नई दिल्ली : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने कुडनकुलम में परमाणु उर्जा परियोजना के खिलाफ प्रदर्शनों के लिए कथित तौर पर विदेशी कोष प्राप्त कर रहे गैर सरकारी संगठनों के खिलाफ प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के स्पष्ट और सख्त रूख का समर्थन किया है।
आरएसएस के मुखपत्र ‘आर्गनाइजर’ के संपादकीय में कहा गया है कि कुडनकुलम प्रदर्शनकारियों के खिलाफ प्रधानमंत्री का असमान्य रूप से स्पष्टवादी और सख्त रूख का स्वागत है। कोष का अन्य मद में इस्तेमाल करने वाले कुछ एनजीओ के खातों से लेन देन पर रोक लगाने सहित सरकार द्वारा की गई कार्रवाई का भी इसमें जिक्र किया गया है।
संपादकीय में कहा गया है कि सरकार की ओर से देर से कार्रवाई की गई लेकिन ज्यादा देर नहीं हुई। गृहमंत्रालय के पास इतनी अधिक मात्रा में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कार्यों के बारे में सूचना मौजूद थी कि इस पर इतने अधिक समय तक बैठे रहने की जरूरत नहीं थी।
संपादकीय में दावा किया गया है कि विदेशी कोष प्राप्त कर रहे 75 प्रतिशत एनजीओ ईसाई संगठन हैं, इनमें से ज्यादातर गिरिजाघर के ‘एक्सटेंशन काउंटर’ हैं जो समाज कार्य की बजाय धार्मिक गतिविधियों में संलिप्त हैं। इसमें कहा गया है कि कुडनकुलम करीब 300 परिवारों का घर है और तुथुकुडी जैसे इलाकों से ट्रकों में भरकर लोग लाये जाते हैं।
संपादकीय में कहा गया है कि इन लोगों को भोजन और धन दिया जाता है और इसके बदले वे धरने पर बैठते हैं। यह सवाल खड़ा होता है कि मुख्य रूप से मछली पकड़ने के पेशे पर निर्भर स्थानीय आबादी को समुद्र से बाहर इतने लंबे समय तक कैसे रखा गया। बाहरी समर्थन के बगैर पांच महीने से अधिक समय तक आंदोलन जारी रखना संभव नहीं है। (एजेंसी)