Zee जानकारी : देश के नेताओं की संपत्ति में दिन दूनी और रात चौगुनी हुई बढ़ोतरी
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Zee जानकारी : देश के नेताओं की संपत्ति में दिन दूनी और रात चौगुनी हुई बढ़ोतरी

आज का विश्लेषण शुरू करने से पहले मैं आपसे एक व्यक्तिगत सवाल पूछना चाहता हूं और मेरा सवाल ये है कि पिछले वर्ष आपकी सेलरी कितनी बढ़ी थी? 10%, 20% या अगर आपकी कंपनी और आपके बॉस को आपका काम बहुत पसंद आ गया होगा तो शायद आपकी सेलरी 30% तक बढ़ गई होगी। हमारे देश में वर्किंग क्लास या सेलरीड क्लास की आय में सालाना बढ़ोतरी औसतन इतनी ही होती है। और संपत्ति में तो इससे भी कम इज़ाफा होता है। अगर आप व्यवसाय करते हैं तो भी ईमानदारी से किए जाने वाले किसी भी व्यवसाय में 100 प्रतिशत का मार्जिन नहीं है।

Zee जानकारी : देश के नेताओं की संपत्ति में दिन दूनी और रात चौगुनी हुई बढ़ोतरी

नई दिल्ली : आज का विश्लेषण शुरू करने से पहले मैं आपसे एक व्यक्तिगत सवाल पूछना चाहता हूं और मेरा सवाल ये है कि पिछले वर्ष आपकी सेलरी कितनी बढ़ी थी? 10%, 20% या अगर आपकी कंपनी और आपके बॉस को आपका काम बहुत पसंद आ गया होगा तो शायद आपकी सेलरी 30% तक बढ़ गई होगी। हमारे देश में वर्किंग क्लास या सेलरीड क्लास की आय में सालाना बढ़ोतरी औसतन इतनी ही होती है। और संपत्ति में तो इससे भी कम इज़ाफा होता है। अगर आप व्यवसाय करते हैं तो भी ईमानदारी से किए जाने वाले किसी भी व्यवसाय में 100 प्रतिशत का मार्जिन नहीं है।

लेकिन अगर हम आपसे कहें कि हमारे देश में एक वर्ग ऐसा भी है, जिसकी संपत्ति में सिर्फ 5 वर्षों में 500% से लेकर 44 हज़ार पर्सेंट तक की बढ़ोतरी होती है, तो आप यकीन नहीं करेंगे। लेकिन ये 100 फीसदी सच है। हमारे देश के राजनेताओं की संपत्ति में सैंकड़ों प्रतिशत से लेकर कई हज़ार प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। इसीलिए आज हम दिन दूनी और रात चौगुनी गति से बढ़ती हमारे नेताओं की संपत्ति का DNA टेस्ट करेंगे। जिन लोगों के नाम हम आपको बताएंगे, उनमें देश के बड़े-बड़े नेता शामिल हैं। हमारे पास ये जानकारी तो है, कि इन नेताओं की संपत्ति में कितनी बढ़ोतरी हुई है, लेकिन हमारे पास इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि इन नेताओं की संपत्ति में ये बढ़ोतरी किस वजह से हुई है। वैसे सोचने वाली बात ये भी है कि अगर आपकी संपत्ति में 100 प्रतिशत की बढोतरी हो जाए तो आपके पास इनकम टैक्स का नोटिस आ जाएगा और आपसे स्पष्टीकरण मांगा जाएगा कि आपकी कमाई और संपत्ति इतनी ज़्यादा कैसे बढ़ गई? लेकिन हमारे नेताओं से कोई कुछ नहीं पूछता इससे उनकी सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि वो नेता हैं। और नेता होना सुख-समृद्धि की गारंटी है।

