ZEE जानकारी: उत्तर प्रदेश निकाय चुनावों के नतीजे बीजेपी के लिए किसी संजीवनी से कम नहीं
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ZEE जानकारी: उत्तर प्रदेश निकाय चुनावों के नतीजे बीजेपी के लिए किसी संजीवनी से कम नहीं

उत्तर प्रदेश में कुल 16 नगर निगम हैं, जिनमें से आज बीजेपी को 14 पर जीत मिली है. उत्तर प्रदेश में पिछली बार जब 2012 में नगर निकाय के चुनाव हुए थे, तब सिर्फ 12 नगर निगम थे.

ZEE जानकारी: उत्तर प्रदेश निकाय चुनावों के नतीजे बीजेपी के लिए किसी संजीवनी से कम नहीं

आतंक के बाद.. अब इलेक्शन की बात करते हैं.  उत्तर प्रदेश के निकाय चुनावों यानी Local Body Elections के नतीजे आ चुके हैं और इन नतीजों में भविष्य के कई संकेत छिपे हुए हैं. इसलिए इन नतीजों का विश्लेषण करना ज़रूरी है. वैसे तो निकाय चुनाव बहुत छोटे चुनाव माने जाते हैं. लेकिन जब ये चुनाव उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में हों तो इनके मायने अलग हो जाते हैं. उत्तर प्रदेश अगर कोई देश होता तो आबादी के लिहाज़ से दुनिया में पांचवें नंबर पर होता. जनसंख्या के मामले में उत्तर प्रदेश पाकिस्तान से भी बड़ा है. इसलिए यहां होने वाले हर चुनाव का राष्ट्रीय स्तर की राजनीति पर.. गहरा असर पड़ता है. उत्तर प्रदेश के निकाय चुनावों में आज बीजेपी की बंपर जीत हुई है. इन चुनावों ने ये बता दिया है कि उत्तर प्रदेश के वोटर के मन में क्या है. 

2019 के लोकसभा चुनावों में अब डेढ़ साल से भी कम का वक्त बचा है. ऐसे में गुजरात के विधानसभा चुनावों से ठीक पहले उत्तर प्रदेश निकाय चुनावों के ये नतीजे बीजेपी के लिए किसी संजीवनी से कम नहीं हैं. पिछले 8 महीने से उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के बारे में तरह तरह की बातें हो रही थीं. विपक्ष योगी आदित्यनाथ पर ये आरोप लगा रहा था कि वो जनता की उम्मीदों पर खरे नहीं उतर रहे हैं. लेकिन आज के नतीजों से ऐसा लगता है कि बीजेपी अभी भी लोगों की पहली पसंद बनी हुई है.

उत्तर प्रदेश में कुल 16 नगर निगम हैं, जिनमें से आज बीजेपी को 14 पर जीत मिली है. उत्तर प्रदेश में पिछली बार जब 2012 में नगर निकाय के चुनाव हुए थे, तब सिर्फ 12 नगर निगम थे. लेकिन पिछले 5 वर्षों में 4 नगर निगम और बनाए गए. इनके नाम हैं - अयोध्या, फिरोज़ाबाद, मथुरा और सहारनपुर. और इन चारों में बीजेपी ने ही जीत दर्ज की है. 

पिछली बार हुए चुनावों में 12 में से 11 नगर निगमों में बीजेपी के उम्मीदवार जीते थे. लेकिन इस बार दो नगर निगमों में... BJP...  BSP से हार गईं. ये नगर निगम हैं - अलीगढ़ और मेरठ. यानी विधानसभा चुनावों में बुरी तरह से हारने वाली BSP... उत्तर प्रदेश की राजनीति में Bounce Back करने की कोशिश कर रही है. समाजवादी पार्टी और कांग्रेस.. दोनों ही मेयर की एक भी सीट नहीं जीत पाई हैं. 

16 नगर निगमों के अलावा उत्तर प्रदेश की 198 नगरपालिकाओं और 438 नगर पंचायतों के नतीजे भी आज घोषित हुए हैं. नगर निगम के चुनाव Electronic Voting Machines से हुए थे. इसलिए उनके नतीजे जल्दी घोषित हो गए. जबकि नगर पंचायत और नगर पालिकाओं के चुनाव Ballot Paper से हुए थे. इसलिए उनके नतीजे आने में वक्त लग रहा है. लेकिन हमारे पास जो नतीजे आ गए हैं, उनके बारे में हम आपको बता देते हैं. 198 नगर पालिकाओं में से बीजेपी को अब तक 66 सीटें मिल चुकी हैं. 

