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नई दिल्ली : देश की शीर्ष उपभोक्ता अदालता ने व्यवस्था दी है कि यदि बीमा कराने वाले किसी व्यक्ति ने अपनी मौजूदा बीमारी जैसे तथ्यों को छिपाया है तो उसके बीमा के दावे को नामंजूर किया जा सकता है।
राष्ट्रपति उपभोक्ता विवाद निपटारा आयोग (एनसीडीआरसी) ने हिमाचल प्रदेश राज्य उपभोक्ता आयोग के एक फैसले को रद्द करते हुए यह व्यवस्था दी। हिप्र के आयोग ने एलआईसी को एक पॉलिसी धारक के रिश्तेदार को बीमा दावे के तौर पर 50 हजार रुपये देने का निर्देश दिया था। बीमा धारक का 2001 में टीबी के चलते निधन हो गया था। एलआईसी की अपील को मंजूर करते हुए एनसीडीआरसी ने कहा कि इस बात के प्रामाणिक साक्ष्य हैं कि पॉलिसी धारक को टीबी की समस्या थी लेकिन उन्होंने बीमा कंपनी से यह बात छिपाई इसलिए बीमाकर्ता को उनके दावे को खारिज करने का अधिकार है।
न्यायमूर्ति अशोक भान की अध्यक्षता वाली एनसीडीआरसी की पीठ ने कहा, ‘चूंकि बीमा दोनों पक्षों के बीच पूरे विश्वास के साथ किया गया समझौता है जिसमें बीमा कराने वाले द्वारा किसी तथ्य को छिपाने की स्थिति में, जैसा कि मौजूदा मामले में हुआ, बीमाकर्ता कंपनी को पॉलिसी की नियम-शर्तों के अनुसार दावे को नामंजूर करने का अधिकार है।’ (एजेंसी)