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नई दिल्ली : भाजपा ने मंगलवार को कहा कि वह संसद में एफडीआई पर मुख्य चर्चा के साथ फेमा अधिसूचना पर चर्चा के खिलाफ है। भाजपा के मुख्य प्रवक्ता रवि शंकर प्रसाद ने कहा कि जहां तक विदेशी विनिमय प्रबंधन कानून (फेमा) की अधिसूचना का सवाल है, उसे सदन पटल पर 30 दिन के लिए रखना चाहिए ताकि सदस्य उसका अध्ययन कर विभिन्न संशोधन पेश कर सकें।
प्रसाद ने संसद परिसर में संवाददाताओं से कहा कि एफडीआई मुद्दे पर मुख्य चर्चा के साथ ही फेमा अधिसूचना पर चर्चा नहीं करायी जा सकती। हम इसके खिलाफ हैं और इस संबंध में अध्यक्ष से संपर्क करेंगे। उन्होंने कहा कि दोनों सदनों के सभी पार्टी सांसदों को व्हिप जारी किया गया है। जहां तक एफडीआई के विरोध का सवाल है, पार्टी ने अपनी रणनीति भलीभांति तैयार कर ली है। लोकसभा में चर्चा की शुरूआत नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज करेंगी और वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी कल चर्चा में हस्तक्षेप करेंगे।
प्रसाद ने कहा कि राज्यसभा में चर्चा की शुरूआत नेता प्रतिपक्ष अरूण जेटली करेंगे और वरिष्ठ नेता एम वेंकैया नायडू चर्चा में हस्तक्षेप करेंगे। मल्टी ब्रांड खुदरा में एफडीआई के नीतिगत फैसले के कार्यान्वयन के लिहाज से फेमा के नियम महत्वपूर्ण हैं।
सांप्रदायीकरण पर द्रमुक के नजरिये के लिए उसकी आलोचना करते हुए प्रसाद ने कहा कि संसद में कई ऐसे दल हैं जो केन्द्र में भाजपा के साथ सत्ता में थे और राज्यों में भी कई वर्षों’ तक सत्ता में रहे। उस समय सांप्रदायीकरण का हौवा खत्म हो गया था और अब अचानक जब अलग अलग हित प्रभावित कर रहे हैं तो यह हौवा (सांप्रदायीकरण) खड़ा हो रहा है। उन्होंने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में द्रमुक छह साल तक सत्ता में रही। उस समय सांप्रदायीकरण का मुद्दा नहीं उठा। देश की जनता इस खेल को समझती है। (एजेंसी)