'EMI में राहत, बैंकों के पास होगी ज्यादा नकदी'
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'EMI में राहत, बैंकों के पास होगी ज्यादा नकदी'

भारतीय रिजर्व बैंक की मंगलवार को घोषित तिमाही मौद्रिक समीक्षा के बाद प्रमुख बैंकों की प्रतिक्रिया से लगता है कि अभी सस्ते कर्ज का दौर अभी कुछ दूर लगता है।

मुंबई : भारतीय रिजर्व बैंक की मंगलवार को घोषित तिमाही मौद्रिक समीक्षा के बाद प्रमुख बैंकों की प्रतिक्रिया से लगता है कि अभी सस्ते कर्ज का दौर अभी कुछ दूर लगता है। रिजर्व बैंक ने उद्योग व्यवसाय की मांग के बावजूद नीतिगत ब्याज दरों में कोई कटौती नहीं दी है, इसलिए फिलहाल मकान, वाहन और कारपोरेट ऋण लेने वालों को मासिक किस्त (ईएमआई) में राहत मिलती दिखती पर अब बैंकों के पास कर्ज देने के लिए अधिक धन होगा से कर्ज मिलना आसान हो सकता है।

 

उल्लेखनीय है कि केंद्रीय बैंक ने नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) दर को 6 से घटाकर 5.5 फीसद कर दिया है। इस आधा प्रतिशत कमी के चलते बैंकों के ऋण देने योग्य संसाधन में कुल 32,000 करोड़ रुपये की वृद्धि होगी।

 

रिजर्व बैंक की घोषणाओं के बाद कई बैंकों ने कहा कि उनका तत्काल ब्याज दरों में कटौती का इरादा नहीं है। हालांकि रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर और इस समय प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के चेयरमैन सी. रंगराजन ने कहा कि बैंकिंग तंत्र को 32,000 रुपये की अतिरिक्त नकदी मिलने से कई स्तरों पर असर होगा। ब्याज दरों में कमी आएगी।

 

रंगराजन ने कहा कि तरलता की स्थिति में सुधार से स्वत: ही ब्याज दरों पर प्रभाव पड़ेगा। इससे ब्याज दरें नरम होंगी। ओरियंटल बैंक आफ कामर्स के कार्यकारी निदेशक एससी सिन्हा ने भी कहा कि सीआरआर में कटौती से ब्याज दरें घटेंगी। जारी केनरा बैंक के कार्यकारी निदेशक एके गुप्ता ने कहा कि अब बैंकों को वह नकदी मिलेगी, जिसकी उन्‍हें जरूरत थी। इससे बैंकों की आधार दर (बेस रेट) में बढ़ोतरी की आशंकाएं समाप्त हो गई हैं। गुप्ता ने कहा कि संभवत: ब्याज दरों में तत्काल कमी नहीं आएगी। हालांकि बैंकों के पास कर्ज देने के लिए अधिक धन होगा।

 

बैंक आफ इंडिया के कार्यकारी निदेशक एन. शेषाद्रि ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि सीआरआर में कटौती से बैंकों की आधार दर में कमी होगी। रेपो रेट घटने पर निश्चित रूप से ब्याज दरें घटेंगी। इसी तरह की राय जाहिर करते हुए देना बैंक के कार्यकारी निदेशक एके दत्त ने कहा कि सीआरआर में कटौती से बैंकी की नकदी की लागत में कमी आएगी। हालांकि इसका ब्याज दरों पर असर नहीं होगा। बैंकों को अपनी नकदी का एक निश्चित प्रतिशत रिजर्व बैंक के पास रखना होता है। इसी दर को सीआरआर कहा जाता है। नई दरें 28 जनवरी से प्रभावी होंगी।
मार्च, 2010 के बाद केंद्रीय बैंक मुद्रास्फीति पर अंकुश लगाने के लिए नीतिगत ब्याज दर (रेपो) में 3.75 प्रतिशत की वृद्धि कर चुका है।

(एजेंसी)

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