Zee जानकारी: सावधान! क्या आप सीधे केमिस्ट के पास जाकर खरीदकर खा रहे हैं दवाई
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Zee जानकारी: सावधान! क्या आप सीधे केमिस्ट के पास जाकर खरीदकर खा रहे हैं दवाई

  Zee जानकारी: सावधान! क्या आप सीधे केमिस्ट के पास जाकर खरीदकर खा रहे हैं दवाई

अगर आप भी सर्दी-ज़ुकाम, पीठ में दर्द और बदन दर्द जैसी छोटी छोटी शिकायतें होने पर सीधे केमिस्ट के पास जाकर, कुछ मशहूर दवाइयों में से एक खरीद कर खा लेते हैं, तो आप खुद को बहुत बड़े खतरे में डाल रहे हैं। क्योंकि हो सकता है कि जो दवाई आप ले रहे हैं वो आपके शरीर में घुल ही ना पाए, हो सकता है वो दवा नकली हो, हो सकता है वो खराब गुणवत्ता वाली दवाई हो या फिर, दवा के नाम पर आपको खतरनाक केमिकल दे दिया गया हो। 

यानी जिस दवाई को आप अपनी बीमारी दूर करने के लिए खा रहे हैं हो सकता है कि वो दवाई खुद ही बीमार हो यानी वो इस लायक ही ना हो कि वो आपको ठीक कर सके ऐसे में सवाल उठता है कि क्या भारत में दवाओं की क्वालिटी से समझौता किया जाता है? 

सर्दी, जुकाम और शरीर में दर्द होने पर भारत में अक्सर लोग Combiflam नाम की दवाई लेकर खा लेते हैं, लेकिन Central Drugs Standard Control Organisation ने पाया है कि Combiflam नाम की ये दवाई आपके शरीर में वक्त पर घुल ही नहीं पाती। CDSCO के मुताबिक Combiflam के जून 2015 और जुलाई 2015 के कुछ batches से हासिल किए गए दवा के सैंपल Disintegration टेस्ट में फेल हो गए।

आपको बता दें कि Dis-integration टेस्ट का इस्तेमाल ये देखने के लिए किया जाता है कि दवाई या Capsule शरीर में घुलने में कितना वक्त लेता है? इससे ये पता चलता है कि दवाई ठीक समय पर, ठीक तरह से असर कर रही है या नहीं? CDSCO ने अपनी जांच में पाया कि  Combiflam शरीर में घुलने में काफी वक्त लगा रही है, और ये इस बात का संकेत है कि दवाई अच्छी गुणवत्ता वाली नहीं है। 

हालांकि ये गड़बड़ Combiflam के कुछ batches में ही पाई गई है, लेकिन सवाल ये है कि आखिर आम आदमी ये कैसे पता लगाएगा कि उसकी दवा Disintegration टेस्ट  में फेल हो रही है या पास हो रही है, यानी जो दवाई आप ले रहे हैं वो वक्त पर शरीर में घुल भी रही है या नहीं।

Combiflam की गुणवत्ता खराब पाए जाने के बाद इस Painkiller का निर्माण करने वाली फ्रांस की कंपनी sanofi ने दवा के वो बैच बाज़ार से वापस मंगा लिए हैं, जिनमें कमी पाई गई है। लेकिन सवाल ये है कि उन लोगों का क्या होगा जो इस बैच की दवा खरीदकर खा चुके हैं? वैसे आपको खतरा सिर्फ Combiflam जैसी दवाओं से ही नहीं है। 

Drug Controller general of India हर महीने उन दवाओं को लेकर अलर्ट जारी करता है, जिनकी गुणवत्ता अच्छी नहीं है और जो सेहत के लिए हानिकारक हैं। DCGI पिछले 5 महीनों में ऐसी 102 दवाओं की सूचि जारी कर चुका है, जो या तो नकली हैं, या खराब गुणवत्ता की हैं, इन 102 दवाओं की सूचि में मिलावटी और गलत तरीके से बेची जा रही दवाएं भी शामिल हैं। DCGI के नियमों के मुताबिक ऐसी दवाएं बनाने वाली कंपनियां खराब गुणवत्ता वाली दवाओं को वापस मंगाने के लिए बाध्य हैं। लेकिन गड़बड़ी का पता लगने से पहले ये दवाइयां कई बार ग्राहकों तक पहुंच चुकी होती हैं लेकिन कंपनियां इस बारे में ग्राहकों को सूचित नहीं करतीं।

बदनामी से बचने के लिए कंपनियां खराब दवाइयों को चुपचाप खामोशी के साथ मार्केट से वापस मंगाती हैं, ताकि कंपनी की इमेज खराब ना हो। यानी ज्यादातर कंपनियों को आपकी खराब होती सेहत से ज्यादा चिंता अपनी खराब होती इमेज की है, इसलिए कंपनियां आपको ये बताना जरूरी नहीं समझतीं कि जो दवाई आपके पास है वो इस्तेमाल के लायक ही नहीं है

ये कहना गलत नहीं होगा कि भारत के लोगों को बीमार और बेकार दवाइयां खाने पर मजबूर किया जा रहा है 
सवाल ये है कि क्या भारत के लोगों को ये हक नहीं होना चाहिए  कि वो बाज़ार से बाहर हो चुकी दवाओं के बारे में जान सकें? ताकि सेहत को होने वाले नुकसान से बचा जा सके?

