मजेदार फिल्म है फेरारी की सवारी
Advertisement

मजेदार फिल्म है फेरारी की सवारी

पूरी फिल्म की बात करें तो इसे अच्छी फिल्म कहा जा सकता है। एक साफ-सुथरी और अच्छे विषय पर बनी फिल्म जिसे देखा जा सकता है। देखकर मजा लिया जा सकता है।

ज़ी न्यूज ब्यूरो
फिल्म थ्री इडियट ने सफलता के झंडे गाड़े थे। लेकिन वैसा कुछ भी फिल्म फरारी की सवारी में नहीं दिखा। हालांकि फिल्म साफ सुथरी है, अच्छी है और अच्छी पटकथा पर आधारित है। लेकिन फिल्म कई बार अपने थीम से भटकती नजर आती है। सचिन और उनकी फेरारी कार को लेकर राजकुमार हिरानी ने फरारी की सवारी की कहानी लिखी है।
फरारी की सवारी पिता-पुत्र पर केन्द्रित एक ऐसे रिश्ते की कहानी है। जिसमें वो सब कुछ है जो एक पिता और पुत्र के रिश्ते में होना जरूरी होता है। रूसी (शरमन जोशी) के बेटे कायो (ऋत्विक साहोरे) का सपना है कि वह एक दिन बड़ा क्रिकेट खिलाड़ी बने। आरटीओ में क्लर्क होने के बावजूद रूसी के पास पैसे की तंगी रहती है क्योंकि वह ईमानदार तो इतना है कि रेड सिग्नल में यदि वह आगे बढ़ जाए तो खुद पुलिस के पास जाकर फाइन भरता है।
रूसी जैसा किरदार इन दिनों फिल्मों से गायब है। शायद दुनिया में ही ऐसे लोग बहुत कम बचे हैं और इसी वजह से ये फिल्मों में नजर नहीं आते हैं। उसका भोलापन, ईमानदारी और जिंदगी के प्रति सकारात्मक रवैया एक सुखद अहसास कराता है। हालांकि फिल्म में सहानुभूति बटोरने के लिए दया का पात्र बनाकर पेश किया गया है जो अखरता है।
फिल्म में परेश रावल,बोमन ईरानी और शरमन जोशी ने बेहतरीन अदाकारी की है। लेकिन फिल्म स्क्रीनप्ले की वजह से कमजोर नजर आती है। यही कारण है कि फिल्म उतनी अच्छी नहीं बन पाई है, जितनी इसे होना था। फिल्म दूसरी हाफ में धीमी पड़ती है। सचिन की फेरारी का उनके घर से ले जाने वाला प्रसंग भी गले से नीचे नहीं उतरता है। लेकिन निर्देशन और अभिनय फिल्म को बांधकर रखने में कामयाब रहता है।
बतौर निर्देशक राजेश मापुस्कर की यह पहली फिल्म है। उन्होंने न केवल तमाम कलाकारों से बेहतरीन अभिनय करवाया है बल्कि तीन पीढ़ियों को अच्छी तरह से पेश किया है। अभिनय की दृष्टि से शरमन जोशी के करियर की यह श्रेष्ठ फिल्मों में से एक मानी जाएगी क्योंकि इतना बड़ा अवसर उन्हें पहली बार मिला है।
फिल्म का संगीत सामान्य है। विद्या बालन का आयटम सॉन्ग ठीक-ठाक है और जरूरत के मुताबिक फिट बैठता है। फरारी की सवारी फिल्म के थीम से भटकती है,कई जगह बोर करती है। खासकर दूसरे हाफ में कई जगहों पर भटकाव दिखता है लेकिन पूरी फिल्म की बात करें तो इसे अच्छी फिल्म कहा जा सकता है। एक साफ-सुथरी और अच्छे विषय पर बनी फिल्म जिसे देखा जा सकता है। देखकर मजा लिया जा सकता है।

Trending news