सबसे पहले हम आपको ये बताते हैं कि हमारे पास ये जानकारी कहां से आई है। ज़ी मीडिया के अख़बार DNA ने इस विषय पर दाखिल की गईं अलग अलग RTIs और प्रत्याशियों द्वारा चुनाव आयोग में दाखिल किए गए हलफनामे के माध्यम से ये जानकारी जुटाई है। जिसमें पता चला है कि देश के राजनेताओं की संपत्ति में 44 हज़ार प्रतिशत तक की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। 

हमारी टीम ने नेताओं के 'Income and Assets Declarations' पर रिसर्च किया। हमें पता चला कि मौजूदा लोकसभा के 4 सांसदों की संपत्ति 2009 से 2014 के बीच 12 सौ प्रतिशत तक बढ़ी थी। जबकि 22 ऐसे सांसद थे, जिनकी संपत्ति में 500% से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है। इनमें कई बड़े नेता भी शामिल हैं। उदाहरण के लिए कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी, की संपत्ति 2009 से 2014 तक 5 वर्षों में 573% बढ़ी। 2009 में सोनिया गांधी ने 1 करोड़ 37 लाख रुपये की संपत्ति की घोषणा की थी, जो 2014 में बढ़कर 9 करोड़ 28 लाख रुपये हो गई। 

इसी तरह से समाजवादी पार्टी के नेता मुलायम सिंह यादव की संपत्ति इन 5 वर्षों में 613% तक बढ़ी है। 2009 में मुलायम सिंह की संपत्ति 2 करोड़ 23 लाख रुपये की थी, जो 2014 में बढ़कर 15 करोड़ 96 लाख रुपये हो गई।  इस सूची में BJP के सांसद वरुण गांधी का भी नाम है। वरुण गांधी की संपत्ति 5 वर्षों में 625% तक बढ़ चुकी है। 2009 में वरुण गांधी ने अपनी संपत्ति करीब 4 करोड़ 92 लाख रुपये बताई थी, जो 2014 में बढ़कर 35 करोड़ 73 लाख रुपये हो गई। 

इस लिस्ट में कुछ और बड़े नाम भी हैं। जैसे शत्रुघन सिन्हा, जो पटना साहिब से BJP के सांसद हैं। 2009 में शत्रुघन सिन्हा की संपत्ति 15 करोड़ रुपये की थी, जो अगले 5 वर्षों में बढ़कर 131 करोड़ रुपये की हो गई। शत्रुघन सिन्हा की संपत्ति इन 5 वर्षों में 778 प्रतिशत बढ़ी है। इसी तरह से केन्द्रीय वित्त राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल की संपत्ति में भी 608 की वृद्धि दर्ज की गई है। 2009 में उनकी संपत्ति 25 लाख 63 हज़ार रुपये थी, जो 2014 में बढ़कर 1 करोड़ 81 लाख रुपये हो गई। 

भारतीय जनता पार्टी के एक और सांसद कमलेश पासवान की संपत्ति में इन 5 वर्षों में साढ़े पांच हज़ार प्रतिशत से ज्यादा की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। 2009 में कमलेश पासवान की संपत्ति करीब 17 लाख रुपये की थी, जो 2014 में बढ़कर 10 करोड़ रुपये से ज्यादा की हो गई। केरल से इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के सांसद मोहम्मद बशीर की संपत्ति में इन्हीं 5 वर्षों के दौरान 2 हज़ार प्रतिशत से ज्यादा की वृद्धि दर्ज की गई है। 2009 में उनकी संपत्ति 6 लाख 5 हज़ार रुपये की थी, जो 2014 में बढ़कर एक करोड़ 32 लाख रुपये से ज्यादा हो गई। 

ऐसा नहीं है कि सिर्फ लोकसभा के सांसदों की संपत्ति में ही बढ़ोत्तरी हुई है। इस सूची में राज्यसभा के सांसद भी हैं। इस लिस्ट में सबसे पहला नाम है केन्द्रीय पर्यावरण मंत्री अनिल माधव दवे का, जो पिछले वर्ष मध्य प्रदेश से राज्यसभा के सांसद चुने गए थे। उनकी संपत्ति में करीब 2100 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। 2010 में उनकी संपत्ति करीब 2 लाख 75 हज़ार रुपये की थी, जो 2016 में बढ़कर करीब 60 लाख 97 हज़ार रुपये की हो गई। 

