Zee जानकारी : ट्रैफिक जाम से भारत को हर वर्ष 60 हजार करोड़ का नुकसान
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Zee जानकारी : ट्रैफिक जाम से भारत को हर वर्ष 60 हजार करोड़ का नुकसान

Zee जानकारी : ट्रैफिक जाम से भारत को हर वर्ष 60 हजार करोड़ का नुकसान

ये दीवाली की तैयारियों का मौसम है और आप भी दिन-रात दिवाली की तैयारियां कर रहे होंगे। इस दौरान आपको घर से बाहर जाना पड़ता होगा और जब भी आप अकेले या अपने परिवार के साथ खरीददारी करने जाते होंगे तो ट्रैफिक जाम आपकी खुशियों पर पानी फेर देता होगा। कई बार ट्रैफिक जाम में फंसने के बाद आपको लगता होगा कि इससे अच्छा तो मैं पैदल ही चला जाता। 

ये पूरे देश की हकीकत है, इसीलिए आज हम देश की जाम हो चुकी नसों का डीएनए टेस्ट करेंगे। सवाल ये है कि त्यौहारों के मौसम में ट्रैफिक जाम से निपटने के लिए हमारी सरकारें कोई रणनीति क्यों नहीं बनाती हैं? और अगर सरकारें कोई नीति बनाती भी हैं तो वो सड़क पर दिखती क्यों नहीं हैं। हमने आज ट्रैफिक जाम से आपकी जेब और ज़िंदगी पर पड़ने वाले बोझ पर गहन रिसर्च किया है जिसके आंकड़े आपको चौंका देंगे। 

इन आंकड़ों को देखकर आप समझ जाएंगे कि आखिर किस तरह से इस ट्रैफिक जाम से त्यौहार के मौके पर आपका मूड खराब हो रहा है। देश का नुकसान हो रहा है और कैसे ये ट्रैफिक जाम आपकी जेब पर भी भारी पड़ रहे हैं।

- वर्ष 2012 में Transport Corporation of India और IIM Kolkata द्वारा की गई स्टडी के मुताबिक, ट्रैफिक जाम की वजह से भारत को हर वर्ष करीब 60 हज़ार करोड़ रुपये का नुकसान होता है।

- स्टडी बताती है कि देश के अंदर 17 बड़े routes पर Fuel Mileage का 
राष्ट्रीय औसत सिर्फ़ 3.96 किलोमीटर प्रति लीटर है यानी एक लीटर पेट्रोल या डीज़ल में लगभग 4 किलोमीटर।

- Centre for Transforming India के एक सर्वे के मुताबिक, Traffic Jams की वजह से हर रोज़ लोगों के करीब 90 मिनट बर्बाद हो जाते हैं। 

- 90 मिनटों को लेकर अगर हम बड़े पैमाने पर गणना करें तो एक वर्ष में एक व्यक्ति के 32 हज़ार 850 मिनट Traffic Jams में बर्बाद होते हैं जो करीब 547 घंटे यानी करीब 23 दिन के बराबर है।

- अगर एक व्यक्ति की औसत उम्र 60 वर्ष मानी ली जाए तो तो 60 वर्ष में 1 हज़ार 380 दिन यानी करीब 4 वर्ष Traffic Jams में ही बर्बाद हो जाते हैं।

- एक सर्वे के मुताबिक दुनिया भर में पार्किंग की जगह को लेकर सबसे ज्यादा विवाद दिल्ली और बेंगलुरू में होते हैं। 

- दिल्ली के 58 फीसदी वाहन चालक और बेंगलुरू के 44 फीसदी वाहन चालक रोज़ पार्किंग के लिए बहस करते हैं।

- पार्किंग को लेकर होने वाली बहस के मामले में केन्या की राजधानी नैरोबी तीसरे और इटली का शहर मिलान चौथे नंबर पर है।

- भारत में एक वाहन चालक को पार्किंग की जगह तलाशने में कई बार 31 से 40 मिनट तक का वक्त भी लग सकता है। 

- पार्किंग पर किए गए इस सर्वे के मुताबिक 30% मामलों में ट्रैफिक जाम भी अस्त व्यस्त पार्किंग की वजह से लगता है। 

- इसके अलावा ट्रैफिक नियमों को ना मानना भी भारत की समस्या को काफी हद तक बढ़ा देता है।

- देश की राजधानी दिल्ली का हाल ये है कि यहां एक करोड़ से ज़्यादा गाड़ियां हैं और यहां की सभी बड़ी सड़कों पर Peak hours में ट्रैफिक की स्पीड पांच किलोमीटर प्रति घंटा हो जाती है। 

- दिल्ली में कई जगह सड़कों के डिज़ाइन में भारी खामियां हैं। कई जगहों पर छह लेन की सड़क अचानक से दो लेन की हो जाती है।

- अक्सर देखा गया है कि ट्रैफिक सिग्नल की टाइमिंग सही नहीं होती है। समस्या ये भी है कि लोग सड़क पर नियमों का पालन नहीं करते हैं।

