Zee जानकारी: महत्वाकांक्षा की आग में उबल रही तमिलनाडु की राजनीति का विश्लेषण
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Zee जानकारी: महत्वाकांक्षा की आग में उबल रही तमिलनाडु की राजनीति का विश्लेषण

Zee जानकारी: महत्वाकांक्षा की आग में उबल रही तमिलनाडु की राजनीति का विश्लेषण

तमिलनाडु की राजनीति में हर गुज़रते पल के साथ नये नये मोड़ आ रहे हैं। आप ये भी कह सकते हैं कि तमिलनाडु की राजनीति महत्वाकांक्षा की आग में उबल रही है। अब ये साफ हो गया है कि शशिकला ने पन्नीरसेल्वम पर दबाव डालकर मुख्यमंत्री पद से उनका इस्तीफा लिया और इसके बाद पार्टी के बाकी विधायकों ने शशिकला को अपना नेता चुन लिया। ऐसा करना अवैध नहीं है, लेकिन ये अनैतिक है। क्योंकि 35 वर्षों तक जयललिता के साथ उनका करीबी बनकर रहना, कभी भी मुख्यमंत्री बनने की योग्यता नहीं हो सकता। शशिकला ने आज तक कोई चुनाव नहीं लड़ा, तमिलनाडु की जनता भी उन्हें जयललिता की जगह पर नहीं देखना चाहती लेकिन शशिकला के अंदर सत्ता को हासिल करने की महत्वाकांक्षा है और वो इस समय किसी भी कीमत पर तमिलनाडु की सत्ता पर कब्ज़ा करना चाहती हैं। AIADMK के विधायकों ने उन्हें अपना नेता चुन लिया लेकिन शशिकला मुख्यमंत्री पद की शपथ नहीं ले पाईं। हम इसका विश्लेषण आगे करेंगे। हम आपको ये भी बताएंगे कि जयललिता की मौत के मामले में साज़िश के सवाल क्यों उठ रहे हैं? और अब तमिलनाडु की राजनीति में आगे क्या होगा? लेकिन सबसे पहले आपको तमिलनाडु का ताज़ा राजनीतिक अपडेट दे देते हैं। 

तमिलनाडु से सबसे बड़ी राजनीतिक ख़बर ये है कि शशिकला ने AIADMK के करीब 130 विधायकों को चेन्नई के आसपास एक Hotel में इकठ्ठा करके रखा है। राजनीति में संख्याबल बहुत अहम होता है और शशिकला इस बात को समझती हैं। आने वाले वक्त में कहीं विधायक पनीरसेल्वम गुट के पास न चले जाएं, इसलिए पहले ही शशिकला ने विधायकों को एक तरह से नज़रबंद कर दिया है।  इस बीच, आज पन्नीरसेल्वम ने एक और बड़ा ऐलान किया। उन्होंने कहा कि जयललिता की मौत की judicial inquiry करवाई जाएगी। इसके अलावा पन्नीरसेल्वम ने ये भी कहा कि अपोलो Hospital में उन्हें जयललिता से नहीं मिलने दिया गया था। पन्नीरसेल्वम द्वारा उठाए गए सवालों का विश्लेषण हम आगे करेंगे। लेकिन इससे पहले आपको ये समझना होगा कि कल रात के बाद कैसे तमिलनाडु का राजनीतिक घटनाक्रम अचानक बदल गया। कल रात को पन्नीरसेल्वम ने अचानक बगावत कर दी थी और कहा था कि उनसे जबरदस्ती इस्तीफा लिया गया। कल शाम को अचानक पन्नीरसेल्वम मरीना बीच पर जयललिता की समाधि पर करीब 40 मिनट तक बैठे रहे। 

इसके बाद पन्नीरसेल्वम ने जब मीडिया से बात की तो उन्होंने शशिकला और उनके समर्थकों पर कई गंभीर आरोप लगाए। पन्नीरसेल्वम ने ये भी कहा था कि अम्मा यानी कि जयललिता उन्हें ही मुख्यमंत्री बनाना चाहती थीं, लेकिन शशिकला ने दबाव में उनसे इस्तीफा ले लिया। पन्नीरसेल्वम के बयान के बाद देर रात शशिकला ने अपने घर पर विधायकों को बुलाया और पन्नीरसेल्वम को पार्टी के कोषाध्यक्ष पद से हटा दिया। तमिलनाडु के राजनीतिक संकट के बीच आम लोगों के मन में कई सवाल हैं? जिनका जवाब अभी तक किसी के पास नहीं है। 

