'नक्सली हथियार त्याग दे तो बातचीत'
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'नक्सली हथियार त्याग दे तो बातचीत'

सरकार ने बुधवार को फिर दोहराया कि अगर नक्सली हथियार त्याग दें तो केंद्र और राज्य सरकारें उनके साथ बातचीत के लिए तैयार हैं।

 

नई दिल्ली : सरकार ने बुधवार को फिर दोहराया कि अगर नक्सली हथियार त्याग दें तो केंद्र और राज्य सरकारें उनके साथ बातचीत के लिए तैयार हैं।

 

राज्यसभा में बुधवार को प्रश्नकाल के दौरान गृह मंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि वामपंथी एक खास विचारधारा से प्रभावित हैं और वह सशस्त्र सैन्य क्रांति को जरूरी मानते हैं तथा इसके माध्यम से वह संसदीय व्यवस्था को ध्वस्त करना चाहते हैं।

 

उन्होंने बसपा के एस पी सिंह बघेल के पूरक प्रश्न के उत्तर में कहा कि अगर नक्सली हथियार और हिंसा त्याग दें तो केंद्र और राज्य सरकारें उनके साथ बातचीत के लिए तैयार हैं।

 

गृह मंत्री ने कहा कि नक्सल समस्या का गहराई से अध्ययन करने पर पता चलता है कि गरीबी और इलाकों की उपेक्षा वामपंथियों को समर्थन का मुख्य कारण है। उन्होंने कहा कि इस समस्या के हल के लिए दोतरफा नीति अपनाई जा रही है।

 

नक्सल प्रभवित 60 जिलों में एक ओर जहां कानून व्यवस्था के लिए वामपंथियों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई की जा रही है वहीं दूसरी ओर विकास पर भी जोर दिया जा रहा है।

 

उन्होंने कहा कि ओडिशा के मलकानगिरी जिले में 10 फरवरी 2012 को नक्सलियों के हमले में बीएसएफ के चार कर्मी मारे गए थे। इस मामले की जांच की जा रही है।

 

चिदंबरम ने बताया कि इस तरह की कार्रवाई में मारे गए केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल के कर्मियों के परिजन को 15-15 लाख रूपये की अनुग्रह राशि दी जाती है। केंद्र सरकार सुरक्षा संबंधी व्यय योजना के तहत नक्सली हमले में मारे गए सुरक्षा कर्मी के परिवार को तीन लाख रूपये की अनुग्रह राशि देती है।  (एजेंसी)

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