ज़ी जानकारी: शंघाई बनने का सपना पाले मुंबई पानी में डूबी नज़र आ रही है
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ज़ी जानकारी: शंघाई बनने का सपना पाले मुंबई पानी में डूबी नज़र आ रही है

ज़ी जानकारी: शंघाई बनने का सपना पाले मुंबई पानी में डूबी नज़र आ रही है

आपने अकसर सुना होगा कि भारत एक सुपरपावर बन सकता है. ये भी कहा जाता है कि जिस गति से हमारी अर्थव्यवस्था विकास कर रही है, उससे लगता है कि भारत जल्द ही दुनिया की बड़ी महाशक्ति बन जाएगा. लेकिन जिस देश में 3 घंटे की बारिश मुंबई जैसे महानगर को बंधक बना दे, वो देश सुपरपावर कैसे बनेगा? और यही बात हमारे अगले विश्लेषण का केंद्र बिंदु है..सबसे पहले आप मुंबई की हालत देखिए ये आज की तस्वीरें हैं.

पूरी मुंबई पानी में डूबी हुई नज़र आ रही है. ये वो शहर है जिसे हम शंघाई बनाने का सपना देख रहे हैं.बारिश से संघर्ष करती मुंबई की ये तस्वीरें कोई नयी नहीं हैं...हम आपको पिछले 10 वर्षों की तस्वीरें दिखाते हैं, इन तस्वीरों में सिर्फ तारीख का फर्क है बाकी सबकुछ लगभग एक जैसा है पिछले 10 वर्षों कुछ नहीं बदला, इन तस्वीरों में सड़कों पर भरे पानी से संघर्ष करते लोग नज़र आ रहे हैं लम्बे-लम्बे ट्रैफिक Jams हों या पानी में डूबी हुए रेलवे Tracks हर तस्वीर अपने आप में मुंबई की बदसूरती को दुनिया के सामने रख रही हैं.

ये सब देखकर लगता है कि पिछले 10 वर्षों में BMC ने कोई सबक नहीं लिया मुंबई की बारिश के सामने municipal corporation हर वर्ष सरेंडर कर देती है, कहने को तो ये शहर World Class City बनने के सपने देख रहा है लेकिन इन तस्वीरों को देखने के बाद मुंबई में World Class जैसा कुछ नहीं दिखता क्योंकि बारिश के मौसम में मुसीबतों का समंदर सड़कों पर दिखाई देने लगता है मुंबई में पिछले 3 दिनों से बारिश हो रही है लेकिन आज सुबह साढ़े 8 बजे शुरू हुई भारी बारिश ने सिर्फ़ 3 घंटे में इस महानगर को घुटनों तक डुबो दिया.

BMC की तरफ से लोगों को सलाह दी गई है कि अगर बहुत जरूरी हो तभी घरों से बाहर निकलें भारी बारिश की वजह से मुंबई के ज़्यादातर स्कूलों की छुट्टी कर दी गई है और सड़कों पर पानी भरने की वजह से लोग.. कई घंटों तक Traffic Jams में फंसे रहे..रेल की पटरियों में पानी भरने की वजह से मुंबई लोकल की रफ़्तार बहुत कम हो गयी..मुंबई से चलने वाली सेंट्रल रेलवे की ज़्यादातर trains लेट हो गईं मौसम विभाग के मुताबिक अगले 24 घंटे मुंबई पर भारी पड़ने वाले हैं.

कुल मिलाकर बारिश की वजह से मुंबई में हर वर्ष आपातकाल आ जाता हैं ये बात बहुत चिंताजनक है और शर्मनाक भी बारिश के मामले में अकसर कहा जाता है कि मुंबई की किस्मत ख़राब है जबकि सच ये है कि मुंबई का सिस्टम ख़राब है वर्ष 2016-17 में मुंबई के लोगों ने 2 लाख 48 हज़ार करोड़ रूपये का Direct Tax दिया लेकिन मुंबई की हालत देखकर लगता है कि बदले में सिस्टम ने.. लोगों को कुछ नहीं दिया.

यहां आपको बता दें कि BMC देश का सबसे अमीर municipal corporation है BMC का बजट गोवा, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर और त्रिपुरा के कुल बजट से भी ज़्यादा है BMC का ये बजट 25 हज़ार करोड़ रूपये से ज़्यादा है. वर्ष 2015-16 में BMC ने सड़कों से बारिश का पानी निकालने के लिए 401 करोड़ रुपये खर्च किये थे. जबकि इस वर्ष Drainage System को दुरुस्त करने के लिए 475 करोड़ रूपये का बजट बनाया गया था इसमें से BMC  206 करोड़ रुपये खर्च कर चुकी है, लेकिन ज़मीनी हक़ीक़त क्या है ये आप देख ही रहे हैं.