पन्नीरसेल्वम और शशिकला दोनों ही जयललिता की राजनीतिक विरासत पर अपना हक जता रहे हैं, लेकिन क्या जयललिता ने इनमें से किसी को अपना उत्तराधिकारी बनाया था? पिछले वर्ष सितंबर में जब जयललिता बीमार हुई थीं, तो उन्हें अपोलो Hospital में ही क्यों भर्ती कराया गया था? पन्नीरसेल्वम भी कह चुके हैं कि आखिरी समय में उन्हें जयललिता से नहीं मिलने दिया गया था। आखिर जयललिता को उनके आखिरी समय में अपने करीबी लोगों से दूर क्यों रखा गया?  जयललिता की मौत को लेकर उनकी ही पार्टी के कुछ नेताओं ने उनकी मौत के मामले में साज़िश की आशंका जताई है। जयललिता की मौत को लेकर पारदर्शिता क्यों नहीं बरती गई? जयललिता की मौत के दो महीनों के बाद अपोलो अस्पताल के डॉक्टरों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके उनकी मौत की वजह क्यों बताई? 

शशिकला के इतने विरोध के बाद भी मुख्यमंत्री बनने पर क्यों अड़ी हुई हैं? मौजूदा घटनाक्रम को देखकर ऐसा लगता है जैसे शशिकला को तमिलनाडु का मुख्यमंत्री बनने की बहुत ज्यादा जल्दी है। हालांकि पन्नीरसेल्वम पर भी कुछ लोग सवाल उठा रहे हैं। अगर शशिकला के व्यवहार से पनीरसेल्वम को इतनी तकलीफ थी तो उन्होंने दो महीने तक इंतज़ार क्यों किया? और उनकी अंतरात्मा इतनी देर से क्यों जागी? कुल मिलाकर दो महीने पहले जयललिता की मौत से तमिलनाडु की राजनीति में जो खालीपन आया था, वो अभी तक मौजूद है। और उस खालीपन को भरने के लिए राजनीतिक युद्ध हो रहा है।

लोकतंत्र में संख्याबल का बहुत महत्व होता है और तमिलनाडु में विधायक शशिकला के साथ हैं। तमिलनाडु विधानसभा में 234 सीटें हैं, लेकिन पिछले वर्ष 232 सीटों पर ही चुनाव हुआ था और इनमें से AIADMK को 135 सीटें मिली थीं। इनमें से शशिकला ने करीब 130 विधायकों को चेन्नई के किसी अज्ञात स्थान पर रखा गया है, ताकि विधायक किसी भी खरीद फरोख्त का शिकार न हों। हालांकि ये विधायक किस होटल में रखे गए हैं। ये अभी साफ नहीं है। यानी AIADMK के 130 विधायकों का समर्थन शशिकला के पास है। हालांकि पन्नीर सेल्वम का दावा है कि उनके पास भी 50 से ज्यादा विधायक हैं। लेकिन फिलहाल बगावत की इस लड़ाई में पन्नीरसेल्वम अकेले दिख रहे हैं। पन्नीरसेल्वम के साथ तमिलनाडु की जनता की सहानुभूति तो है, लेकिन उनके पास Numbers यानी विधायकों की संख्या नहीं है। अब ये देखना होगा कि शशिकला और पन्नीरसेल्वम का Game Plan क्या है? 

