Zee जानकारी : क्या भ्रष्टाचार से निपटने में दक्षिण कोरिया जैसा बन पाएगा भारत?
Advertisement

Zee जानकारी : क्या भ्रष्टाचार से निपटने में दक्षिण कोरिया जैसा बन पाएगा भारत?

अब हम भ्रष्टाचार के खिलाफ एक ऐतिहासिक फैसले का विश्लेषण करेंगे। ये एक ऐसा फैसला है जिसकी वजह से पहले एक देश की राष्ट्रपति को उसके पद से हटाया गया और आज उसे गिरफ़्तार करके जेल भेज दिया गया। ज़ाहिर है हम भारत की नहीं किसी दूसरे देश की ही बात कर रहे हैं, क्योंकि भारत में भ्रष्टाचार के आरोपियों को ऐसी सज़ा मिलना असंभव सी बात लगती है। हम दक्षिण कोरिया की बात कर रहे हैं, जहां की पहली महिला राष्ट्रपति 'पार्क गुन हे' को गिरफ्तार करके जेल में डाल दिया गया है। क्योंकि उन पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे हैं। इससे पहले 'पार्क गुन हे' पर उन्हीं की संसद में महाभियोग भी चलाया गया। यानी वहां की संसद ने राष्ट्रपति को उनके पद से हटाने के लिए प्रस्ताव पारित किया था। इसके बाद 10 मार्च को दक्षिण कोरिया की संवैधानिक अदालत ने पार्क गुन हे को राष्ट्रपति पद से हटाने का फैसला सुनाया था। 

Zee जानकारी : क्या भ्रष्टाचार से निपटने में दक्षिण कोरिया जैसा बन पाएगा भारत?

नई दिल्ली : अब हम भ्रष्टाचार के खिलाफ एक ऐतिहासिक फैसले का विश्लेषण करेंगे। ये एक ऐसा फैसला है जिसकी वजह से पहले एक देश की राष्ट्रपति को उसके पद से हटाया गया और आज उसे गिरफ़्तार करके जेल भेज दिया गया। ज़ाहिर है हम भारत की नहीं किसी दूसरे देश की ही बात कर रहे हैं, क्योंकि भारत में भ्रष्टाचार के आरोपियों को ऐसी सज़ा मिलना असंभव सी बात लगती है। हम दक्षिण कोरिया की बात कर रहे हैं, जहां की पहली महिला राष्ट्रपति 'पार्क गुन हे' को गिरफ्तार करके जेल में डाल दिया गया है। क्योंकि उन पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे हैं। इससे पहले 'पार्क गुन हे' पर उन्हीं की संसद में महाभियोग भी चलाया गया। यानी वहां की संसद ने राष्ट्रपति को उनके पद से हटाने के लिए प्रस्ताव पारित किया था। इसके बाद 10 मार्च को दक्षिण कोरिया की संवैधानिक अदालत ने पार्क गुन हे को राष्ट्रपति पद से हटाने का फैसला सुनाया था। 

इस ख़बर को समझना आज आप सबके लिए ज़रूरी है। ये पूरा मामला दक्षिण कोरिया का है, ऐसे में आप ये भी सोच रहे होंगे कि एक भारतीय के रूप में आपको ये ख़बर क्यों समझनी चाहिए तो मैं आपको याद दिला दूं कि भारत और दक्षिण कोरिया के बीच एक दर्द का रिश्ता है और उस दर्द का नाम है भ्रष्टाचार। लेकिन इस दर्द का इलाज करने के लिए दोनों देशों की सोच और कार्रवाई करने की इच्छाशक्ति में बहुत फर्क है।

दक्षिण कोरिया में भ्रष्टाचार को लेकर जीरो टॉलरेंस पॉलिसी है और इसी बात ने हमें इस ख़बर का विश्लेषण करने की प्रेरणा दी है। पिछले महीने ही दक्षिण कोरिया में भ्रष्टाचार के आरोप में ही इलेक्ट्रानिक्स कंपनी सैमसंग के प्रमुख को भी गिरफ्तार किया गया था। राष्ट्रपति की गिरफ्तारी और सैमसंग के प्रमुख की गिरफ़्तारी ये दोनों मामले एक दूसरे से जुड़े हुए हैं, क्योंकि जिस पॉलिटिकल स्कैंडल ने दक्षिण कोरिया की राजनीति को हिलाकर रख दिया है, उसमें भ्रष्टाचार का आरोप सैमसंग के अधिकारियों पर भी लगा है। इसीलिए पिछले महीने सैमसंग के प्रमुख Lee Jae-yong को भी गिरफ्तार कर लिया गया था। हालांकि Lee के वकीलों ने उन पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों को निराधार बताया है। 