- सड़कों पर लेन सिस्टम का पालन नहीं होता और शॉर्टकट मारने के चक्कर में जाम लग जाते हैं। इसके अलावा रैलियों और विरोध-प्रदर्शनों की वजह से भी जाम लगते हैं।

- अतिक्रमण, खराब मैनेजमेंट और लोगों में Civic Sense की कमी इसकी बड़ी वजह है। इसके अलावा बेहतर पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम की कमी भी इसके लिए ज़िम्मेदार है।

- IBM की एक स्टडी के मुताबिक, ट्रैफिक जाम में बर्बाद होने वाले समय से Productivity 40% तक कम हो जाती है।

- Central Road Research Institute के मुताबिक दिल्ली में रहने वाला एक कर्मचारी अपने 30 वर्ष के करियर में ट्रैफिक जाम में इतना समय बर्बाद कर देता है जो 6 वर्ष के बराबर है।

- इसी रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली से नोएडा या गुड़गांव जाने वाला कर्मचारी अपने 30 वर्ष के करियर में ट्रैफिक जाम में इतना समय बिता देता है जो 8 वर्ष के बराबर होता है।

- एक ग्लोबल सर्वे के मुताबिक दिल्ली और बेंगलुरू ट्रैफिक के मामले में दुनिया के 10 सबसे ख़राब शहरों में शामिल हैं। 

- ट्रैफिक जाम लगने की एक बड़ी वजह है ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन। हालांकि केन्द्र सरकार ने हाल ही में Motor Vehicles Act में भी बदलाव किया है।
 
- नॉर्वे में ट्रैफिक नियम तोड़ने वालों को जेल के साथ-साथ अपनी वार्षिक आय का 10 प्रतिशत जुर्माने के तौर पर देना पड़ता है। 

- जबकि आइसलैंड में ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करने वालों पर 1 लाख 80 हज़ार रुपये तक का जुर्माना लगाया जाता है।

- फ्रांस में कार चलाते हुए हमेशा  Breath-alyzer साथ में रखना होता है, Breath-alyzer एक ऐसा यंत्र है जिससे पुलिस ये पता लगाती है कि वाहन चलाने वाले ने कितनी मात्रा में शराब पी है। 

- फ्रांस में कार में Breath-alyzer ना रखने पर Driver को 11 यूरो यानी करीब 814 रुपये का जुर्माना देना पड़ता है। 

- जापान में अगर आप किसी ऐसे ड्राइवर के साथ बैठे हैं जिसने शराब पी हुई है तो आपको भी कानून सज़ा देगा फिर चाहे आप खुद शराब पीते हों या नहीं।

- रूस में कार की सफाई ना करना एक अपराध है। रूस में गंदी कार चलाने वाले लोगों पर जुर्माना लगाया जाता है। 

- टर्की में कार में fire extinguisher रखना अनिवार्य है। ऐसा ना करने पर Driver पर जुर्माना लगाया जाता है और उसे सज़ा भी हो सकती है। 

- भारत में पुराने कानूनों में बदलाव करके सड़क पर यातायात को सुरक्षित बनाने की कोशिश हो रही है लेकिन हमें लगता है कि भारत में नियमों का उल्लंघन रोकने के लिए सिर्फ कानून ही काफी नहीं होंगे। 

- भारत में वाहन चलाने वाले लोगों में सड़क पर चलने का संस्कार पैदा करने की भी बहुत ज़रूरत है क्योंकि भारत में नियमों और कानूनों की कमी नहीं है। 

- हमारी सरकार को यातायात के नियम तोड़ने वालों के प्रति Zero tolerance की नीति अपनानी होगी.. तभी सड़कों को Traffic Jams और दुर्घटनाओं से मुक्ति मिलेगी।

- European Heart Journal में छपे एक रिसर्च के मुताबिक रोड रेज के दौरान आने वाले गुस्से से Heart Attack की आशंका 5 गुना बढ़ जाती है। जबकि Stroke की आशंका 3 गुना ज्यादा हो जाती है।

- सड़कों पर ट्रैफिक Jam देखकर कई बार लोग अपना आपा खो देते हैं और कई लोगों के बीच तो मारपीट भी हो जाती है। लेकिन ये मारपीट सिर्फ शरीर को बाहर से चोट पहुंचाती है। जबकि इस दौरान जो गुस्सा आपको आता है वो आपको अंदर ही अंदर बीमार करने लगता है।

- डॉक्टरों का मानना है कि ज़्यादा गुस्से की वजह से, लोगों को इंफेक्शन, त्वचा से जुड़ी समस्याएं, सिरदर्द, जुकाम, हमेशा थकान महसूस करना और हाई ब्लड प्रैशर जैसी बीमारियां भी हो जाती हैं।

- आप कह सकते हैं कि भारत की सड़कों पर आने वाले दिनों में Accidents के साथ साथ खराब Traffic System की वजह से भी मौते होने लगेंगी।

- वो दिन बहुत दुखद होगा जब किसी को ये कहना पड़ेगा कि उनके जानने वाले की मौत सिर्फ इसलिए हो गई क्योंकि उनके दिमाग और शरीर में Traffic वाला Tension आखिरी स्टेज पर पहुंच चुका था।

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