Zee जानकारी : दहेज प्रथा के खिलाफ क्रांतिकारी बदलाव की गूंज
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Zee जानकारी : दहेज प्रथा के खिलाफ क्रांतिकारी बदलाव की गूंज

क्या आपने कभी देखा या सुना है कि कोई व्यक्ति अपनी शादी में मिले दहेज की रकम को वापस लौटा दे और वो भी शादी के कई वर्षों बाद। आपको ये सुनकर हैरानी हो रही होगी लेकिन ये एक सुखद सच है कि तेलंगाना में नवाबपेट गांव के लोग इन दिनों दहेज में मिली रकम वापस लौटा रहे हैं। ये समाज की सोच में आ रहे बेहतर बदलाव से जुड़ी खबर है। तेलंगाना के नवाबपेट गांव की ये छोटी सी पहल देशव्यापी मुहिम को जन्म दे सकती है क्योंकि हमारे देश और समाज में दहेज विरोधी सोच का प्रचार प्रसार होना भी शुरू हो चुका है। फरवरी 2015 में आई एक सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक-- 

Zee जानकारी : दहेज प्रथा के खिलाफ क्रांतिकारी बदलाव की गूंज

नई दिल्ली : क्या आपने कभी देखा या सुना है कि कोई व्यक्ति अपनी शादी में मिले दहेज की रकम को वापस लौटा दे और वो भी शादी के कई वर्षों बाद। आपको ये सुनकर हैरानी हो रही होगी लेकिन ये एक सुखद सच है कि तेलंगाना में नवाबपेट गांव के लोग इन दिनों दहेज में मिली रकम वापस लौटा रहे हैं। ये समाज की सोच में आ रहे बेहतर बदलाव से जुड़ी खबर है। तेलंगाना के नवाबपेट गांव की ये छोटी सी पहल देशव्यापी मुहिम को जन्म दे सकती है क्योंकि हमारे देश और समाज में दहेज विरोधी सोच का प्रचार प्रसार होना भी शुरू हो चुका है। फरवरी 2015 में आई एक सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक-- 

- 75 फीसदी युवा मानते हैं कि दहेज प्रथा का अंत करना संभव है
- 72 फीसदी युवक शादी में दहेज लेने के खिलाफ हैं।
- 59.8 फीसदी युवकों का कहना है कि दहेज मांगने वाले लोगों को तुरंत जेल भेज दिया जाना चाहिए।
- 40.2 प्रतिशत युवक दहेज लोभी ससुरालवालों का सामाजिक बहिष्कार करने को सही ठहराते हैं।
- सर्वे में शामिल 51.4 फीसदी लड़कियों ने कहा कि दहेज की मांग होने पर वो अपनी शादी तोड़ देंगी।
- 48.6 फीसदी लड़कियों ने कहा कि अगर उनके ससुरालवाले दहेज मांगेंगे तो वो सार्वजनिक तौर पर उनकी बदनामी कर देंगी।

दरअसल हमारे देश में दहेज प्रथा राष्ट्रीय और सामाजिक समस्या के साथ बेटियों के माता-पिता के लिए आर्थिक समस्या भी है बावज़ूद इसके दहेज के लेन-देन चलन बढ़ता ही जा रहा है। इसका असर ये होता है कि बेटी पैदा होते ही बहुत से माता-पिता को ये डर सताने लगता है कि बेटी की शादी में दहेज का इंतज़ाम कैसे होगा। वर्ष 2012 में Indian Human Development Survey की एक रिपोर्ट के मुताबिक--

- भारत में बेटी की शादी पर हर परिवार औसतन 1 लाख 26 हजार 724 रुपये खर्च करता है।
- भारत में हर परिवार बेटी की शादी पर औसतन 30 हजार रुपये का दहेज देता है।
- देश में औसतन हर घंटे एक महिला दहेज या दहेज संबंधी वजहों से मार दी जाती है।
- वर्ष 2012 से 2014 के दौरान देश में दहेज हत्या की 27 हजार 771 घटनाएं हुईं।
- वर्ष 2014 में दहेज की वजह से पति और ससुराल पक्ष द्वारा महिलाओं पर अत्याचार के 3 लाख 48 हजार मामले दर्ज किये गये।

दहेज के खिलाफ हमारे समाज में कई कानून भी बने लेकिन इसका कोई खास फायदा होता नजर नहीं आता है। जगह-जगह ये लिखा तो मिल जाता है कि दहेज लेना या देना अपराध है और दुल्हन ही दहेज है लेकिन ये बात सिर्फ विज्ञापनों तक ही सीमित रह जाती है। दहेज प्रथा को खत्म करने के लिए अबतक कई नियमों और कानूनों को लागू किया गया लेकिन कोई कानून कारगर साबित नहीं हो पाया--

- वर्ष 1961 में सबसे पहले दहेज निरोधक कानून बनाया गया जिसके तहत दहेज देना और लेना दोनों ही गैरकानूनी घोषित किए गए। 
- कानून तोड़ने पर पांच साल की सज़ा और 15 हजार रुपये के जुर्माने का प्रावधान है।
- देश में वर्ष 1985 में दहेज रोकने के नियमों को तैयार किया गया। इन नियमों के मुताबिक शादी के समय दिए गए उपहारों की एक लिस्ट बनाकर रखी जानी चाहिए।
-लिस्ट में हर उपहार, उस उपहार की अनुमानित कीमत, उपहार देने वाले का नाम-पता और दुल्हन से उसके रिश्ते का विवरण मौज़ूद होना चाहिए।

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