`GMR: मालदीव कानून के रास्ते पर न चला तो गंभीर नतीजे`
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`GMR: मालदीव कानून के रास्ते पर न चला तो गंभीर नतीजे`

जीएमआर मामले से ‘आश्चर्यचकित’ भारत ने मालदीव सरकार को संदेश दिया है कि अगर उसने कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया जाता तो उसका द्विपक्षीय संबंधों पर गंभीर असर होगा।

नई दिल्ली : जीएमआर मामले से ‘आश्चर्यचकित’ भारत ने मालदीव सरकार को संदेश दिया है कि अगर उसने कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया जाता तो उसका द्विपक्षीय संबंधों पर गंभीर असर होगा। भारत सरकार इस मामले में कुछ ‘‘गंभीर विकाल्पों’’ पर भी विचार कर रही है। इसमें मालदीव की सहायता के लिए चलाए जाने वाले कार्यक्रमों को धीमा करने का विकल्प भी शामिल है।
भारत स्वीकार करता है कि माले हवाईअड्डा के परिचालन का जीएमआर का ठेका निरस्त करने का मालदीव सरकार का निर्णय उसका घरेलू मामला है। लेकिन भारत इस बात से नाराज है कि इस मुद्दे को लेकर वहां भारत.विरोधी भावना भड़काई जा रही है।
सूत्रों ने कहा कि हवाईअड्डे का ठेका निरस्त करने में कुछ बाहरी ताकतों की भूमिका की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। वैसे इसमें चीन पर संदेह करने का कोई स्पष्ट आधार नहीं दिखता है।
भारत ने मालदीव को कह दिया है कि सूत्रों ने कहा कि अगर मालदीव की सरकार कानूनी विकल्प की उपेक्षा करती है और भारत विरोधी माहौल बरकरार रहता है तो इसका द्विपक्षीय संबंधों पर गंभीर असर होगा।
इस संदर्भ में, भारत कई विकल्पों पर विचार कर रहा है जिसमें सहायता कार्यक्रमों को धीमा करना शामिल है। इसका असर रक्षा सहयोग सहित कई क्षेत्र में द्विपक्षीय संबंधों पर पड़ेगा।
भारत का यह बयान ऐसे समय में आया है जब मालदीव की सरकार ने ठेका निरस्त करने के निर्णय पर सिंगापुर की अदालत के स्थगनादेश को स्वीकार करने से मना कर दिया है।
सूत्रों ने कहा कि ठेका निरस्त करने के मालदीव सरकार के निर्णय ने भारत को इसलिए आश्चर्य में डाल दिया है क्योंकि पिछले एक साल के दौरान दोनों देशों के नेताओं और अधिकारियों के बीच हुई कई दौर की बैठकों हुईं । मालदीव ने इन बैठकों में जीएमआर के ठेके में गड़बड़ी का मुद्दा कभी नहीं उठाया गया था।
सूत्रों के अनुसार मालदीव की कुछ ‘सीमांत पार्टियां’ इस मुद्दे पर भले ही विवाद पैदा करती रहों पर वहां की सरकार की ओर से इस बात को कभी नहीं उठाया गया था। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पिछले साल नवंबर में माले की यात्रा के दौरान विपक्ष के दो नेताओं से मुलाकात की थी, लेकिन यह विषय कभी नहीं उठा।
उन्होंने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद के कार्यकाल के दौरान सामने आया यह विवाद फरवरी में उनके सत्ता से बाहर होने के बाद से ही प्रबल बना हुआ है।
लेकिन, नवंबर के आखिरी सप्ताह में ठेका निरस्त किए जाने से भारत आश्चर्य में है और वह इसे राष्ट्रपति मोहम्मद वहीद की अगला चुनाव लड़ने की महत्वाकांक्षा से जोड़कर देखता है। वहीद के पूर्ववर्ती नशीद दावा करते रहे हैं कि उन्हें वहीद द्वारा सत्ता पलट कर बाहर किया गया। वहीद ने प्रतिस्पर्धी राजनीति के चलते ठेका निरस्त करने का निर्णय जानबूझकर किया।
भारत इस बात को लेकर निराश है कि मालदीव की सरकार ने एक स्थानीय अदालत के आदेश को चुनौती नहीं दी जिसने हवाईअड्डा विकास शुल्क लगाने के प्रस्ताव को ‘कर’ के रूप में बताया था। यह विवाद की मूल जड़ है जिसकी वजह से ठेका निरस्त हुआ।
वास्तव में जीएमआर द्वारा यह पेशकश ठेका निरस्त किए जाने से पहले की गई थी, लेकिन मालदीव की सरकार ने इस पर विचार नहीं किया। (एजेंसी)

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