उच्च आर्थिक विकास की राह पर चलने को प्रतिबद्ध: पीएम

अहम आर्थिक सुधारों को आगे बढ़ाने में आ रही दिक्कतों को देखते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने बुधवार को कहा कि देश कठिन दौर से गुजर रहा है और इस स्थिति में बदलाव लाने और फिर से उच्च आर्थिक वृद्धि के रास्ते पर लौटने के लिए रुकावटों और अड़चनों को दूर करने की जरुरत है।

ज़ी न्यूज ब्यूरो/एजेंसी
नई दिल्ली : अहम आर्थिक सुधारों को आगे बढ़ाने में आ रही दिक्कतों को देखते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने बुधवार को कहा कि देश कठिन दौर से गुजर रहा है और इस स्थिति में बदलाव लाने और फिर से उच्च आर्थिक वृद्धि के रास्ते पर लौटने के लिए रुकावटों और अड़चनों को दूर करने की जरुरत है। उन्‍होंने देश को आश्वस्‍त किया कि निवेश का माहौल ठीक किया जाएगा।
मनमोहन सिंह ने 9 प्रतिशत आर्थिक वृद्धि दर की राह पर लौटने के लिए चालू वित्त वर्ष में बुनियादी ढांचागत क्षेत्र में कम से कम 2 लाख करोड़ रुपये के निवेश का लक्ष्य आज रखा।
बुनियादी ढांचा से संबद्ध मंत्रियों की बैठक में सिंह ने कहा कि पिछले आठ साल में उल्लेखनीय आर्थिक वृद्धि हासिल करने तथा दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में उभरने के बाद भारत अब कठिन दौर से गुजर रहा है। इस कठिन समय में हमें निवेश तथा कारोबारी धारणाओं को सुधार के लिये हमें सार्वजनिक एवं निजी दोनों क्षेत्रों में हर संभव कदम उठाने होंगे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें एक ऐसे माहौल को बनाने के लिये काम करना चाहिये जो कि निवेश के अनुकूल हो और जिसमें आर्थिक वृद्धि के रास्ते में आने वाले अड़चनों को दूर किया जाए। एक सरकार के तौर पर हम मौजूदा स्थिति को बदलने और भारत को फिर से तीव्र वृद्धि की रास्ते पर लाने के लिए जरूरी उपाय करने को प्रतिबद्ध हैं। बैठक में बिजली, सड़क, जहाजरानी, नागर विमानन तथा कोयला मंत्री एवं इन मंत्रालयों के अधिकारियों के अलावा योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने भाग लिया।
प्रधानमंत्री ने ढांचागत क्षेत्र की विभिन्न मंत्रालयों से जुड़ी परियोजनाओं का आज यहां हुई एक बैठक में जायजा लिया। उन्होंने कहा कि विभिन्न मोर्चों पर काम करने की जरुरत है और उन्होंने इसके लिये निजी क्षेत्र को शामिल करते हुये अर्थव्यवस्था में गतिविधियां बढ़ाने के लिये महत्वकांक्षी लक्ष्य तय किए। बैठक में चालू वित्त वर्ष के दौरान बंदरगाहों, हवाईअड्डों, बिजली और कोयला उत्पादन और रेलवे माल परिवहन क्षेत्र के महत्वकांक्षी लक्ष्य तय किए गए।
बंदरगाह क्षेत्र के लिए वर्ष 2012-13 के दौरान 35,000 करोड़ रुपये का लक्ष्य रखा गया जो कि इससे पिछले वित्त वर्ष में 16,585 करोड़ रुपये पर था। सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) के जरिये उड्डयन क्षेत्र के लिये 8,798 करोड़ रुपये का निवेश लक्ष्य रखा गया, एक साल पहले इस क्षेत्र के लिये 4,877 करोड़ रुपये का लक्ष्य था। भारत को आवागमन और पारगमन का एक महत्वपूर्ण बिंदु बनाने के लिये दो नये उड्डयन केन्द्र बनाने के बारे में भी निर्णय लिया गया।
बुनियादी ढांचागत क्षेत्र में अगले पांच साल में 1,000 अरब डालर से अधिक निवेश आवश्यकता को देखते हुये प्रधानमंत्री ने कहा कि इतनी बड़ी राशि सरकार अकेले खर्च नहीं कर सकती है, ऐसे में इसमें निजी क्षेत्र को शामिल करना महत्वपूर्ण है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें एक ऐसे माहौल को बनाने के लिये काम करना चाहिये जो कि निवेश के अनुकूल हो और जिसमें आर्थिक वृद्धि के रास्ते में आने वाले अड़चनों को दूर किया जाये। एक सरकार के तौर पर हम मौजूदा स्थिति को बदलने और भारत को फिर से तीव्र वृद्धि की रास्ते पर लाने के लिये जरुरी उपाय करने को प्रतिबद्ध हैं। प्रधानमंत्री द्वारा बुलाई गई इस बैठक में बिजली, सड़क, जहाजरानी, नागरिक उड्डयन और कोयला मंत्री उपस्थित थे। रेलवे मंत्री मुकुल राय बैठक में उपस्थित नहीं थे।