मुंबई में बरसात के मौसम में होने वाले जलभराव की एक बहुत बड़ी वजह है मुंबई की Town Planning और पुराना Drainage System मुंबई के Drainage सिस्टम का ज़्यादातर हिस्सा..अंग्रेजों के जमाने का है और जितनी तेज़ी से मुंबई की आबादी बढ़ी है उतनी तेज़ी से Drainage सिस्टम की क्षमता नहीं बढ़ी है मुंबई में 50 से 60 वर्ष पुराने Drainage Pipes हैं.. और इनमें से सिर्फ 30 फीसदी को ही अबतक बदला गया है.

इसके अलावा मुंबई में एक समस्या और है.. मुंबई शहर समुद्र से घिरा है..ऐसे में बरसात का पानी Under Ground Drainage सिस्टम के जरिये समुद्र में जाता है..लेकिन High Tide आने पर समुद्र के पास ड्रेनेज सिस्टम के दरवाजे बंद कर दिये जाते हैं..जिसकी वजह से मुंबई में चारों तरफ पानी भर जाता है.

यानि मुंबई को अब बेहतर Town Planning की ज़रूरत है और जब तक ऐसा नहीं होगा तब तक हर वर्ष मुंबई बरसात के पानी में डुबकी लगाती रहेगी. मुंबई को भारत की आर्थिक राजधानी कहा जाता है. लेकिन जो तस्वीरें हमारे सामने आई हैं उन्हें देखकर ऐसा लगता है कि इस शहर को कोई भी गंभीरता से नहीं लेता.

प्राकृतिक आपदाओं पर किसी का बस नहीं चलता है और ना ही प्राकृतिक आपदाओं को रोका जा सकता है लेकिन इन आपदाओं से होने वाले नुकसान को कम ज़रूर किया जा सकता है...हम आपको बताते हैं कि दुनिया के दूसरे देशों ने बाढ़ और बारिश से होने वाले जलभराव जैसी समस्याओं को कैसे नियंत्रित किया है.

बाढ़ और जलभराव से निपटने की सबसे बड़ी शिक्षा सिंगापुर से ली जा सकती है सिंगापुर ने अपने Drainage सिस्टम को सुधारने के लिए पिछले 30 वर्षों में  करीब 9 हज़ार 300 करोड़ रुपये ख़र्च किए इसकी वजह से पूरे सिंगापुर में बाढ़ प्रभावित इलाके में करीब 98 फीसदी की कमी आई जो अपने आप में हैरान करने वाला आंकड़ा है. सिंगापुर में Drainage सिस्टम को सुधारा गया, इमारतों के Platform की न्यूनतम सीमा तय की गई.

इसके अलावा सिंगापुर के निचले इलाकों में बाढ़ की वजह से सड़कें डूब जाती थीं ऐसे इलाक़ों में Drainage सिस्टम को सुधारने के साथ-साथ सड़कों के Level को ऊंचा किया गया.दूसरी शिक्षा हम अमेरिका से ले सकते हैं जहां समुद्री तूफानों का आना सामान्य बात है लेकिन अमेरिका के पास इन तूफानों और उसके बाद आने वाली बाढ़ से निपटने का मज़बूत सिस्टम मौजूद है. इसके लिए Technology की भरपूर मदद ली जाती है.

अमेरिका में हर तूफान का अलर्ट होता है और प्रभावित इलाकों को खाली कराने का Plan..पहले से ही तैयार होता है. अमेरिका ने समुद्र के अंदर ऐसे यंत्र लगाए हुए हैं जिनके ज़रिये सुनामी के खतरे को.. वक्त रहते पहचाना जा सकता है अपने सेटेलाइट नेटवर्क के जरिये अमेरिका अपने आसमान में तूफानों से संबंधित हर Data को रिकॉर्ड करता है. अमेरिका के पास बारिश के Pattern का अनुमान लगाकर बाढ़ का पूर्वानुमान लगाने का भी सिस्टम है. एक वक्त था जब Netherlands का 66 फीसदी इलाका बाढ़ से प्रभावित होता था लेकिन अब ऐसा नहीं है.

क्योंकि Netherlands ने बाढ़ और जलभराव से निपटने के लिए एक अलग सोच अपनाई..और वो सोच ये कहती है कि live with water, don't fight it यानि पानी के साथ जीना सीखो उससे लड़ो मत Netherlands ने आज से 400 वर्ष पहले ही Drainage सिस्टम बना लिया था वहां जगह जगह Pumping स्टेशन बने हैं जो बारिश और बाढ़ के पानी को बाहर निकालते हैं यहां Drainage के लिए नहरों का एक सिस्टम है और वक्त-वक्त पर यहां पर नदियों की गहराई भी बढ़ाई जाती है.

भारत में सबसे बड़ी दिक्कत ये है कि हमने कभी भी अपने शहरों के drainage सिस्टम को सुधारने पर ध्यान नहीं दिया इसीलिए ज़रा सी बारिश होने पर दिल्ली और मुंबई जैसे देश के बड़े बड़े शहर परेशान हो जाते हैं.

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