आज हमने भारत को दवाइयों की प्रयोगशाला बनाने की बीमार सोच का एक DNA टेस्ट किया है। ये सीधे सीधे आपकी और आपके परिवार की सेहत से जुड़ा मामला है। इसलिए आपको ये विश्लेषण गौर से देखना चाहिए।

16 मार्च 2016 को हमने आपकी सेहत का DNA टेस्ट करते हुए आपको जानकारी दी थी कि सरकार ने एक नोटिफिकेशन जारी करके fixed-dose combination वाली 344 दवाओं को तत्काल प्रभाव से प्रतिबंधित कर दिया है। सरकार इन 344 दवाओं के अलावा 500 दूसरी दवाओं को भी प्रतिबंधित कर सकती है इनमें वो एंटीबायोटिक्स भी शामिल है जो कई बार आपको Over The counter यानी बिना डॉक्टर का पर्चा दिखाए मिल जाती है। 

लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि देश के 80 प्रतिशत डॉक्टर मरीज़ों को अब भी प्रतिबंधित सूची में शामिल दवाएं लिखकर दे रहे हैं। ये बात eMediNexus के सर्वे में सामने आई है, इस सर्वे में 4 हज़ार 892 डॉक्टरों को शामिल किया गया था। सर्वे में शामिल 40 प्रतिशत डॉक्टरों ने इन दवाओं पर सरकार के प्रतिबंध को गलत ठहराया है। 25 प्रतिशत डॉक्टरों ने माना है की सरकार के फैसले से उनकी अपनी साख यानी reputation पर फर्क पड़ेगा। सर्वे में शामिल 75 प्रतिशत डॉक्टरों ने कहा है कि इनमें से कुछ दवाएं ऐसी हैं जिन्हें प्रतिबंधित नहीं किया जाना चाहिए।

हमारे देश में दवा कंपनियों, पैथोलॉजी लैब्स और डॉक्टरों के बीच एक नेक्सस चल रहा है। जिसमें कुछ डॉक्टर्स उन कंपनियों की दवाएं लिखते हैं। जो आपकी सेहत के लिए ठीक नहीं है। इसी तरह कई बार आपको ऐसे टेस्ट करवाने के लिए कहा जाता है जिनकी आपको ज़रूरत नहीं है। इस नेक्सस में शामिल लोगों को आपकी सेहत की नहीं, सिर्फ अपने कमीशन की फिक्र होती है। कई डॉक्टर ऐसे भी हैं जो ये कहते हैं कि प्राइवेट अस्पताल उन पर अनावश्यक सर्जरी करने का दबाव बनाते हैं। यहां हम आपको ये भी बता दें कि अगर कोई दवाई प्रतिबंधित की जाती है, तो इसकी जानकारी सीधे ग्राहकों को देने के लिए हमारे देश में कोई सिस्टम नहीं है। 

हालांकि नियमों के मुताबिक अगर कोई दवा बाज़ार से बाहर की जाती है तो  Drugs Controller General of India इसकी जानकारी सभी राज्यों के drug regulators को देता है। DCGI राज्यों के drug regulators को ये आदेश भी देता है कि दवा का लाइसेंस रद्द किया जाए। 

यानी ये एक ऐसी प्रक्रिया है जिससे दवाइयां खाने वाले ग्राहक बहुत दूर होते हैं और उन्हें बहुत मुश्किल से ये पता लग पाता है कि उनके घर में रखी कौन सी दवा प्रतिबंधित हो चुकी है और कौन सी प्रतिबंधित दवा डॉक्टर उन्हें लिखकर दे रहे हैं। हमें लगता है कि ये एक तरह की Medical Emergency है और हमें जल्द से जल्द ऐसा कोई सिस्टम बनाना होगा जिसकी मदद से आम जनता को तुरंत दवाओं से जुड़ी संवेदनशील जानकारियां मिल सकें। हमें दवाओं से जुड़े इस सिस्टम को पारदर्शी बनाना होगा। ये देश की सेहत से जुड़ा मामला है। और हमें लगता है कि अगर आपके मोबाइल फोन पर विज्ञापनों से लेकर वोट मांगने तक के SMS आ सकते हैं तो सरकार की तरफ से प्रतिबंधित दवाओं के बारे में जानकारी देने वाले SMS भी भेजे जा सकते हैं।

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