मनमोहन सिंह ने कारवाई पर जोर देते हुए कहा कि पिछले आठ वर्षों के दौरान लगातार उच्च आर्थिक वृद्धि हासिल करने के बाद अब हम ज्यादा कठिन दौर से गुजर रहे हैं। बुनियादी ढांचा क्षेत्र में अगले पांच साल में 1,000 अरब डालर से अधिक निवेश आवश्यकता को देखते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इतनी बड़ी राशि सरकार अकेले खर्च नहीं कर सकती है, ऐसे में इसमें निजी क्षेत्र को शामिल करना महत्वपूर्ण है।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में बुनियादी ढांचा पर उच्च स्तरीय बैठक में आज अगले वित्त वर्ष तक दिल्ली और चेन्नई में दो नए विमानन केंद्र (एयरलाइंस हब) स्थापित करने का निर्णय किया गया जो कि भारत को एक प्रमुख गंतव्य और पारगमन बिंदु के तौर पर स्थापित करेंगे।
चुनौतियों के बारे में बात करते हुये उन्होंने कहा कि निवेश की सुरक्षा को लेकर लड़ाई पूरी दुनिया में चल रही है, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था इस समय मुश्किल दौर से गुजर रही है। यूरो क्षेत्र को लेकर चौतरफा चिंता बनी हुई है। इसके बाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में पेट्रोलियम पदार्थों और उपभोक्ता वस्तुओं के बढ़ते दाम की भी समस्या है। पिछले कुछ वर्षों से इनके दाम लगातार बढ़ रहे हैं। घरेलू स्तर पर बढ़ती मांग और इसके साथ ही आपूर्ति के रास्ते में बनी अड़चनों के कारण मुद्रास्फीति पर दबाव बढ़ा है। इन सब मुद्दों के चलते हमारे सामने कठिन आर्थिक चुनौतियां खड़ी हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि ढांचागत परियोजनाओं के क्षेत्र में अब जबकि नये लक्ष्य तय किये जा रहे हैं, यह काफी महत्वकांक्षी और प्रभावी लगते हैं और पहले के प्रदर्शन के मुकाबले ये उल्लेखनीय तौर पर काफी उंचे दिखाई देते हैं। उन्होंने कहा कि इन लक्ष्यों की प्राप्ति की दिशा में होने वाले कामकाज की प्रत्येक तिमाही निगरानी की जायेगी। जारी नागरिक उड्डयन क्षेत्र के बारे में सिंह ने कहा कि नवी मुंबई, गोवा और कन्नूर में तीन नए हवाईअड्डे बनाए जाएंगे और लखनउ, वाराणसी, कोयंबटूर, तिरिची और गया में नये अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे बनाए जाएंगे।
इसके अलावा दिल्ली और चेन्नई में चालू वित्त वर्ष के दौरान ही दो नए एयरलाइंस केन्द्र स्थापित किये जायेंगे जो कि भारत को एक प्रमुख गंतव्य और पारगमन बिंदु के तौर पर स्थापित करेंगे। प्रधानमंत्री द्वारा बुलाई गई इस बैठक में इटानगर हवाईअड्डे पर भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण द्वारा 2100 करोड़ रुपये के कुल निवेश के साथ कार्य शुरु करने का फैसला भी किया गया। अगले महीने के अंत तक 10 से 12 मौजूदा हवाईअड्डों के लिये अतिरिक्त सार्वजनिक निजी भागीदारी की परियोजनाओं और 10 से 12 नये हवाईअड्डों के लिये पीपीपी परियोजनाओं को अंतिम रुप दिया जायेगा। वर्ष के दौरान इन्हें क्रियान्वयन के लिये दे दिया जाएगा।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने परमाणु ऊर्जा क्षमता में अगले साल तक 2000 मेगावाट की बढोतरी करने का आज लक्ष्य रखा। कुडनकुलम परमाणु बिजली परियोजना की 1,000 मेगावाट की दो इकाइयों के चालू होने से 2,000 मेगावाट क्षमता का इजाफा होगा।
इस साल बंदरगाह क्षेत्र में 35000 करोड़ रुपये निवेश करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके अलावा 18000 मेगावाट बिजली उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है।

Zee News App: पाएँ हिंदी में ताज़ा समाचार, देश-दुनिया की खबरें, फिल्म, बिज़नेस अपडेट्स, खेल की दुनिया की हलचल, देखें लाइव न्यूज़ और धर्म-कर्म से जुड़ी खबरें, आदि.अभी डाउनलोड करें ज़ी न्यूज़ ऐप.