इसी तरह से शिवसेना के राज्यसभा सांसद संजय राउत की संपत्ति इन 6 वर्षों में 841 प्रतिशत बढ़ी है। 2010 में संजय राउत की संपत्ति 1 करोड़ 51 लाख रुपये के करीब थी, जो 2016 में बढ़कर करीब 14 करोड़ 22 लाख रुपये हो गई। बहुजन समाज पार्टी के राज्यसभा सांसद सतीश चंद्र मिश्रा की संपत्ति इन 6 वर्षों में 698 प्रतिशत बढ़ी है। 2010 में सतीश चंद्र मिश्रा की संपत्ति 24 करोड़ 18 लाख थी, जो अगले 6 वर्षों में बढ़कर 193 करोड़ रुपये से ज्यादा की हो चुकी है। 

कांग्रेस के राज्यसभा सांसद जयराम रमेश की संपत्ति 659% बढ़ी है। 2010 में जयराम रमेश की संपत्ति 63 लाख 71 हज़ार रुपये की थी, जो वर्ष 2016 में बढ़कर 4 करोड़ 83 लाख रुपये की हो गई। और कांग्रेस की ही राज्यसभा सांसद अंबिका सोनी की संपत्ति भी करीब 500 प्रतिशत तक बढ़ी है। 2010 में अंबिका सोनी की संपत्ति करीब 17 करोड़ 59 लाख रुपये थी, जो 2016 में बढ़कर 105 करोड़ रुपये से ज्यादा की हो गई। 

विधायकों की बात करें तो कर्नाटक से कांग्रेस पार्टी के एक विधायक विष्णुनाथ की संपत्ति में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी दर्ज की गई है। विष्णुनाथ ने जब 2008 में कर्नाटक की चेनगन्नूर सीट से चुनाव लड़ा था, तो उन्होंने बताया था कि उनके पास सिर्फ 5 हज़ार 632 रुपये की संपत्ति है। लेकिन 2013 में जब उन्होंने दोबारा चुनाव लड़ने के लिए हलफनामा दाखिल किया, तो उनकी संपत्ति 44 हज़ार 325 प्रतिशत बढ़ गई और 25 लाख से ज़्यादा हो गई।

इस सूची में विष्णुनाथ अकेले नहीं हैं। 2014 में अरुणाचल प्रदेश में निर्दलीय विधायक चुनी गईं कार्या बगांग की संपत्ति में 35 हज़ार 736% की वृद्धि दर्ज की गई है। 2009 में उन्होंने जब चुनाव लड़ा था, तो अपनी संपत्ति 4 लाख 4 हज़ार 663 रुपये बताई थी, जो 2014 में बढ़कर 14 करोड़ 50 लाख रुपये से ज्यादा हो गई थी। इसी तरह से जम्मू कश्मीर में PDP के विधायक मोहम्मद खलील बंध की संपत्ति में 2009 से 2014 के दौरान साढ़े 9 हज़ार प्रतिशत की बढोतरी देखने को मिली। 

आप भी यही सोच रहे होंगे कि हमारे इन सांसदों और विधायकों की संपत्ति में इतनी बढ़ोतरी कैसे हो गई है? आपको याद होगा कि इस विश्लेषण की शुरुआत में ही मैंने आपसे कहा था कि इन नेताओं की संपत्ति में ये बढ़ोतरी कैसे हुई, इसका जवाब हमारे पास नहीं है। लेकिन हमारे देश के सांसदों की तनख्वाह यानी सेलरी कितनी होती है, ये मैं आपको बता सकता हूं। 

