टेस्ट में आक्रामक फील्डिंग का युग हुआ खत्म: महेंद्र सिंह धोनी

भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी का मानना है कि टेस्ट क्रिकेट में आक्रामक फील्डिंग का युग खत्म हो गया है। धोनी ने कहा कि भारत की धीमी पिचों पर क्रिकेट की आक्रमण और रक्षा करने की रणनीतियों की वजह से क्रिकेट की पांरपरिक शैली में बदलाव आया है।

नई दिल्ली : भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी का मानना है कि टेस्ट क्रिकेट में आक्रामक फील्डिंग का युग खत्म हो गया है। धोनी ने कहा कि भारत की धीमी पिचों पर क्रिकेट की आक्रमण और रक्षा करने की रणनीतियों की वजह से क्रिकेट की पांरपरिक शैली में बदलाव आया है। उन्होंने कहा कि पिचों का मूल्यांकन करने के बाद रणनीति में काफी बदलाव होता है। गौरतलब है कि दिल्ली के फिरोजशाह कोटला मैदान पर भारत और आस्ट्रेलिया के बीच खेला गया चौथा टेस्ट तीन दिन में ही समाप्त हो गया। भारत ने यह श्रंखला 4-0 से जीत ली।
धोनी से जब पिच के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि आपको यह तय करना होगा कि क्या सही है, क्या गलत। आपकी राय अहम है। जब आप चार तेज गेंदबाजों के साथ खेलते हैं तो यह रणनीति कहलाती है। लेकिन, जब आप तीन या चार स्पिनरों के साथ खेलने उतरते हैं तो इसे खराब क्रिकेट कहा जाता है। धोनी ने कहा कि आक्रामक फील्डिंग का दौर खत्म हो गया है। जिस तरह का क्रिकेट हम खेलते थे, वह पूरी तरह से बदल चुका है। जहां, प्राय: हम देखते थे कि मिडऑन पर खिलाड़ी खड़ा करना एक आम बात थी। लेकिन अब मिडऑन पर खिलाड़ी कम ही दिखता है।
दिल्ली टेस्ट के दौरान मैदान में आउटफील्ड और बल्लेबाजों के करीब काफी खिलाड़ियों को खड़ा किया गया था। यह एक मानक बन गया है। खिलाड़ियों की मनोदशा को देखते हुए फील्डिंग में काफी बदलाव किए जाते हैं। धोनी ने दो कप्तानों द्वारा एक ही तरह की फील्डिंग को लेकर राय का उदाहरण देते हुए कहा कि यदि आप वीरेंद्र सहवाग के लिए डीप थर्डमैन, डीप पॉइंट, डीप स्कैयर लेग पर खिलाड़ी खड़ा करते हैं तो यह रणनीति कहलाती है। लेकिन जब धोनी, डेविड वार्नर के लिए डीप पॉइंट और डीप स्कैयर लेग पर खिलाड़ी खड़ा करते हैं तो यह रक्षात्मक हो जाता है। दरअसल, आपको बल्लेबाज की मनोदशा के अनुसार चलना होता है। (एजेंसी)

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