समाजवादी पार्टी ने भी अच्छा प्रदर्शन किया है... वो 43 सीटों पर जीत चुकी है. जबकि BSP को 26 सीटों पर जीत मिली है. इसके अलावा कांग्रेस को 8 सीटें मिली हैं, जबकि 42 निर्दलीय उम्मीदवार भी नगर पालिका के अध्यक्ष बन चुके हैं. अभी भी मतगणना जारी है. और अगर नगर पंचायतों की बात करें तो 438 में से बीजेपी को 100 सीटें मिल चुकी हैं. समाजवादी पार्टी को 83, बीएसपी को 45 और कांग्रेस को 17 सीटें मिली हैं. जबकि 179 निर्दलीय उम्मीदवारों को नगर पंचायत अध्यक्ष पद पर जीत मिली है. 

ये नतीजे देखने के बाद आपको लग रहा होगा कि सबसे बड़ी जीत तो निर्दलीय उम्मीदवारों की हुई है, तो फिर इसे बीजेपी की जीत क्यों कहा जा रहा है. इसका जवाब भी हम आपको बता देते हैं. नगर निकाय चुनावों में मेयर का चुनाव सबसे बड़ा होता है. और इस चुनाव में बीजेपी को 16 में से 14 सीटें मिली हैं. इसलिए ये जीत बीजेपी के लिए बड़ी है. जबकि नगर पंचायत और नगर पालिकाओं में स्थानीय मुद्दे महत्वपूर्ण होते हैं. लोग पार्टी को देखकर नहीं बल्कि प्रत्याशी को देखकर वोट देते हैं. इसीलिए निर्दलीय उम्मीदवारों को ज़्यादा सीटें मिली हैं. वैसे तो इन चुनावों की.. विधानसभा चुनावों से तुलना नहीं हो सकती, क्योंकि विधानसभा चुनावों में पूरे प्रदेश की जनता ने वोट दिया था. जबकि इन स्थानीय निकाय चुनावों में सिर्फ शहरों और कस्बों की जनता ने वोट दिया था. 

इसी वर्ष हुए विधानसभा चुनावों में बीजेपी और उसके सहयोगियों को 403 में से 325 सीटें यानी करीब 81% सीटें मिली थीं. जबकि नगर निगम के चुनावों में बीजेपी को 87.5% सीटों पर जीत मिली हैं. इस हिसाब से भी ये एक बड़ी जीत है.

उत्तर प्रदेश के इन निकाय चुनावों से अगर कोई सबसे ज्यादा निराश होगा तो वो है कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी. इन चुनावी नतीजों ने राहुल गांधी और कांग्रेस के राजनीतिक भविष्य का बल्ब बुझा दिया है. क्योंकि कांग्रेस पार्टी अपने परंपरागत गढ़ अमेठी में भी हार गई है. अमेठी में दो नगरपालिकाएं हैं. गौरीगंज और जायस . और इन दोनों नगरपालिकाओं में कांग्रेस पार्टी हार गई है. गौरीगंज नगरपालिका सीट पर समाजवादी पार्टी जीती है, जबकि जायस नगरपालिका सीट पर BJP जीती है. 

इसके अलावा सोनिया गांधी की लोकसभा सीट रायबरेली में भी.. कांग्रेस बुरी तरह हार गई है. यहां नगर पालिका और नगर पंचायत की कुल 9 सीटें थीं, जिनमें से कांग्रेस सिर्फ 1 सीट पर ही जीत पाई. कांग्रेस सिर्फ रायबरेली नगरपालिका में ही जीत पाई है. यहां 2-2 सीटें बीजेपी और समाजवादी पार्टी ने जीती हैं, जबकि 4 सीटें निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीती हैं. यानी निर्दलीय प्रत्याशी जीत रहे हैं, और कांग्रेस के प्रत्याशी अपने ही गढ़ में हार रहे हैं. 

