Zee जानकारी : जनता के फैसले से उलट कैसे टाइम पर्सन ऑफ द ईयर का फैसला
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Zee जानकारी : जनता के फैसले से उलट कैसे टाइम पर्सन ऑफ द ईयर का फैसला

Zee जानकारी : जनता के फैसले से उलट कैसे टाइम पर्सन ऑफ द ईयर का फैसला

टाइम के Readers Poll में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 18 फीसदी वोटों के साथ विजेता चुने गए। लेकिन वो Person Of The Year नहीं बन पाए। आपको बता दूं कि वर्ष 2014 में लोकसभा चुनाव जीतने के बाद जब नरेंद्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री बने, तो उस वक्त भी जनता ने Person of the Year के लिए हुए Readers Poll में नरेंद्र मोदी को विजेता चुना था। तब नरेंद्र मोदी को 16 फीसदी वोट मिले थे। लेकिन अंतिम फैसला जनता के फैसले के बिल्कुल उलट था। क्योंकि वर्ष 2014 में Readers Poll के नतीजों के बाद मोदी के मुक़ाबले..काफी पीछे चल रहे दूसरे लोगों को PERSON OF THE YEAR की RACE में शामिल कर लिया गया था।

- वर्ष 2014 में फर्ग्युसन के प्रदर्शनकारियों को अंतिम 8 में जगह दी गई थी...जबकि Readers Poll में वो नरेंद्र मोदी के बाद दूसरे नंबर पर थे..और उन्हें सिर्फ 9.2 फीसदी वोट मिले थे।

- इबोला नर्सिंग स्टाफ को Readers Poll में सिर्फ 4.5 फीसदी वोट मिले थे और वो नंबर 5 पर थे...लेकिन बावजूद इसके उन्हें अंतिम 8 में जगह मिली।

- रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 4.3 फीसदी वोटों के साथ नंबर 6 पर रहने के बावजूद अंतिम 8 में जगह बनाने में क़ामयाब हो गए थे।

- अमेरिकी Pop Singer Taylor Swift को सिर्फ 1.7 फीसदी वोट मिले थे और वो 15वें नंबर पर थीं...लेकिन वोटिंग में मोदी के मुक़ाबले 14 स्थान पीछे रहने के बावजूद उन्हें अंतिम 8 में जगह मिल गई।

- अलीबाबा कंपनी के फाउंडर जैक मा को सिर्फ 1.2 फीसदी वोट मिले थे...और Readers Poll में 25वें नंबर पर रहने के बावजूद..वो PERSON OF THE YEAR की रेस में शामिल कर लिए गए।

- Apple के CEO टिम कुक को Online Voting में सिर्फ 1.5 फीसदी वोट मिले थे...और वो 18वें नंबर पर थे...लेकिन फिर भी उन्हें TIME के संपादकों ने अंतिम 8 में जगह दे दी।

- अमेरिकी प्रोफेशनल फुटबॉल लीग NFL के कमिश्नर Roger Goodell को जनता ने सिर्फ 0.3 फीसदी वोट दिए थे और वो Online Poll में 50वें नंबर पर थे लेकिन TIME के संपादकों को नंबर 50 पर मौजूद Roger तो नज़र आए लेकिन नंबर 1 पर मौजूद नरेंद्र मोदी नज़र नहीं आए।

- सबसे चौंका देने वाला नतीजा ये था कि वर्ष 2014 में Online Poll में शामिल 50 लोगों की लिस्ट में कुर्दिश नेता मसूद बरजानी का नाम ही नहीं था लेकिन इसके बावजूद उन्हें अंतिम 8 में जगह दे दी गई।

- यानी वर्ष 2014 में भी TIME के संपादकों ने ना सिर्फ अपने Readers के फैसले को लाल बत्ती दिखा दी थी बल्कि PERSON OF THE YEAR के अंतिम 8 नामों के चयन में Wild Card Entry देकर सबको हैरान भी कर दिया था।

- कई लोग TIME मैग्ज़ीन के संपादकों के फैसले पर सवाल खड़े कर रहे हैं। वैसे ये पहला मौका नहीं है जब TIME के फैसले पर विवाद हुआ हो। ये भी कहा जाता है कि TIME Magazine अमेरिका के हितों के मुताबिक PERSON OF THE YEAR का चुनाव करती है साथ ही TIME के संपादक अपनी मर्जी के मुताबिक PERSON OF THE YEAR का चयन करते हैं। इसके कुछ दिलचस्प उदाहरण हम आपके सामने रखना चाहते हैं...

- वर्ष 1927 से लेकर अभी तक जिन 90 लोगों को TIME Magazine ने PERSON OF THE YEAR चुना है उनमें से 54 यानी आधे से ज़्यादा अमेरिकी हैं जिनमें से 12 अमेरिकी राष्ट्रपति और 1 निर्वाचित राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप को PERSON OF THE YEAR चुना गया।

- TIME Magazine ने PERSON OF THE YEAR के लिए Online Poll की शुरूआत वर्ष 1998 में की थी और तब भी विजेता के नाम को लेकर विवाद हुआ था।

- वर्ष 1998 में Wrestler और Activist Mick(मिक) Foley(फोली) को Online Voting में क़रीब 50 फीसदी वोट मिले...लेकिन उनके नाम को Online Poll के नतीजों के बाद हटा दिया गया और उनकी जगह अमेरिकी वकील Ken(केन) Starr(स्टार) को PERSON OF THE YEAR चुन लिया गया।

- वर्ष 2006 में Venezuela(वेनेज़ुएला) के राष्ट्रपति Hugo(ह्यूगो) Chávez(शावेज़) Online Voting में 35 फीसदी वोट के साथ नंबर 1 पर थे...लेकिन TIME Magazine के संपादकों ने Readers Poll के नतीजों को दरकिनार करते हुए...इंटरनेट पर User Generated Content के लिए....You यानी आपको विजेता घोषित किया...इनमें वो तमाम लोग शामिल हैं जो अपना Content बनाते हैं और उसे Upload करते हैं

- वर्ष 2012 में Readers Poll के नतीजों में Republic of Korea के सुप्रीम लीडर Kim(किम) Jong-un(जोंग-उन) सबसे आगे थे...लेकिन संपादकों ने अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा को PERSON OF THE YEAR चुना।

- वैसे आपको बता दें कि TIME के PERSON OF THE YEAR का चयन Magazine के संपादक करते हैं और Online Poll के नतीजों का अंतिम फैसले पर कोई असर नहीं होता।

- TIME की एक Deputy Managing Editor के मुताबिक Online Poll...नतीजों के लिहाज से Unscientific है और इसमें Hacking का ख़तरा भी रहता है इसलिए अंतिम फैसले के दौरान Voting के नतीजे को बाहर रखा जाता है। 

- ऐसे में सवाल यही है कि जब Online Voting PERSON OF THE YEAR जानने का Platform नहीं है और इससे सही आंकड़ों का पता नहीं लगाया जा सकता तो फिर TIME Magazine इस तरह की Voting क्यों कराती है। कहीं ये एक तरह का मार्केटिंग स्टंट तो नहीं है।

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