Zee जानकारी: कौन हैं जिनसे कश्मीर की शांति देखी नहीं जाती
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Zee जानकारी: कौन हैं जिनसे कश्मीर की शांति देखी नहीं जाती

Zee जानकारी: कौन हैं जिनसे कश्मीर की शांति देखी नहीं जाती

मैंने आपको जानकारी दी थी, कि कैसे बड़गाम ज़िले में एक आतंकवादी के ख़िलाफ सुरक्षाबलों की कार्रवाई के दौरान, पत्थरबाज़ों की फौज एक बार फिर बाहर निकल आई थी. इन लोगों ने CRPF और राज्य की पुलिस पर हमला किया, उन्हें अपशब्द कहे, लेकिन सुरक्षाबलों ने संयम बरता. इस दौरान सुरक्षाबलों की कार्रवाई में एक आतंकवादी को मार गिराया गया और तीन पत्थरबाज़ों की भी मौत हो गई. यहां नोट करने वाली बात ये है कि CRPF के 43 जवान और जम्मू-कश्मीर पुलिस के 20 जवान सिर्फ एक आतंकवादी के चक्कर में ज़ख्मी हुए थे. सुरक्षाबलों की ये कार्रवाई अलगाववादी नेता सैय्यद अली शाह गिलानी को पसंद नहीं आई. और उन्होंने घर बैठे, अपने मोबाइल फोन की मदद से लोगों को भड़काने वाली Speech दी. हालांकि, अति-उत्साह में दिया गया भाषण देश-विरोधी सोच रखने वाले लोगों के एजेंडे को भी बेनक़ाब कर देता है. गिलानी के साथ भी ऐसा ही हुआ है.
 
कल विश्लेषण के दौरान हमने आपको जानकारी दी थी, कि पत्थरबाज़ों की फौज को भड़काने के लिए पाकिस्तान और उसके आतंकवादी युद्ध-स्तर पर काम कर रहे हैं. और इन लोगों का असली निशाना हैं जम्मू-कश्मीर की दो लोकसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव. जम्मू कश्मीर में वोटिंग और लोकतांत्रिक प्रक्रिया में अड़चन डालने के लिए, इन पत्थरबाज़ों को हर वक़्त तैयार रहने के लिए कहा गया है. और सैयद अली शाह गिलानी जैसे अलगाववादी. अपने घर में नज़रबंद होने के बावजूद पाकिस्तान के हितों की रक्षा कर रहे हैं, कश्मीर के लोगों की पीठ में छुरा घोंप रहे हैं. और लोगों को लोकतंत्र का विरोध करने के लिए भड़का रहे हैं. आज ऐसे अलगाववादी नेताओं की देशविरोधी सोच का पर्दाफाश करना ज़रूरी है. हमारे पास सैयद अली शाह गिलानी का एक वीडियो है. जो 5 मिनट 50 सेकेंड का है. इस वीडियो में गिलानी ने कई ऐसी बातें बोली हैं जो हम आपको नहीं सुनवा सकते. इसलिए हमें इसे Edit करना पड़ा है. लेकिन इसे देखकर आपको ये समझ में आ जाएगा कि आखिर जम्मू-कश्मीर में हो क्या रहा है. और वो कौन से लोग हैं जिनसे कश्मीर की शांति देखी नहीं जाती.

सैयद अली शाह गिलानी अपनी ज़रूरत के मुताबिक अपनी नागरिकता चुनते हैं और देश का माहौल ख़राब करने में अपनी सक्रिय भूमिका निभाते हैं. गिलानी आज बंद कमरे में बैठकर, कश्मीर घाटी के युवाओं को आज़ादी का ज्ञान दे रहे हैं, भारत से आज़ादी लेने के लिए लोगों को भड़का रहे हैं. इसलिए आज सईद अली शाह गिलानी से कुछ चुभने वाले सवाल पूछने ज़रुरी हैं. ये वही गिलानी है, जिन्हें अपनी बीमार बेटी से मिलने के लिए जब सऊदी अरब जाने की ज़रुरत महसूस होती है, तो वो श्रीनगर के पासपोर्ट ऑफिस जाकर नागरिकता वाले Column में खुद को Indian बताते हैं. लेकिन जम्मू-कश्मीर के लोगों को गुमराह करने के वक्त ये अपनी नागरिकता भूल जाते हैं. और खुद को Defend करते हुए ये कहते हैं, कि By Birth I Am Not Indian.

सवाल ये है, कि अगर गिलानी खुद को जन्म से हिन्दुस्तानी ही नहीं मानते, तो फिर उन्होंने उस वक्त आवाज़ क्यों नहीं उठाई, जब उनके पोते अनीस-उल-इस्लाम को, जम्मू-कश्मीर राज्य के Tourism Department में मोटी तनख्वाह पर Appoint किया गया था. आपको याद दिला दें कि गिलानी की पोती अक्टूबर, 2016 में 10वीं की परीक्षा में बैठी थी. उस वक्त गिलानी ने कश्मीर में अपने एजेंडे के तहत स्कूल बंद करवाने की मुहिम चला रखी थी. लेकिन अपनी पोती के लिए गिलानी का दिल पसीज गया था. और उसके Exam के लिए ख़ास इंतज़ाम किए गए थे. यहां हम स्पष्ट कर दें कि हमें सैयद अली शाह गिलानी की पोती की पढ़ाई से कोई समस्या नहीं. हम जो कुछ भी कह रहे हैं वो पूरी ज़िम्मेदारी के साथ कह रहे हैं.

हमारा विचार ये है, कि अगर गिलानी जैसे अलगाववादी नेताओं के बच्चे, अमन-शांति और खुशहाल ज़िन्दगी जी सकते हैं, तो फिर घाटी के युवाओं को नफरत और देशद्रोह की आग में क्यों झोंका जा रहा है? भारत एक उदार देश है और हमारी उदारता दुनियाभर में मशहूर है लेकिन हमारे देश के अंदर बैठे कुछ लोग, इस उदारता का ग़लत फ़ायदा उठाते हैं. ये एक ऐसा चरित्र है जिसका पर्दाफाश करना ज़रूरी है.

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