हमारे देश में जब भी किसी नेता पर भ्रष्टाचार का कोई आरोप लगता है, तो वो उसे विपक्षी दलों की साज़िश बता देता है। हमारे देश में ज्यादातर मामलों में नेता गिरफ्तार नहीं होते, और अगर हो भी जाएं, तो तुरंत ज़मानत पर छूट जाते हैं। और फिर इसके बाद अदालत में वर्षों तक केस चलता है और ज्यादातर मामलों में नेता बरी हो जाते हैं। कई मामलों में ये भी देखा गया है कि नेता गिरफ़्तार होने के बाद जेल के अंदर से ही रिमोट कंट्रोल से अपनी सत्ता चलाते रहते हैं।

लेकिन दक्षिण कोरिया में ऐसा कुछ नहीं हुआ। दक्षिण कोरिया में अगर आरोपों में दम हो, तो राष्ट्रपति को भी गिरफ्तार किया जा सकता है। हमारे देश में जब कोई बड़ा कारोबारी, भ्रष्टाचार या धोखाधड़ी के आरोपों में फंसता है, तो वो अपने रसूख का फायदा उठाकर और महंगे महंगे वकीलों की मदद लेकर छूट जाता है। या फिर विदेश भाग जाता है। इसका सबसे ताज़ा उदाहरण विजय माल्या का है। सैमसंग के प्रमुख Lee Jae-yong के मुकाबले विजय माल्या बहुत छोटे उद्योगपति हैं। विजय माल्या ने बैंकों से कर्ज़ में लिया गया पैसा नहीं लौटाया। लेकिन इससे पहले कि विजय माल्या पर कोई कार्रवाई होती, वो देश छोड़कर भाग गए। विजय माल्या लंडन में हैं, और वहां लगातार सक्रिय हैं। वो तरह तरह के बिजनेस इवेंट्स में हिस्सा लेते रहते हैं। लेकिन अभी तक भारत सरकार उन्हें लंडन से वापस भारत नहीं ला पाई है।
 
जबकि दक्षिण कोरिया में ऐसा कुछ नहीं हुआ। दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक सैमसंग के प्रमुख के खिलाफ जब भ्रष्टाचार का मामला आया तो वो अपना देश छोड़कर नहीं भागे। उन्होंने कानूनी कार्रवाई का सामना किया, जिसमें उन्हें जेल भी जाना पड़ा। ये दो देशों के लोगों, राजनेताओं, और उद्योगपतियों के नजरिए का फर्क है। अब आप ये देखिए कि भ्रष्टाचार से जुड़ा वो कौन सा पॉलिटिकल स्कैंडल है, जो दक्षिण कोरिया ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में ट्रेंड कर रहा है। इस विश्लेषण में जो नोट करने वाली बात है वो है भ्रष्टाचार के खिलाफ होने वाली कार्रवाई। भ्रष्टाचार दुनिया के हर देश में होता है लेकिन उसका इलाज करने का तरीका हर जगह अलग अलग होता है। भारत को इन अलग अलग तरीकों से शिक्षा लेनी होगी।
 
यहां भारत और दक्षिण कोरिया के भ्रष्टाचार का तुलनात्मक विश्लेषण करना भी ज़रूरी है।

2016 के करप्शन परसेप्शन इंडेक्स के मुताबिक 176 देशों की सूची में दक्षिण कोरिया 52वें नंबर पर है, जबकि भारत 79 वें नंबर पर है।

दक्षिण कोरिया के इतिहास में ये पहली बार हुआ है कि जब लोकतांत्रिक तौर चुने हुए किसी राष्ट्रपति को उनके पद से हटाया गया और फिर जेल में डाला गया। लेकिन दक्षिण कोरिया के इतिहास में अब तक जितने भी राष्ट्रपति हुए हैं, उन सभी के साथ कुछ न कुछ अनोखा घटनाक्रम हुआ है। जिस पर आपको नज़र डालनी चाहिए। 