शशिकला राज्यपाल के सामने अपने समर्थन में खड़े विधायकों की परेड कराकर अपनी ताकत दिखा सकती हैं। लेकिन राज्यपाल विद्यासागर राव अभी मुंबई में हैं और ऐसी संभावना है कि कल वो चेन्नई वापस आएंगे। अब अगर राज्यपाल शशिकला को सरकार बनाने के लिए नहीं कहते हैं तो फिर शशिकला सीधे दिल्ली में राष्ट्रपति के पास आ सकती हैं। ऐसी भी संभावना है कि शशिकला अपने विधायकों की परेड राष्ट्रपति के सामने कराएं और ये दिखाने की कोशिश करें कि उनके पास बहुमत है। इस लड़ाई में पन्नीरसेल्वम फिलहाल कमज़ोर दिख रहे हैं। उनके पक्ष में सहानुभूति की लहर तो है, लेकिन फिलहाल उनके साथ विधायक नहीं हैं। क्योंकि विधायक उसी गुट में जाएंगे, जो मज़बूत हो और फिलहाल शशिकला का गुट ज्यादा मज़बूत है। आगे हो सकता है कि शशिकला तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लें और सरकार चलाने भी लगें। लेकिन तमिलनाडु की राजनीति को जानने वालों का मानना है कि ऐसा करने से उन्हें तमिलनाडु के लोगों का समर्थन नहीं मिलेगा। और अगली बार जब वो चुनाव में जाएंगी तो इसका फायदा सीधे उनके विरोधियों यानी DMK को मिलेगा। 

अब सवाल ये है कि तमिलनाडु के राज्यपाल आगे क्या करेंगे? क्योंकि विधायक तो शशिकला के साथ हैं, लेकिन वो तमिलनाडु की मुख्यमंत्री नहीं हैं। पन्नीरसेल्वम मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे चुके हैं और अभी तमिलनाडु के कार्यवाहक मुख्यमंत्री हैं। ऐसे में राज्यपाल पन्नीरसेल्वम से कह सकते हैं कि वो फिलहाल मुख्यमंत्री बने रहें। शशिकला के आय से अधिक संपत्ति के मामले में जल्द ही सुप्रीम कोर्ट का फैसला आना है। इसलिए राज्यपाल फिलहाल अभी शशिकला पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतज़ार कर सकते हैं। राज्यपाल के पास एक विकल्प ये भी है कि वो विधानसभा भंग करने की सिफारिश कर सकते हैं और राज्य में राष्ट्रपति शासन लग सकता है। 

तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता का निधन आज से दो महीने पहले 5 दिसंबर को हुआ था। तब से लेकर आज तक उनकी मौत पर उठ रहे सवालों का जवाब नहीं मिल पाया है। पन्नीरसेल्वम ने भी आज प्रेस कॉन्फ्रेंस करके ये ऐलान कर दिया कि जयललिता की मौत के मामले में Judicial Inquiry की जाएगी। यानी जयललिता की मौत के मामले में पन्नीरसेल्वम को भी शक है। हालांकि आज प्रेस कॉन्फ्रेंस में पन्नीरसेल्वम ने ये भी कहा कि जयललिता जब बीमार थीं, तो 75 दिनों तक वो हर रोज़ अपोलो Hospital जाते थे, लेकिन उन्हें जयललिता से मिलने नहीं दिया गया। पन्नीरसेल्वम ने आज बहुत बड़ी बात कही है, यहां ये जानना ज़रूरी है कि जयललिता ने पहले जब भी मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ी थी तो हमेशा पन्नीरसेल्वम को ही अपनी जगह मुख्यमंत्री बनाया था। यानी वो पन्नीरसेल्वम पर विश्वास करती थीं, लेकिन इसके बावजूद उनकी बीमारी में पन्नीरसेल्वम को उनसे क्यों नहीं मिलने दिया गया। इन सवालों को जवाब तमिलनाडु की जनता के सामने आने ही चाहिए। 

तमिलनाडु की राजनीति में अनुशासन का बहुत महत्व है। वहां पार्टियों पर नेताओं की मज़बूत पकड़ होती है.. और वहां आसानी से पार्टियों में बगावत नहीं होती। शशिकला को पार्टी का अध्यक्ष बनाए जाने के मामले में चुनाव आयोग भी AIADMK को नोटिस जारी कर चुका है। अब शशिकला और पन्नीर सेलवम दोनों ही ये चाहेंगे कि केंद्र की मोदी सरकार उनका समर्थन करे।

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