टोरंटो : किशोर अवस्था में अवसाद एक अवांछित खतरे की तरफ ढकेल सकता है। साथ ही यह हृदय से जुड़ी बीमारी वाले लोगों में खतरे को बढ़ा सकता है। एक अध्ययन में पाय गया कि महिलाएं इससे ज्यादा प्रभामित होती हैं।
एक राष्ट्रव्यापी अध्ययन में यह सामने आया है कि अवसाद अथवा आत्महत्या की प्रवृत्ति वाले 40 वर्ष से कम आयु के लोगों खासतौर पर महिलाओं में हृदय की बीमारी से मृत्यु होने का खतरा बढ़ जाता है। इस विषय पर अध्ययन कर रही टीम के 'रॉलिंस स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ' की वरिष्ठ शोध लेखिका वियोला वैक्कारिनो ने कहा, ‘यह पहला शोध है जिसमें वयस्कों में विशेष रूप से अवसाद को हृदय की बीमारियों से जोड़ कर देखा गया है।‘
पत्रिका 'आर्काइव्स ऑफ जनरल साइकियाट्री' की रिपोर्ट के मुताबिक वक्कैरिनो ने कहा कि यह पाया गया है कि वयस्कों में अवसाद हृदय की बीमारी के लिए बड़ा कारक होता है। महिलाओं में धूम्रपान, उच्च रक्तचाप, मोटापा और मधुमेह जैसे पारम्परिक खतरनाक कारकों की तुलना में अवसाद ज्यादा हानिकारक लगता है। युवतियों में ये बीमारियां आमतौर पर नहीं होती हैं।
शोधकर्ताओं ने वर्ष 1988 से वर्ष 1994 के बीच एनएचएएनईएस- (तृतीय) (राष्ट्रीय स्वास्थ्य तथा पोषण परीक्षण सर्वेक्षण-तृतीय) में शामिल 17 से 39 वर्ष के बीच के 7,641 लोगों से जुड़े आंकड़ों का विश्लेषण किया। अध्ययन में पाया गया कि अवसादग्रस्त अथवा आत्महत्या की प्रवृत्ति वाली महिलाओं में हृदयरोग की बीमारियों से मरने का खतरा तीन गुना ज्यादा होता है और उनमें हृदयाघात से मरने का खतरा 41 गुना होता है।
वहीं, ऐसे पुरुषों में हृदयगत बीमारी से मरने का खतरा 2.4 गुना और दिल का दौरा पड़ने का खतरा 3.5 गुना अधिक रहता है। (एजेंसी)