टाटा संस और सिंगापुर एयरलाइंस ने फिर मिलाया हाथ, 10 करोड़ डालर से शुरुआत
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टाटा संस और सिंगापुर एयरलाइंस ने फिर मिलाया हाथ, 10 करोड़ डालर से शुरुआत

टाटा समूह ने एक बार फिर सिंगापुर एयरलाइंस के साथ नई एयरलाइन सेवा शुरू करने के लिये हाथ मिलाया है। 10 करोड़ डालर के निवेश से इसकी शुरुआत होगी।

नई दिल्ली : देश के जाने माने औद्योगिक घराने टाटा समूह ने एक बार फिर सिंगापुर एयरलाइंस के साथ नई एयरलाइन सेवा शुरू करने के लिये हाथ मिलाया है। 10 करोड़ डालर के निवेश से इसकी शुरुआत होगी। 18 साल पहले भी दोनों के बीच ऐसा विफल प्रयास हुआ था।
नमक से लेकर साफ्टवेयर बनाने वाले 100 अरब डालर के टाटा समूह की होल्डिंग कंपनी टाटा संस ने गुरुवार को सिंगापुर एयरलाइंस के साथ नई एयरलाइन कंपनी के लिये सहमति ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किये। प्रस्तावित कंपनी में टाटा संस की 51 प्रतिशत और सिंगापुर एयरलाइंस की 49 प्रतिशत हिस्सेदारी होगी। नई एयरलाइन शुरू करने के लिये दोनों भागीदार 10 करोड़ डालर (620 करोड़ रुपये) का शुरुआती निवेश करेंगे। सूत्रों ने बताया कि जरूरी मंजूरियां मिलने के बाद इसकी शुरुआत अगले साल तक हो जायेगी।
टाटा समूह ने कहा है कि उसने इसके लिये विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) के पास मंजूरी के लिये आवेदन किया है। इससे पहले इस साल फरवरी में टाटा समूह ने मलेशिया की एयर एशिया के साथ बजट एयरलाइन शुरू करने को भागीदारी की है। नई विमानन कंपनी के बोर्ड में शुरू में तीन सदस्य होंगे। इनमें दो सदस्य टाटा संस की तरफ से होंगे और एक सिंगापुर एयरलाइंस का होगा। बोर्ड के चेयरमैन टाटा संस की तरफ से नामांकित प्रसाद मेनन होंगे।
टाटा और सिंगापुर एयरलाइंस का भारतीय नागरिक विमानन क्षेत्र में प्रवेश करने का यह तीसरा प्रयास है। इससे पहले वर्ष 1995 में नई पूर्ण विमानन सेवा के लिये टाटा समूह ने विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड में आवेदन किया था जिसे एक साल बाद मंजूरी मिल गई लेकिन बाद में 1997 में नागरिक उड्डयन नीति में बदलाव से यह उपक्रम शुरू नहीं हो पाया। नीति में घरेलू एयरलाइन में विदेशी विमानन कंपनियों को इक्विटी लेने से रोक दिया गया था। सरकार ने पिछले साल ही निवेश नीति में बदलाव करते हुये घरेलू एयरलाइन में विदेशी एयरलाइन कंपनियों को 49 प्रतिशत निवेश की अनुमति दी है।
वर्ष 2000 में टाटा और सिंगापुर एयरलाइंस ने मिलकर एयर इंडिया की 40 प्रतिशत भागीदारी के लिये बोली लगाई लेकिन दिसंबर 2001 में इससे पीछे हट गये। राजनीतिक विरोध के चलते एयर इंडिया का विनिवेश नहीं हो पाया।
मेनन ने कहा, ‘टाटा संस का मूल्यांकन है कि भारत में नागरिक उड्डयन क्षेत्र में निरंतर वृद्धि की संभावनाएं हैं। हमारे सामने अब भारत में एक विश्व स्तरीय नई पूर्ण एयरलाइन सेवा शुरू करने का मौका है। हम इसको लेकर प्रसन्न है कि इस उद्यम के लिये हम विश्व विख्यात सिंगापुर एयरलाइंस के साथ भागीदारी कर रहे हैं।’
सिंगापुर एयरलाइंस के सीईओ गोह चून फोंग ने भी इस तरह के विचार व्यक्त करते हुये कहा, ‘भारत में विमानन क्षेत्र की वृद्धि संभावनाओं को लेकर हमें हमेशा ही मजबूत विश्वास रहा है। विमानन बाजार के भविष्य के विस्तार में हम टाटा संस के साथ भागीदारी के अवसर को लेकर उत्साहित हैं।’ उन्होंने कहा, भारत में विमानन क्षेत्र में हाल के उदारीकरण के बाद विमानन क्षेत्र में ग्राहकों के लिये हवाई यात्रा की नई सेवा का विकल्प उपलब्ध कराने का यह उचित अवसर है। गोह ने कहा, ‘हमें पूरा विश्वास है कि प्रस्तावित संयुक्त उद्यम एयरलाइंस से बाजार में मांग बढ़ेगी और भारत को आर्थिक लाभ मिलेगा।’
नागरिक विमानन मंत्री अजीत सिंह ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा, ‘विमानन क्षेत्र के नियम टाटा को दो कंपनियों में भागीदारी से नहीं रोकते हैं। यह काम सेबी और कापरेरेट कार्य मंत्रालय का है कि वह इस तरह के उद्यम को मंजूरी दें।’ टाटा संस की जनरल एक्जीक्यूटिव काउंसिल के सदस्य मुकुंद राजन ने कहा, ‘टाटा संस प्रस्तावित एयरलाइंस के प्रबंधन और संचालन में पूरी तरह भाग लेगा। समूह भारतीय औद्योगिक क्षेत्र की अपनी समझ का पूरा फायदा उठाएगा और अपने लंबे अनुभव का इस भागीदारी को सार्थक बनाने में उपयोग करेगा।’
टाटा समूह ने एयर एशिया में भी हिस्सेदारी ली है, लेकिन इसमें तीन भागीदार है जिसमें कि टाटा संस की 30 प्रतिशत भागीदारी है, लेकिन संचालन में भागीदारी नहीं है। एयर एशिया के अलावा अरुण भाटिया की टेलेस्ट्रा ट्रेडप्लेस प्राइवेट लिमिटेड भी इसमें प्रमुख हिस्सेदार है। लेकिन नई प्रस्तावित एयरलाइंस में टाटा समूह खुद ड्राइवर की सीट पर होगा। टाटा समूह का विमानन क्षेत्र के साथ जुड़ाव का लंबा इतिहास है। वर्ष 1932 में जेआरडी टाटा ने टाटा एयरलाइंस शुरू की थी। 1946 में इसका नाम एयर इंडिया कर दिया गया और वर्ष 1953 में इसका राष्ट्रीयकरण हो गया। (एजेंसी)

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