Zee जानकारी : फर्ज़ी और डोनेशन वाले डॉक्टर्स से हो जाएं सावधान
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Zee जानकारी : फर्ज़ी और डोनेशन वाले डॉक्टर्स से हो जाएं सावधान

फर्ज़ी डॉक्टर वो होते हैं जिनके पास डॉक्टरी की कोई डिग्री नहीं होती लेकिन वो फिर भी मरीज़ों को दवाइयां लिखते हैं। दूसरे फर्ज़ी डॉक्टर वो होते हैं जिनके पास आयुर्वेदिक, यूनानी और होम्योपैथिक चिकित्सा की डिग्री होती है लेकिन वो मरीज़ों को Allopathic दवाइयां लिखते हैं। और तीसरी तरह के फर्ज़ी डॉक्टर वो होते हैं जिनके पास Integrated Medicine या Alternative Medicine की डिग्री होती है। ये इलाज का वो तरीका होता है जिसमें मरीज़ के Lifestyle और Diet में बदलाव के जरिये इलाज किया जाता है लेकिन इन डिग्रियों वाले डॉक्टर भी Allopathy से इलाज करके फर्ज़ी डॉक्टर बन जाते हैं।

Zee जानकारी : फर्ज़ी और डोनेशन वाले डॉक्टर्स से हो जाएं सावधान

नई दिल्ली : फर्ज़ी डॉक्टर वो होते हैं जिनके पास डॉक्टरी की कोई डिग्री नहीं होती लेकिन वो फिर भी मरीज़ों को दवाइयां लिखते हैं। दूसरे फर्ज़ी डॉक्टर वो होते हैं जिनके पास आयुर्वेदिक, यूनानी और होम्योपैथिक चिकित्सा की डिग्री होती है लेकिन वो मरीज़ों को Allopathic दवाइयां लिखते हैं। और तीसरी तरह के फर्ज़ी डॉक्टर वो होते हैं जिनके पास Integrated Medicine या Alternative Medicine की डिग्री होती है। ये इलाज का वो तरीका होता है जिसमें मरीज़ के Lifestyle और Diet में बदलाव के जरिये इलाज किया जाता है लेकिन इन डिग्रियों वाले डॉक्टर भी Allopathy से इलाज करके फर्ज़ी डॉक्टर बन जाते हैं।

-Indian Medical Association के मुताबिक, भारत में फर्ज़ी डॉक्टर्स की संख्या 10 लाख है।
-भारत में Health Sector पर World Health Organisation की जुलाई 2016 की रिपोर्ट कहती है, कि भारत के ग्रामीण इलाकों में 5 में से सिर्फ 1 डॉक्टर ऐसा है, जो Medicine की प्रैक्टिस करने के लिए Qualified है।
-ग्रामीण इलाकों में सिर्फ 19 फीसदी डॉक्टर्स ऐसे हैं, जिनके पास मेडिकल की डिग्री है जबकि 81 फीसदी डॉक्टर्स फर्ज़ी हैं।
-जबकि शहरी इलाकों में 58 फीसदी डॉक्टर्स के पास मेडिकल की डिग्री है और कम से कम 32 फीसदी फर्ज़ी डॉक्टर्स हैं।
-भारत को फिलहाल 7 लाख Qualified डॉक्टर्स की ज़रूरत है लेकिन हर वर्ष भारत में सिर्फ 30 हज़ार डॉक्टर्स निकलते हैं।
-31 फीसदी से ज़्यादा Allopathic डॉक्टर्स ऐसे हैं, जिन्होंने सिर्फ Secondary School Level तक की पढाई की है।
-57 फीसदी से ज़्यादा डॉक्टर्स ऐसे हैं, जिनके पास मेडिकल Qualification है ही नहीं।

लेकिन बात सिर्फ यहीं खत्म नहीं हो जाती भारत में मिलावटी डॉक्टरों के साथ-साथ ऐसे डॉक्टर्स की भी कोई कमी नहीं है, जो खून-पसीने और मेहनत के बजाय डोनेशन देकर डॉक्टर बन जाते हैं। 

-एक अनुमान के मुताबिक प्राइवेट मेडिकल Colleges हर वर्ष MBBS की सीटें बेचकर, क़रीब 5 हजार करोड़ रुपये की कमाई करते हैं।
-अब आप खुद ही फैसला कीजिये, कि फर्ज़ी डॉक्टर्स और डोनेशन देने वाले डॉक्टर्स को भगवान कहलाए जाने का हक कैसे दिया जा सकता है।
-ऐसा नहीं है, कि हमारे देश में सदाचारी डॉक्टर्स उपलब्ध नहीं हैं लेकिन दुख की बात ये है, कि हमारे देश में अब लालची डॉक्टरों की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है।
-साथी नामक एक गैर सरकारी संस्था की स्टडी रिपोर्ट के मुताबिक बेवजह की दवाइयां और टेस्ट लिखकर डॉक्टर औसतन 6 लाख रुपये सालाना कमा लेते हैं।

Medical council of India यानी MCI की एक रिपोर्ट के मुताबिक

-डॉक्टरों को किसी Pharmaceutical Company से गिफ्ट लेने की मनाही है।
-इसके बावजूद वर्ष 2014 में MCI को देशभर से 326 ऐसे डॉक्टर्स की शिकायत मिली, जो Pharmaceutical Company से पैसे लेकर उनकी दवाइयां मरीजों को लिखते थे।
-Forbes India के मुताबिक बाज़ार में जब भी कोई नई दवा आती है, तो कई बार डॉक्टर उस दवा को Prescribe करने के लिए दवा बनाने वाली Pharmaceutical कंपनी से कम से कम 50 हजार रुपये की डिमांड करते हैं।
-यही वजह है कि हमारे देश में Pharmaceutical Companies डॉक्टरों को गिफ्ट और मुफ्त सेवाएं देने पर भारी भरकम खर्च करती हैं।
-एक अनुमान के मुताबिक देश की 20 सबसे बड़ी दवा निर्माता कंपनियां अपनी दवाओं के प्रचार के लिए हर वर्ष डॉक्टरों को गिफ्ट बांटने में 60 करोड़ डॉलर यानी करीब 3600 करोड़ रुपये खर्च कर देती हैं।

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