कुदरत का कहर, राहत और बचाव कार्य में उतरी सेना

उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में मूसलाधार बारिश से बाढ़ और भूस्खलन की घटनाओं के कारण भारी तबाही मची हुई है। दिल्ली में युमना खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। बचाव व राहत कार्य के लिए सेना की मदद ली जा रही है।

ज़ी मीडिया ब्यूरो
नई दिल्ली/देहरादून : उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में पिछले कुछ दिनों से हो रही मूसलाधार बारिश से बाढ़ और भूस्खलन की घटनाओं के कारण भारी तबाही मची हुई है। दिल्ली में युमना खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि बाढ़ और बारिश से प्रभावित हरियाणा के यमुना नगर और उत्तराखंड के केदारनाथ, बद्रीनाथ, रूद्रप्रयाग घाटी और करचमपुर में बचाव और राहत कार्यों के लिए वायुसेना के हेलीकाप्टरों की मदद ली जा रही है। बारिश से अब तक 131 लोगों की जान जा चुकी है।
बाढ़ से केदारनाथ धाम तबाह हो गया है। मंदिर का मुख्य द्वार ही बह गया है। बताया जा रहा है कि यहां 50 से अधिक लोगों की मौत हो गई और 500 लोग लापता हैं। उत्तराखंड और हिमाचल में मृतकों की संख्या 130 से ज्यादा हो गई। इनमें सेना के पांच जवान भी हैं।
उत्तराखंड में मंगलवार को बारिश कम होने से राहत कार्य युद्धस्तर पर शुरू कर दिया गया है। लेकिन निचले इलाकों तक पहुंचना अभी मुश्किल हो रहा है। चमोली में 27,000 और रूद्रप्रयाग में 25,000 से ज्यादा लोग फंसे हुए हैं। गांधीताल और गौरीकुण्ड साफ हो गए हैं। उधर, केदारनाथ मंदिर के पास सबसे व्यस्त इलाका रामबाड़ा जलमग्न है। श्री बद्रीनाथ श्री केदारनाथ मंदिर समिति की विशेष कार्य अधिकारी अनसूया सिंह नेगी ने कहा कि मंदिर को नुकसान नहीं हुआ है। मंदिर से सूचना नहीं मिल पा रही है, क्योंकि संचार संपर्क टूट गए हैं।
इस बीच हरियाणा के हथिनीकुंड बराज से छोड़ा गया 8.06 क्यूसेक पानी दिल्ली की यमुना में पहुंच गया है जिससे नदी का जलस्तर खतरे के निशान 205.18 मीटर से ऊपर चढ़ गया है। दिल्ली के बाढ़ नियंत्रण विभाग के प्रमुख अभियंता वीपीएस तोमर का कहना है कि आने वाले समय में नदी का जलस्तर और बढ़ने की आशंका है। नदी के उफान को देखते हुए दिल्ली प्रशासन ने नदी के आसपास के निचले इलाकों से लोगों को खाली कराना शुरू कर दिया है। दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के साथ ही हरियाणा और उत्तर प्रदेश सरकार ने भी युमना के आसपास से लोगों को हटाना शुरू कर दिया है।

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