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मौत ने मोहम्मद अली को ज़िंदगी के रिंग से नॉकआउट कर दिया है। अपने करियर में ज्यादातर Fights में अपने प्रतिद्वंद्वी को नॉकआउट करने वाले मोहम्मद अली, Parkinson's Disease से हार गए और उनकी मौत हो गई। लेकिन उनके विचार और उनकी शख्सियत आज भी ज़िंदा है। मोहम्मद अली जैसे जीवंत इंसान कभी मरा नहीं करते। मोहम्मद अली ने एक बार कहा था कि यानी तितली की तरह उड़ो और मधुमक्खी की तरह डंक मारो।
बॉक्सिंग रिंग मोहम्मद अली ऐसे ही थे। तेज़, चपल और फौलादी मुक्कों से भरपूर। मोहम्मद अली ने अपनी Fights को लेकर एक बार कहा था कि वैसे तो लड़ाई कोई आनंद लेने का विषय नहीं है, लेकिन मैंने अपने जीवन में कुछ ऐसी लड़ाइयां लड़ी हैं, जिन्हें जीतकर मुझे खुशी होती है।
74 वर्ष की उम्र में मोहम्मद अली के हाथ कांपने लगे थे लेकिन उनके विचारों में वही फुर्ती और मज़बूती बरकरार थी। वो कहा करते थे कि इंसान को अपने हर दिन को आखिरी दिन की तरह जीना चाहिए, क्योंकि एक ना एक दिन ये बात सही साबित हो जाएगी। ऐसी सोच रखने से एक शानदार जीवन जीने की प्रेरणा मिलती है। आमतौर पर मोहम्मद अली को लोग सिर्फ एक बॉक्सर के रूप में जानते हैं, लेकिन आज हम मोहम्मद अली की संपूर्ण शख्सियत को आपके सामने रखेंगे।
मोहम्मद अली एक महान बॉक्सर होने के साथ-साथ अश्वेतों के लिए संघर्ष करने वाले एक सामाजिक अधिकार कार्यकर्ता और एक कवि भी थे। वो कहते थे "मैं गोरे अंग्रेज़ों की तरह बहुत अच्छी अंग्रेज़ी नहीं बोल सकता, लेकिन मुझमें जीवन से जुड़ा ज्ञान देने का सामर्थ्य है।"