नई दिल्ली : भारतीय कंपनी जीएमआर इन्फ्रास्ट्रक्चर ने कहा है कि वह मालदीव में माले हवाईअड्डे के अपने अनुबंध को बचाने के लिए हर संभव ‘कानूनी उपाय’ करेगी।
कंपनी ने साफ कहा है कि उसने वहां इस लिए निवेश नहीं किया है कि कोई उसे ‘क्षतिपूर्ति करके ’जब चाहे निकाल दे।
जीएमआर के नेतृत्व में कंपनियों का एक समूह माले अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डे के आधुनिकीकरण और परिचालन के लिए 51.1 करोड़ डॉलर का अनुबंध किया था। वहां तख्ता पलट के बाद आई नई सरकार ने इस अनुबंध को संदिग्ध बताते हुए रद्द कर दिया है। माले सरकार ने सिंगापुर हाईकोर्ट के स्थगन आदेश के बावजूद कहा है कि वह अपने निर्णय पर अटल है।
जीएमआर माले इंटरनेशनल एयरपोर्ट के मुख्य कार्यकारी एंड्रयू हैरिसन ने माले से फोन पर कहा,‘ यह क्षतिपूर्ति का प्रश्न नहीं है। हम यहां मुआवजा लेने नहीं आए थे। हमने एक अंतर्राष्ट्रीय निविदा में भाग लिया था और उसे जीत कर हम यहां आए थे।’
उन्होंने कहा था कि मालदीव की सरकार ने हमें जो सार्वभौमिक गारंटी दी थी। वह आज समझौते की शर्तों का पालन नहीं कर रही है। समझौते में साफ-साफ लिखा है कि अनुबंध रद्द करने पर किन-किन शर्तों का पालन करना होगा।
यह पूछे जाने पर कि क्या जीएमआर माले हवाई अड्डे का जबरदस्ती अधिग्रहण करने के माले सरकार के निर्णय को अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में चुनौती देगी हैरिसन ने कहा ‘हम जो भी कानूनी कदम उठा सकते हैं उसे जरूर उठाएंगे। हम यह सुनिश्चत करना चाहेंगे कि हमारे कानूनी अधिकार सुरक्षित रहें। ऐसे कुछ अंतर्राष्ट्रीय कानून हैं जो हर देश को मानने ही पड़ते हैं।’ (एजेंसी)
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ठेका बचाने को ‘कानूनी उपाय’ अपनाएंगे: GMR
भारतीय कंपनी जीएमआर इन्फ्रास्ट्रक्चर ने कहा है कि वह मालदीव में माले हवाईअड्डे के अपने अनुबंध को बचाने के लिए हर संभव ‘कानूनी उपाय’ करेगी।
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