ZEE जानकारीः नवजोत सिंह सिद्धू अब भी पाकिस्तान की भाषा बोल रहे हैं
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ZEE जानकारीः नवजोत सिंह सिद्धू अब भी पाकिस्तान की भाषा बोल रहे हैं

करतारपुर साहिब सिखों के लिए एक बहुत पूजनीय स्थल है क्योंकि ये सिखों के पहले गुरु... गुरुनानक जी का घर था . गुरुनानक जी ने करतारपुर में ही अपने जीवन के अंतिम 18 वर्ष बिताए थे .

ZEE जानकारीः नवजोत सिंह सिद्धू अब भी पाकिस्तान की भाषा बोल रहे हैं

अगर आपके देश में आपके ही द्वारा चुना गया कोई नेता पाकिस्तान की भाषा बोलने लगे तो देश की कूटनीतिक दशा और दिशा का क्या होगा ? पाकिस्तान में मौजूद सिखों के एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल के मामले पर कांग्रेस और बीजेपी आपस में लड़ रहे हैं और सरहद पार बैठा पाकिस्तान, मन ही मन तालियां बजा रहा है . पाकिस्तान को ये कूटनीतिक लाभ पंजाब के कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू के बयानों की वजह से मिला है. नवजोत सिंह सिद्धू की पाकिस्तान यात्रा के बाद.. कैसे पाकिस्तान Back foot से Front foot पर आ गया है ये हम आपको बाद में समझाएंगे . लेकिन पहले ये तस्वीरें देखिए और इनका मर्म समझिए . 

ये सिख श्रद्धालु हैं . जो भारत की सीमा के अंदर से पाकिस्तान में मौजूद करतारपुर साहिब गुरुद्वारे को दूरबीन से देख रहे हैं. पंजाब के कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू भी इन श्रद्धालुओं में शामिल हैं . ये गुरुद्वारा... Border से सिर्फ़ 3 किलोमीटर दूर है . पंजाब के गुरदासपुर ज़िले में Border के पास मौजूद डेरा बाबा नानक से करतारपुर साहिब गुरुद्वारे की झलक दूरबीन से नज़र आती है . इसीलिए बहुत सारे लोग यहां आकर दूर से ही करतारपुर साहिब के दर्शन करके हाथ जोड़ते हैं . 

करतारपुर साहिब सिखों के लिए एक बहुत पूजनीय स्थल है क्योंकि ये सिखों के पहले गुरु... गुरुनानक जी का घर था . गुरुनानक जी ने करतारपुर में ही अपने जीवन के अंतिम 18 वर्ष बिताए थे . वर्ष 1947 से पहले जब बंटवारा नहीं हुआ था....तब श्रद्धालु बिना किसी रोक टोक के करतारपुर साहिब के दर्शन कर सकते थे . लेकिन बंटवारे के बाद करतारपुर साहिब का गुरुद्वारा पाकिस्तान के हिस्से में चला गया और सिखों के लिए करतारपुर साहिब के दर्शन बहुत दुर्लभ हो गए . 

ज़रा सोचिए कि ये कितनी बड़ी विडंबना है कि श्रद्धालुओं को 3 किलोमीटर दूर से करतारपुर साहिब की सिर्फ एक झलक देखकर ही संतुष्ट होना पड़ता है . अंग्रेज़ों द्वारा नक्शे पर खींची गई एक लकीर ने इन श्रद्धालुओं के अधिकार हमेशा के लिए छीन लिए . पाकिस्तान अपनी कूटनीति के लिए इस तरह के धार्मिक मामलों का हमेशा इस्तेमाल करता है . आपको याद होगा अगस्त में नवजोत सिंह सिद्धू पाकिस्तान गए थे. वहां पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री इमरान खान के शपथग्रहण समारोह में नवजोत सिंह सिद्धू... पाकिस्तान के आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा से गले मिले थे . 

