कर्नाटक: जी. परमेश्वर बोले, 'यूं ही नहीं मिली मुझे डिप्टी CM की कुर्सी'
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कर्नाटक: जी. परमेश्वर बोले, 'यूं ही नहीं मिली मुझे डिप्टी CM की कुर्सी'

जी परमेश्वर ने डिप्टी सीएम बनते ही ईवीएम के मुद्दे को एक बार फिर से हवा दी है.

परमेश्वर कांग्रेस के प्रति वफादारी के मामले में हमेशा अडिग रहे..(फोटो साभार: ANI)

बेंगलूरु: कर्नाटक में कांग्रेस के दलित चेहरे और प्रदेश इकाई के प्रमुख जी परमेश्वर को आखिरकार उपमुख्यमंत्री का पद मिल गया जिसके वह लंबे समय से दावेदार थे. हालांकि उन्होंने डिप्टी सीएम की कुर्सी मिलने पर सफाई दी है. दरअसल, परमेश्वर के डिप्टी सीएम बनने के पहले से ही मीडिया में खबरें आना शुरू हो गई थीं कि कांग्रेस दलित उपमुख्यमंत्री बनाएगी. ऐसा इसलिए भी हुआ क्योंकि पूर्व सीएम सिद्धारमैया ने दलित कार्ड खेला था. कांग्रेस ने दलित चेहरे परमेश्वर को उपमुख्यमंत्री बना दिया है. 

हालांकि परमेश्वर ऐसा नहीं मानते. उन्होंने इस पर सफाई देते हुए कहा, "मुझे नहीं लगता कि मुझे डिप्टी सीएम का पद मेरे दलित होने के कारण मिला है. यह महज संयोग ही है कि मैं दलित हूं."  

डिप्टी सीएम बनते ही उठाया ईवीएम का मुद्दा
जी परमेश्वर ने डिप्टी सीएम बनते ही ईवीएम के मुद्दे को एक बार फिर से हवा दी है. यह मुद्दा अभी तक कर्नाटक चुनाव में सुनाई नहीं दिया था लेकिन ऐसे समय जब राज्य में बीजेपी की सरकार गिर गई है और कांग्रेस-जेडीएस की सरकार बन गई है तब उन्होंने इस मुद्दे को उठाया है. हालांकि परमेश्वर के इस बयान पर बीजेपी की अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. जाहिर है उनका यह बयान बीजेपी को नागवार गुजरने वाला है. 

जी. परमेश्वर ने कहा है, "हमारे कुछ नेताओं का और मेरा व्यक्तिगत रूप से मानना है कि बीजेपी ने ईवीएम से छेड़छाड़ की है. कांग्रेस के कई नेता अपने गढ़ में हारे हैं. हम इसकी शिकायत चुनाव आयोग से करेंगे. हम बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग करेंगे." 

 

 

अक्टूबर 2010 से थे कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष 
अक्टूबर 2010 से कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष के रूप में सबसे लंबे समय से सेवारत परमेश्वर कांग्रेस से जुड़ने के समय से ही पार्टी के प्रति हमेशा वफादार रहे हैं. उन्होंने बेंगलूरू स्थित कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय से कृषि में बीएससी और एमएससी की पढ़ाई की. राजीव गांधी के साथ 1989 में हुई मुलाकात ने उनकी किस्मत बदल दी. राजीव गांधी ने परमेश्वर के भीतर संभावना देखी थी और उन्हें राजनीति में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया था. इसके बाद परमेश्वर उनसे मिलने दिल्ली गए थे. उन्हें तब कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस का संयुक्त सचिव बनाया गया था. परमेश्वर कांग्रेस के प्रति वफादारी के मामले में हमेशा अडिग रहे, यहां तक कि तब भी जब पार्टी खराब समय से गुजर रही थी. 

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