दक्षिण कोरिया के पहले राष्ट्रपति सिंगमैन री थे। 1960 में उन्हें चुनावों में धांधली की वजह से इस्तीफा देना पड़ा था। दक्षिण कोरिया के दूसरे राष्ट्रपति थे - यू बो सियोन। जिन्हें तख्तापलट होने के बाद इस्तीफा देना पड़ा और कोर्ट मार्शल की वजह से 3 साल तक जेल में भी रहना पड़ा। दक्षिण कोरिया के तीसरे राष्ट्रपति थे जनरल पार्क चुंग हे, जो गिरफ्तार हुईं राष्ट्रपति पार्क गुन-हे के पिता थे। जनरल पार्क चुंग हे की पत्नी को उत्तर कोरिया के एक जासूस ने मार दिया था और बाद में जनरल चुंग हे की भी हत्या कर दी गई थी। 

इस देश के चौथे राष्ट्रपति को Gwangju नरसंहार की वजह से सिर्फ 8 महीने तक सरकार चलाने के बाद इस्तीफा देना पड़ा था। आपको बता दें कि 1980 के उस दौर में दक्षिण कोरिया में Gwangju नरसंहार हुआ था, जिसमें प्रदर्शन कर रहे 600 से ज्यादा लोगों को मार दिया गया था। ये लोग देश में मार्शल लॉ लगाए जाने के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे। पांचवें राष्ट्रपति को भी इसी नरसंहार में अपनी भूमिका की वजह से मौत की सज़ा सुनाई गई थी, हालांकि बाद में उनकी सज़ा माफ कर दी गई थी 

छठे राष्ट्रपति को अपने पद से हटने के बाद रिश्वतखोरी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। सातवें राष्ट्रपति के बेटे को रिश्वत लेने और टैक्स न चुकाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। आठवें राष्ट्रपति के परिवार के 5 सदस्यों को रिश्वत लेने का दोषी पाया गया था, इनमें उनके तीन बेटे भी शामिल थे। नवें राष्ट्रपति की मौत एक पहाड़ पर चढ़ने के दौरान फिसलने की वजह से हुई थी। उन पर भी रिश्वत लेने के आरोपों की जांच हो रही थी। 

दक्षिण कोरिया के दसवें राष्ट्रपति के भाई और एक और रिश्तेदार पर real estate के नियमों का उल्लंघन करने के आरोप लगे थे और उन्हें गिरफ्तार किया गया था और दक्षिण कोरिया की 11वीं राष्ट्रपति पार्क गुन हे को संसद ने महाभियोग चलाकर हटाया गया और फिर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। 
ये आंकड़े अजीबोगरीब हैं लेकिन सच हैं। इनसे ये भी पता चलता है कि दक्षिण कोरिया में नियमों के उल्लंघन और भ्रष्टाचार को लेकर जीरो टॉलरेंस है और वहां बड़े ओहदे वाले लोगों पर भी कड़ी कार्रवाई हो जाती है। हालांकि इसके बावजूद वहां के लोगों को यही लगता है कि उनकी सरकार भ्रष्टाचार से ठीक से नहीं लड़ रही है।

ट्रांसपरेंसी इंटरनेशनल के नये आंकड़ों के मुताबिक दक्षिण कोरिया में 3% लोगों को ही मूलभूत सुविधाएं हासिल करने के लिए रिश्वत देनी पड़ती है जबकि भारत में 69% लोगों को मूलभूत सुविधाओं के लिए रिश्वत देनी पड़ती है। यानी भारत से तुलना की जाए तो दक्षिण कोरिया में रामराज है। लेकिन वहां के लोग इस स्थिति से भी असंतुष्ट हैं, वहां 76 प्रतिशत लोग ये सोचते हैं कि सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ ठीक से काम नहीं कर रही है।

अब आप सोचिए कि वहां के लोग भारत जैसे देशों के बारे में क्या सोचते होंगे। भ्रष्टाचार के प्रति भारत दुनिया के सबसे सहनशील देशों में गिना जाता है। हमारे देश में भ्रष्टाचार एक आदत बन गया है और जब कोई अनैतिक आचरण आदत बन जाता है तो वो पूरे देश को और आने वाली पीढ़ियों को खोखला कर देता है। हमने आपको दक्षिण कोरिया का ये विश्लेषण आज इसलिए दिखाया है.. ताकि देश का सिस्टम इससे कुछ सीख सके

ये भी देखे

Trending news