ये नतीजे बता रहे हैं कि राहुल गांधी को 2019 में अमेठी और रायबरेली में बहुत तकलीफ होने वाली है. रायबरेली और अमेठी की सीटों को भले ही कांग्रेस का गढ़ कहा जाता हो, लेकिन 2019 में ये नतीजे बदल भी सकते हैं. क्योंकि अब इन सीटों पर धीरे धीरे बीजेपी की सेंध लग रही है. परंपरागत तौर पर ये सीट कांग्रेस की ही मानी जाती है, क्योंकि फिरोज़ गांधी, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी इसी सीट से चुनाव लड़ते थे और जीतते थे. सन 2004 से ही सोनिया गांधी रायबरेली से सांसद हैं और राहुल गांधी अमेठी से सांसद हैं. लेकिन भविष्य में यहां कांग्रेस के पैर उखड़ सकते हैं. इसकी वजह जानने के लिए आपको कुछ आंकड़ों पर गौर करना चाहिए.

2014 के लोकसभा चुनावों में 80 सीटों वाले उत्तर प्रदेश में कांग्रेस सिर्फ रायबरेली और अमेठी की सीटें ही जीत पाई थीं . और इन दो सीटों पर भी कांग्रेस का वोट प्रतिशत कम हो गया था. लेकिन 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में रायबरेली और अमेठी में कांग्रेस पार्टी बुरी तरह हार गई. 

2014 के लोकसभा चुनावों में राहुल गांधी अमेठी सीट पर 1 लाख 7 हज़ार Votes से जीते थे. उन्होंने बीजेपी की स्मृति ईरानी को हराया था. लेकिन ये जीत पहले जितनी आसान नहीं थी. ((वोटों की गिनती के दौरान एक वक़्त ऐसा भी आया था जब स्मृति ईरानी.. राहुल गांधी से आगे चल रही थीं.))

लेकिन 2017 के विधानसभा चुनावों के नतीजों के बाद कांग्रेस पार्टी इस पूरे इलाके में BJP से करीब 1 लाख 9 हज़ार वोटों से पीछे रही. 2014 में रायबरेली से सोनिया गांधी करीब साढ़े 3 लाख वोट से जीती थीं, लेकिन 2017 के विधानसभा चुनावों के नतीजों के बाद इस इलाक़े में कांग्रेस के पास सिर्फ 30 हज़ार वोटों की ही Lead रह गई. 

ये आंकड़े कांग्रेस को अंदर तक हिलाने के लिए काफी हैं. अमेठी और रायबरेली में कुल मिलाकर 10 विधानसभा सीटें हैं, लेकिन इसी वर्ष हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को 10 में से सिर्फ 2 सीटें ही मिल पाईं, जबकि दो सीटें समाजवादी पार्टी को और बाकी की 6 सीटें बीजेपी को मिलीं. यहां कांग्रेस का प्रदर्शन इतना खराब था कि 4 सीटों पर, वो तीसरे या चौथे नंबर पर रही. नोट करने वाली बात ये है कि अमेठी की 4 विधानसभा सीटों में से कांग्रेस एक सीट भी नहीं जीत पाई थी. ये कांग्रेस के लिए एक बहुत बड़ा राजनीतिक अलार्म है.. आज के निकाय चुनावों के नतीजे राहुल गांधी और सोनिया गांधी की नींद उड़ाने के लिए काफी हैं. 

अब तक हमारे देश में निकाय चुनाव के नतीजों पर ज़्यादा ध्यान नहीं दिया जाता था.. और ना ही इसे ज़्यादा कवरेज मिलती थी. लेकिन आज सुबह जब देश के तमाम लोगों ने अपने Television Sets On किए.. तो उन्हें निकाय चुनाव की Non Stop और ज़बरदस्त कवरेज देखने को मिली. अलग अलग Television Studios में Experts के लंबे चौड़े पैनल थे... चुनावी नतीजों की Tally लगातार स्क्रीन पर चल रही थी... और लोगों को पल पल के Updates मिल रहे थे. निकाय चुनावों का ऐसा राष्ट्रीय प्रसारण आपने शायद इससे पहले कभी नहीं देखा होगा. आने वाले समय में हो सकता है कि ग्राम पंचायत और Resident Welfare Associations के चुनावों की भी ऐसी ही कवरेज आपको देखने को मिले. 

वैसे हमें इस बात का ध्यान भी रखना होगा कि उत्तर प्रदेश की आबादी 20 करोड़ से ज़्यादा है और इस हिसाब से यहां के निकाय चुनाव का दायरा... किसी दूसरे देश में होने वाले चुनावों से कम नहीं है. राजनीति में दिलचस्पी रखने वाले लोगों को इन नतीजों से अच्छा खासा मसाला मिल गया है और कई राजनीतिक पार्टियों को ये एहसास हो गया है कि उनके पैरों के नीचे की चुनावी ज़मीन खिसक रही है.

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