हमारे सांसदों की एक महीने की बेसिक सेलरी 50 हज़ार रुपये है। इसके अलावा सांसदों को संसद सत्र के दौरान 2 हज़ार रुपये का डेली अलाउंस मिलता है। सांसदों को हर महीने Constituency Allowance के तौर पर 45 हज़ार रुपये मिलते हैं। ऑफिस एक्सपेंसेज अलाउंस के नाम पर 45 हज़ार रुपये हर महीने मिलते हैं। यानी एक सांसद को महीने में कुल मिलाकर 1 लाख 40 हज़ार रुपये की सेलरी मिलती है। 

इसके अलावा सांसदों को कई और सुविधाएं मिलती हैं। रहने के लिए मुफ्त में सरकारी बंगला मिलता है, मुफ्त पानी, मुफ्त बिजली, मुफ्त हवाई यात्रा के अलावा मुफ्त टेलीफोन्स की सुविधा भी दी जाती है। इस तरह औसतन एक सांसद की सालाना आय करीब 35 लाख रुपये होती है। 

म्यूचुअल फंड में जब कोई भी निवेशक निवेश करता है, तो उससे ये कहा जाता है कि 'Investments are subject to market risk. Please read the offer document carefully before investing.' यानी आपका निवेश बाज़ार के खतरे पर आधारित है, इसलिए निवेश से पहले दस्तावेज़ों को ध्यान से पढ़ें। लेकिन राजनीति के निवेश में ये बातें लागू नहीं होती हैं। क्योंकि हमारे देश में नेता बनना सबसे अच्छा निवेश माना जाता है। और ये आंकड़े इस बात की गवाही भी दे रहे हैं। राजनीति में 5 या 6 वर्षों में संपत्ति कई गुना बढ़ जाती है। लेकिन ऐसी बढ़ोतरी निवेश के बाकी साधनों में नहीं होती है। इसके लिए हमारे पास कुछ उदाहरण भी हैं। 

भारत में सोने में सबसे अच्छा निवेश कहा जाता है। आपमें से भी बहुत से लोगों ने सोने में निवेश किया होगा। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि पिछले 5 वर्षों में सोने के दाम बढ़ने के बजाए कम हुए हैं। 2012 में प्रति 10 ग्राम सोने के दाम 31 हज़ार 50 रुपये थे, जो आज यानी 2017 में 30 हज़ार 802 रुपये प्रति दस ग्राम हैं। यानी सोने की कीमतों में 5 वर्षों में कमी आई है। 

इसी तरह से फिक्स्ड डिपॉजिट यानी FD का ब्याज भी कम हो गया है। थोड़ा सा भी पैसा होने पर मध्यवर्गीय परिवार आज भी FD करवाने के बारे में सोचता है, लेकिन अब ये निवेश भी कम फायदा देने लगा है। 2012 में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में एक साल से ज्यादा और दो साल से कम की FD करवाने पर 9.25% का ब्याज मिलता था, जो आज घटकर सिर्फ 6.9 प्रतिशत रह गया है। इसी तरह से देशभर में रियल इस्टेट के दाम भी गिरे हैं। यानी रियल इस्टेट का निवेश भी अब उतना फायदेमंद नहीं है। लेकिन राजनीति एक ऐसा निवेश है, जो लगातार फायदा दे रहा है। 
 
ये विडंबना है कि हमारे देश में अगर आम आदमी की संपत्ति में तेज़ी से इज़ाफा हो जाए तो उस पर सवाल उठने लगते हैं। इनकम टैक्स विभाग तुरंत नोटिस जारी करके जवाब मांग लेता है, और अगर आप जवाब नहीं दे पाए, तो फिर आप पर कानूनी कार्रवाई भी हो सकती है। लेकिन नेताओं के साथ ऐसा नहीं है। क्योंकि नेताओं के लिए लोहे जैसे सख्त नियम मोम की तरह पिघल जाते हैं। सरकार चाहे किसी की भी हो, नेता चाहे सरकार में बैठा हो या विपक्ष में, कानून नेताओं से उतनी सख्ती से पेश नहीं आता, जितना आम आदमी से आता है। शायद इसीलिए हमारे देश में नेता बनना सबसे अच्छा इन्वेस्टमेंट है। 

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