग्रस्त होकर रिपोर्टिंग नहीं करनी चाहिए, सिर्फ बड़े शहरों के लोगों का मूड भांप लेने से सच का पता नहीं लगता है। मीडिया कई बार जनता का मूड भांपने में नाकाम रहा है, फिर चाहे वो ब्रिटेन में Brexit पर हुआ जनमत संग्रह हो। अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव में हिलेरी क्लिंटन के बजाए डॉनल्ड ट्रंप की जीत हो या फिर भारत में पांच राज्यों के चुनावी नतीजे हों। 

मीडिया लगातार लोगों का भरोसा तोड़ रहा है। ऐसे ही चलता रहा तो मीडिया में दिखाई गई ख़बरों पर कोई विश्वास नहीं करेगा। इसलिए अभी भी वक़्त है, पत्रकारों को अपने पूर्वाग्रह को छोड़कर सच्ची रिपोर्टिंग पर ध्यान लगाना चाहिए इससे उन्हें लाभ होगा। 

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