Zee जानकारी : हर रोज 2 घंटे 40 मिनट ही विदेशी कार्यक्रम दिखाता है पाक टीवी
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Zee जानकारी : हर रोज 2 घंटे 40 मिनट ही विदेशी कार्यक्रम दिखाता है पाक टीवी

Zee जानकारी : हर रोज 2 घंटे 40 मिनट ही विदेशी कार्यक्रम दिखाता है पाक टीवी

हॉलीवुड के निर्माता और निर्देशक Steven Spielberg का एक मशहूर कथन है, There is a fine line between censorship and moral responsibility यानी सेंसरशिप और नैतिक ज़िम्मेदारी के बीच की रेखा काफी महीन होती है। इस कथन में पाकिस्तान के लिए कई बड़ी शिक्षाएं छिपी हुई हैं।

मैं ऐसा इसलिए कह रहा हूं, क्योंकि पाकिस्तान की Electronic Media Regulatory Authority ने ये फैसला किया है, कि 21 अक्टूबर शुक्रवार दोपहर 3 बजे के बाद से पाकिस्तान में भारतीय टेलीविजन और रेडियो कार्यक्रमों पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया जाएगा और नियमों का उल्लंघन करने वाले Broadcasters के लाइसेंस सस्‍पेंड कर दिए जाएंगे। 

पिछले महीने पाकिस्तान में भारतीय फिल्मों के रिलीज़ पर भी बैन लगा दिया गया था। हालांकि, ये अपने आप में एक अजीब विडंबना है, कि पाकिस्तान को जिन आतंकवादी संगठनों पर 'प्रतिबंध' लगाना चाहिए, वो आए-दिन भारत में आतंकवादियों की सप्लाई करते रहते हैं। जिन आतंकवादियों की जगह पाकिस्तान की जेल में होनी चाहिए, उन्हें वहां फिल्म स्टार से भी ज़्यादा Stardom हासिल है। 
हालांकि, पाकिस्तान ये भूल गया है, कि ऐसा करके वो अपने पैर पर कुल्हाड़ी नहीं, बल्कि कुल्हाड़ी पर अपना पैर मार रहा है। मैं ऐसा क्यों कह रहा हूं, इसे आसान भाषा में समझाने के लिए मेरे पास कुछ दिलचस्प जानकारियां हैं, जो आज हमने गहन रिसर्च करके निकाली हैं। 

- पाकिस्तान की Electronic Media Regulatory Authority के नियमों के मुताबिक, वहां के टीवी चैनल्स 24 घंटे में सिर्फ 2 घंटे 40 मिनट का Foreign Content दिखा सकते हैं।

- हालांकि, वहां भारत के Serials यानी धारावाहिकों की लोकप्रियता इतनी ज़्यादा है, कि पाकिस्तान की जनता, सोते-जागते...इन्हें ही देखती है। पाकिस्तान के मध्यवर्गीय परिवारों में भारतीय धारावाहिक बहुत लोकप्रिय हैं। 

- यही वजह है, कि 24 घंटे में सिर्फ 2 घंटे 40 मिनट के प्रसारण का नियम होने के बावजूद, पाकिस्तान में भारतीय धारावाहिकों का कई बार Repeat Telecast भी किया जाता है। लेकिन प्रतिबंध के बाद अब ऐसा नहीं हो सकेगा।

- इस प्रतिबंध से पाकिस्तान के बच्चे भी प्रभावित होंगे। क्योंकि भारत के कई कार्टून चैनल्स पाकिस्तान में भी वैसे ही दिखाए जाते हैं जैसे भारत में। भारत की ही तरह पाकिस्तान के बच्चों के बीच डोरेमॉन और छोटा भीम बहुत लोकप्रिय हैं।

- यहां आपको इस ख़बर से जुड़ा Recap दिखाना भी ज़रूरी है। आपको याद होगा कि इसी वर्ष 4 अगस्त को DNA में हमने आपको ये जानकारी दी थी, कि पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी यानी PTI ने पाकिस्तान में हिंदी में डब किए गए Cartoon डोरेमॉन और छोटा भीम पर रोक लगाने की मांग की थी। 

- दलील ये दी गई थी, कि भारतीय कार्टून्स पाकिस्तान पर Cultural अटैक कर रहे हैं। क्योंकि कार्टून कैरेक्टर हिंदी बोलते हैं, जिससे बच्चे भी हिंदी भाषा के शब्द सीख रहे हैं, उनकी आम बोलचाल में हिंदी के शब्द बढ़ रहे हैं और इससे पाकिस्तान के समाज को खतरा है।

- पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2010 में, 30 से ज़्यादा भारतीय चैनल्स के प्रसारण पर रोक लगा दी थी। लेकिन पाकिस्तान में भारतीय चैनल्स की लोकप्रियता इतनी ज़्यादा थी, कि कई Cable Operators नियमों की अनदेखी करके प्रसारण करते रहे।

- पाकिस्तान में भारतीय फिल्में नहीं दिखाए जाने से पाकिस्तान की फिल्म इंडस्ट्री चौपट हो जाएगी। क्योंकि वहां का 70 फीसदी बिज़नेस कम हो जाएगा। आपको बता दूं, कि पाकिस्तानी फिल्म इं‍डस्ट्री में 70 फीसदी बिजनेस भारतीय फिल्मों और हॉलीवुड की फिल्मों से आता है।

- पाकिस्तान में वहां की किसी फिल्म की एक दिन की सबसे ज्यादा कमाई दो करोड़ रुपये या इसके आसपास रही है। जबकि सलमान ख़ान की फिल्म 'सुल्तान' ने रिलीज़ के पहले दिन ही पाकिस्तान में साढ़े तीन करोड़ रुपये की कमाई की थी।

- आज की तस्वीर ये है कि पाकिस्तान, भारतीय फिल्मों के Top Five विदेशी बाज़ारों में से एक हो गया है।

- एक फिल्म इंडस्ट्री को अपना वजूद बनाए रखने के लिए हर साल कम से कम 50 से 60 फिल्में बनानी होती हैं।

- लेकिन आतंकवाद और कई दूसरी वजहों से पाकिस्तान की फिल्म इंडस्ट्री इतनी बड़ी मात्रा में फिल्में प्रोड्यूस नहीं कर पा रही है। और उनके पास एकमात्र विकल्प बॉलीवुड की फिल्में दिखाना ही है। 

- पिछले तीन वर्षों की बात करें, तो पाकिस्तान में बॉक्स ऑफिस को होने वाली कुल कमाई का 60 से 75 फीसदी हिस्सा भारतीय फिल्मों ने कमाया है

- यानी पाकिस्तान के सिनेमाघर मालिक को होने वाली हर 100 रुपये की कमाई में.. 60 से 75 रुपये तक का हिस्सा भारतीय फिल्मों का है।

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