Zee जानकारीः इतिहास रचने से सिर्फ दो कदम दूर तीन भारतीय नारियां
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Zee जानकारीः इतिहास रचने से सिर्फ दो कदम दूर तीन भारतीय नारियां

भावना कांत, मोहना सिंह और अवनी चतुर्वेदी इतिहास रचने से सिर्फ दो कदमों की दूरी पर हैं। ये तीनों महिलाएं भारतीय एयरफोर्स में महिला शक्ति की पहचान बनने जा रही हैं। तीनों जल्द ही भारतीय एयरफोर्स में बतौर फाइटर पायलट शामिल हो सकती हैं। 8 मार्च 2016 को वायुसेना प्रमुख अरूप राहा ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर इसका औपचारिक ऐलान किया था। इसके लिए तीन महिला ट्रेनी पायलटों को चुना गया था। अब इन तीनों ने हैदराबाद से 43 किलोमीटर दूर डुंडीगल की एयरफोर्स एकेडमी से अपनी ट्रेनिंग का पहला चरण पूरा कर लिया है।

Zee जानकारीः इतिहास रचने से सिर्फ दो कदम दूर तीन भारतीय नारियां

नई दिल्ली : भावना कांत, मोहना सिंह और अवनी चतुर्वेदी इतिहास रचने से सिर्फ दो कदमों की दूरी पर हैं। ये तीनों महिलाएं भारतीय एयरफोर्स में महिला शक्ति की पहचान बनने जा रही हैं। तीनों जल्द ही भारतीय एयरफोर्स में बतौर फाइटर पायलट शामिल हो सकती हैं। 8 मार्च 2016 को वायुसेना प्रमुख अरूप राहा ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर इसका औपचारिक ऐलान किया था। इसके लिए तीन महिला ट्रेनी पायलटों को चुना गया था। अब इन तीनों ने हैदराबाद से 43 किलोमीटर दूर डुंडीगल की एयरफोर्स एकेडमी से अपनी ट्रेनिंग का पहला चरण पूरा कर लिया है।

18 जून को होने वाली पासिंग आउट परेड में तीनों महिला पायलटों को भारतीय वायुसेना में बतौर फाइटर पायलट कमीशन कर लिया जाएगा, जिसके बाद इन तीनों महिलाओं की फाइटर एयरक्राफ्ट्स पर ट्रेनिंग शुरू हो जाएगी और कुछ महीनों के अंदर ये देश की पहली महिला फाइटर पायलट बन जाएंगी। भारतीय सेना में पहली बार किसी महिला को मिलिट्री नर्सिंग सर्विस के लिए वर्ष 1927 में शामिल किया गया था। वर्ष 1992 में तत्कालीन सरकार की मंजूरी के बाद सेना के तीनों अंगों में महिला अधिकारियों को शामिल किया जाने लगा।

भारतीय वायुसेना की खास जानकारी

- महिलाओं की हिस्सेदारी करीब 8.5 फीसदी है, जो सेना के तीनों अंगों में सबसे ज्यादा है।
- वायुसेना में महिला पायलटों ने अब तक ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट और हेलीकॉप्टर्स ही उड़ाए हैं।
- वायुसेना में कुल 1328 महिला ऑफिसर्स हैं, जिनमें से 94 पायलट हैं, जबकि 14 नेविगेटर हैं।
- भारतीय नौसेना में 413 महिला ऑफिसर्स हैं। नौसेना में भी महिला अफसरों को वॉरशिप पर जाने की इजाजत नहीं है।
- थल सेना में महिला ऑफिसर्स की संख्या 1436 है। थल सेना में बॉर्डर पर जंग जैसे हालात की स्थिति में महिलाओं को भेजने की इजाजत नहीं है।
- थल सेना में ज्यादातर महिलाएं प्रशासनिक, मेडिकल और शैक्षिक विंग में काम करती हैं।
- अर्धसैनिक बलों जैसे BSF और ITBP में महिलाएं पहले से ही मोर्चे पर डटी हुई हैं।
- दुनिया के ज्यादातर देश महिलाओं सैनिकों को मोर्चे पर भेजने से हिचकिचाते हैं। एक धारणा यह कहती है महिलाएं पुरुषों के मुकाबले कमजोर होती हैं और युद्ध के हालात में उन्हें चोट लगने का खतरा ज्यादा होता है।
- वर्ष 2015 में अमेरिका के मैरीन कॉप्स के एक प्रयोग में सामने आया कि युद्ध की स्थितियों में महिलाओं को गंभीर चोट लगने का खतरा पुरुषों के मुकाबले दोगुना होता है।
- प्रयोगों में यह भी पता चला कि घायल सैनिकों को युद्ध के मैदान से हटाने में भी महिलाएं उतनी ताकत नहीं लगा पातीं जितनी ताकत पुरुष सैनिक लगा सकते हैं।
- 1917 में रूस ने ऑल फीमेल कॉम्बैट यूनिट का गठन किया था, जो युद्ध के मोर्चे पर दुश्मनों से लड़ती थीं। इसी तरह वर्ष 1936 में टर्की की साबिहा गॉकेन दुनिया की पहली महिला फाइटर पायलट बनी थीं। इस वक्त दुनिया के करीब 20 देश ऐसे हैं, जहां महिलाएं फाइटर प्लेन उड़ाती हैं।
- यह जानकर हैरानी होगी कि इस मामले में पाकिस्तान और चीन भारत से आगे हैं। पाकिस्तान और चीन में वर्ष 2013 से महिलाएं फाइटर प्लैन उड़ा रही हैं, जबकि टर्की, सऊदी अरब और अमेरिका की महिला फाइटर पायलट युद्ध में हिस्सा भी ले चुकी हैं।

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