फिनिशरों में सर्वश्रेष्ठ हैं महेंद्र सिंह धोनी: वेंगसरकर
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फिनिशरों में सर्वश्रेष्ठ हैं महेंद्र सिंह धोनी: वेंगसरकर

भारत को गुरुवार को त्रिकोणीय श्रृंखला में श्रीलंका पर रोमांचक जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाने वाले महेंद्र सिंह धोनी ने एक बार फिर वनडे क्रिकेट के इतिहास में खुद को सर्वश्रेष्ठ फिनिशिर साबित किया है।

मुंबई : भारत को गुरुवार को त्रिकोणीय श्रृंखला में श्रीलंका पर रोमांचक जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाने वाले महेंद्र सिंह धोनी ने एक बार फिर वनडे क्रिकेट के इतिहास में खुद को सर्वश्रेष्ठ फिनिशिर साबित किया है।
पूर्व भारतीय कप्तान और मुख्य चयनकर्ता दिलीप वेंगसरकर ने स्वीकार किया कि उन्होंने झारखंड के इस क्रिकेटर से बेहतर फिनिशर नहीं देखा है।
वेंगसरकर ने शुक्रवार को कहा, ‘शुरुआती मैच गंवाने के बाद युवा भारतीय ब्रिगेड ने चुनौतीपूर्ण वापसी की। धोनी का मिजाज बहुत बढ़िया है, अब तक मैंने जो फिनिशर देखें हैं, उनमें वह सर्वश्रेष्ठ है। वह खेल में किसी भी स्थिति में घबराता नहीं है।’
वह टूर्नामेंट में भारत की जीत का जिक्र कर रहे थे जिसमें श्रीलंका और मेजबान वेस्टइंडीज से शुरुआती दो राउंड रोबिन मैच गंवाने के बावजूद टीम ने फाइनल में जगह बनायी। धोनी ने मैच विजेता नाबाद पारी खेलकर टीम को क्वींस पार्क ओवल में त्रिकोणीय श्रृंखला के फाइनल में मुश्किल स्थिति से उबारते हुए एक विकेट से जीत दिलायी।
टी20 प्रारूप को दुनिया में काफी लोकप्रियता मिल रही है, जिससे खिलाड़ियों को पहले से कहीं ज्यादा नयापन लाने में मदद मिल रही है लेकिन धोनी ने इसके लोकप्रिय होने से पहले ही ‘जीत का यह जज्बा’ दिखा दिया था। ट्वेंटी20 प्रारूप में शानदार ‘फिनिशिंग’ कौशल दिखाने से पहले ‘कैप्टन कूल’ ने दिखा दिया था कि वह 50 ओवर के मैचों में लक्ष्य का पीछा करने के दौरान ‘डेथ ओवर’ में कितने योग्य हैं।
वर्ष 2005 में धोनी भारतीय टीम में नये नये थे और उन्होंने तीसरे नंबर पर बल्लेबाजी करते हुए महज 145 गेंद में नाबाद 183 रन का स्कोर बनाया था जो अब तक उनका सर्वश्रेष्ठ स्कोर है, जिसमें 10 छक्के और 15 चौके शामिल थे और श्रीलंकाई टीम को उनकी इस बल्लेबाजी का खामियाजा भुगतना पड़ा था। इस पारी से भारत ने श्रीलंका द्वारा दिये गये 299 रन के लक्ष्य को चार ओवर रहते ही हासिल कर लिया था जबकि उनकी टीम में उनके सर्वश्रेष्ठ गेंदबाज चामिंडा वास और मुथया मुरलीधरन शामिल थे।
इससे कुछ महीने पहले ही धोनी ने विशाखापत्तनम में पाकिस्तान के खिलाफ 123 गेंद में 148 रन की पारी खेलकर अपनी शानदार काबिलियत का नजारा पेश किया था जिससे भारत ने नौ विकेट पर 356 रन का स्कोर खड़ा किया और मेहमान टीम हार गयी थी।
धोनी ने पाकिस्तान में 2006 में लाहौर और कराची में जोरदार अंदाज में फिनिशिर की भूमिका अदा की जिसमें नाबाद 70 से अधिक रन की पारी शामिल थी जिससे भारत ने टेस्ट श्रृंखला में 0-1 की हार के बाद वनडे सीरीज में 4-1 से जीत दर्ज की।
उन्होंने बांग्लदेश में मई में 2007 और फिर जनवरी 2010 में क्रमश: नाबाद 91 और नाबाद 101 रन की पारी खेलकर यह काम फिर से किया। इन कुछ पारियों में धोनी को युवराज सिंह और विराट कोहली तथा अन्य खिलाड़ियों का साथ मिला और कल उन्होंने अंतिम खिलाड़ी इशांत शर्मा के साथ यही किया। इन सबमें सबसे ज्यादा चर्चित और अहम पारी यहां वानखेड़े स्टेडियम में श्रीलंका के खिलाफ दो अप्रैल 2011 विश्व कप फाइनल की रही जिसमें उन्होंने नाबाद 91 रन बनाये।
सलामी बल्लेबाज गौतम गंभीर की 97 रन की शानदार पारी और धोनी की उनकी साथ 119 रन की साझेदारी तथा कप्तान की युवराज सिंह के साथ नाबाद 54 रन की भागीदारी से भारत ने 10 गेंद रहते श्रीलंका द्वारा दिये गये 275 रन के लक्ष्य को हासिल कर लिया था। धोनी ने तेज गेंदबाज नुवान कुलाशेखरा की गेंद पर विजयी छक्का लगाकर पूरे देश को जश्न के माहौल में डुबो दिया।
विपरीत परिस्थितियों में धोनी के चेहरे पर शांति, जरूरत के मुताबिक रणनीति में बदलने तथा विपक्षी गेंदबाजों और कप्तानों को पढ़ने की क्षमता उनकी सफलता के महत्वपूर्ण कारक रहे हैं। उन्होंने 226 वनडे में आठ शतक, 48 अर्धशतकों से 7,300 रन बनाये हैं लेकिन महान फिनिशिर की क्षमता का खुलासा इस बात से ही हो जाता है कि वह प्रत्येक चार पारियों में एक बार नाबाद रहते हैं।
साथी खिलाड़ी रोहित शर्मा ने शीर्ष क्रम में 58 रन की जिम्मेदाराना पारी खेली, उन्होंने धोनी के बारे में कहा, ‘धोनी ने हमारे लिये बार बार ऐसा किया है इसलिये हम सभी ड्रेसिंग रूम में सकारात्मक थे। हमने उन्हें कई वषरें से ऐसा करते देखा है। यह कोई हैरानी वाली बात नहीं थी।’ (एजेंसी)

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