सिद्धू के बयानों के मुताबिक... कमर जावेद बाजवा ने ये भरोसा दिलाया था कि 550वें प्रकाश पर्व के मौके पर करतारपुर साहिब के रास्ते को श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया जाएगा और लोग आसानी से करतारपुर साहिब के दर्शन कर पाएंगे . तब नवजोत सिंह सिद्धू ने पाकिस्तान के आर्मी चीफ पर बहुत जल्दी भरोसा कर लिया था और ये बयान भी दिया था कि करतारपुर साहिब गुरुद्वारे के दर्शन सुलभ हो जाएंगे. लेकिन पाकिस्तान सरकार की तरफ से अब तक इस पर कोई पहल नहीं की गई है . Cricket की भाषा में कहें तो पाकिस्तान ने सिद्धू को Googly पर Bold कर दिया है . लेकिन सिद्धू अब भी इस बात को नहीं समझ पाए हैं या फिर जानबूझकर समझना नहीं चाहते हैं . 

नवजोत सिंह सिद्धू अब भी पाकिस्तान की भाषा बोल रहे हैं और ये कह रहे हैं कि भारत को करतारपुर साहिब में आसानी से दर्शनों की मांग के लिए प्रस्ताव भेजना चाहिए . लेकिन शायद सिद्धू को भारत और पाकिस्तान के कूटनीतिक संबंधों के इतिहास की जानकारी नहीं है .बंटवारे के बाद भारत की तरफ से हमेशा ये कोशिश की गई कि भारत और पाकिस्तान के लोग... सरहद के पार मौजूद धार्मिक स्थलों में पूरी सुविधा के साथ दर्शन कर सकें . लेकिन पाकिस्तान ने कभी भी इस मामले पर कोई गंभीरता नहीं दिखाई . नवजोत सिंह सिद्धू के दावों का सच जानने के लिए केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को एक पत्र लिखा था . और सुषमा स्वराज ने 15 सितंबर को इस पत्र का जवाब दिय़ा...उन्होंने लिखा

1974 में सरहद पार मौजूद धार्मिक स्थलों पर तीर्थ यात्राओं के संबंध में भारत और पाकिस्तान के बीच एक समझौता हुआ था . जिसमें कई धार्मिक स्थलों को शामिल करने की बात कही गई थी, लेकिन पाकिस्तान अब तक करतारपुर साहिब गुरुद्वारे को इस समझौते के तहत लाने पर समहत नहीं हुआ है . भारत को पाकिस्तान की तरफ से अब तक करतारपुर साहिब के लिए Corridor बनाने का कोई आधिकारिक प्रस्ताव नहीं मिला है . पिछले कई वर्षों में पाकिस्तान ने सिर्फ कुछ ही भारतीय तीर्थयात्रियों को गुरुद्वारे में जाने की इजाज़त दी है . यानी अगर एक तरह से देखा जाए तो पाकिस्तान के आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा ने नवजोत सिंह सिद्धू को बहुत प्यार से गले लगाया और फिर उन्हें कूटनीति के जाल में फंसा लिया . इससे देश में बीजेपी और कांग्रेस के नेताओं के बीच भी राजनीति शुरू हुई . जिसकी वजह से पाकिस्तान को मज़े लेने का मौका मिला है . 

आज हम भारत के राजनेताओं को कूटनीति और युद्धनीति के कुछ पुराने सबक याद दिलाना चाहते हैं . युद्धनीति कहती है कि जिस देश के अंदर दुश्मन से सहानुभूति रखने वाले लोग मौजूद हों वो देश कभी कोई युद्ध जीत नहीं सकता है . और कूटनीति ये कहती है कि पड़ोसियों पर कभी भरोसा नहीं करना चाहिए . आप आज हमारे देश की स्थिति को देखिए... हमारे देश में पाकिस्तान से सहानुभूति रखने वाले लोग भी मौजूद हैं और पाकिस्तान पर भरोसा करने वाले लोग भी मौजूद हैं . 

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