मुंबई हमले से कसाब को फांसी तक का घटनाक्रम
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मुंबई हमले से कसाब को फांसी तक का घटनाक्रम

26 नवंबर 2008 को हुए मुंबई हमलों के करीब चार साल बाद पाकिस्तानी आतंकवादी मोहम्मद अजमल आमिर कसाब को आज यहां यरवदा जेल में फांसी दे दी गई। मुंबई हमले से लेकर कसाब को फांसी दिए जाने तक का घटनाक्रम इस प्रकार है।

पुणे : 26 नवंबर 2008 को हुए मुंबई हमलों के करीब चार साल बाद पाकिस्तानी आतंकवादी मोहम्मद अजमल आमिर कसाब को आज यहां यरवदा जेल में फांसी दे दी गई। मुंबई हमले से लेकर कसाब को फांसी दिए जाने तक का घटनाक्रम इस प्रकार है:-
26 नवंबर 2008 : कसाब और नौ आतंकवादियों ने मुंबई में विभिन्न स्थानों पर हमला किया।
27 नवंबर 2008 : कसाब को तड़के एक बज कर तीस मिनट पर पकड़ा गया और गिरफ्तार कर नायर अस्पताल में भर्ती कराया गया।
29 नवंबर 2008 : आतंकवादियों के कब्जे वाले सभी स्थानों को मुक्त कराया गया। नौ आतंकवादी मारे गए।
30 नवंबर 2008 : कसाब ने पुलिस के समक्ष अपना अपराध स्वीकार किया।
13 जनवरी 2009 : एमएल ताहिलियानी मुंबई हमला मामले की सुनवाई के लिए न्यायाधीश नियुक्त किए गए।
26 जनवरी 2009 : कसाब के खिलाफ सुनवाई के लिए ऑर्थर रोड जेल का चयन।
05 फरवरी 2009 : कसाब के डीएनए के नमूने कुबेर नौका में पाए गए सामान में मिले डीएनए से मिल गए। कुबेर नौका से ही दसों आतंकवादी पाकिस्तान के कराची से समुद्र मार्ग से मुंबई पहुंचे थे।
20-21 फरवरी 2009 : कसाब ने मजिस्ट्रेट के सामने अपना अपराध स्वीकार किया।
22 फरवरी 2009 : उज्ज्वल निकम सरकारी वकील नियुक्त।
25 फरवरी 2009 : कसाब तथा दो अन्य के खिलाफ आरोपपत्र अदालत में दाखिल ।
01 अप्रैल 2009 : अंजलि वाघमरे कसाब की वकील नियुक्त।
15 अप्रैल 2009 : बतौर कसाब की वकील, अंजलि वाघमरे हटाई गईं।
16 अप्रैल 2009 : अब्बास काजमी कसाब के वकील नियुक्त।
17 अप्रैल 2009 : कसाब का इकबालिया बयान अदालत में खोला गया। लेकिन कसाब बयान से मुकर गया।
20 अप्रैल 2009 : अभियोजन पक्ष ने कसाब पर 312 आरोप लगाए।
29 अप्रैल 2009 : विशेषज्ञों ने कहा, कसाब नाबालिग नहीं।
06 मई 2009 : आरोप तय किए गए। कसाब पर 86 आरोप लगाए गए लेकिन उसने आरोपों से इनकार किया।
08 मई 2009 : पहले प्रत्यक्षदर्शी ने गवाही दी, कसाब को पहचाना।
23 जून 2009 : हाफिज सईद, जकी उर रहमान लखवी सहित 22 लोगों के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी।
30 नवंबर 2009 : बतौर कसाब के वकील, अब्बास काजमी हटाए गए।
01 दिसंबर 2009 : केपी पवार काजमी की जगह कसाब के वकील नियुक्त।
16 दिसंबर 2009 : अभियोजन पक्ष ने मुंबई हमला मामले में अपनी गवाही पूरी की।
18 दिसंबर 2009 : कसाब ने सभी आरोपों का खंडन किया।
31 मार्च 2010 : मामले में जिरह समाप्त। विशेष न्यायाधीश एम एल ताहिलियानी ने फैसला तीन मई 2010 तक के लिए सुरक्षित रखा।
तीन मई 2010 : कसाब को दोषी ठहराया गया। सबाउद्दीन अहमद और फहीम अंसारी सभी आरोपों से बरी।
छह मई 2010 : निचली अदालत ने कसाब को मौत की सजा सुनाई।
21 फरवरी 2011 : बंबई उच्च न्यायालय ने कसाब को मौत की सजा बरकरार रखी।
मार्च 2011 : कसाब ने उच्चतम न्यायालय को पत्र लिख कर उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती दी।
10 अक्टू बर 2011 : उच्चतम न्यायालय ने पाकिस्तानी आतंकवादी कसाब को सुनाई गई मौत की सजा की तामील पर रोक लगाई।
10 अक्टू बर 2011 : कसाब ने उच्चतम न्यायालय में कहा कि ‘अल्लाह’ के नाम पर जघन्य अपराध को अंजाम देने के लिए उसके दिमाग में ‘रोबोट’ की तरह बातें भरी गईं और वह कम उम्र होने की वजह से मौत की सजा पाने का हकदार नहीं है।
18 अक्टू बर 2011 : उच्चतम न्यायालय ने महाराष्ट्र सरकार की अपील विचारार्थ स्वीकार की, जिसमें मुंबई हमला मामले में अजमल कसाब के सह आरोपियों फहीम अंसारी और सबाउद्दीन अहमद को बरी किए जाने के फैसले को चुनौती दी गई थी ।
31 जनवरी 2012 : कसाब ने उच्चतम न्यायालय में कहा कि उसके खिलाफ मामले में स्वतंत्र एवं निष्पक्ष सुनवाई नहीं हुई।
23 फरवरी 2012 : उच्चतम न्यायालय में, मुंबई हमले के षड़यंत्रकारियों और उनके पाकिस्तानी आकाओं के बीच हुई बातचीत के अंश सुनवाए गए और नरसंहार के सीसीटीवी फुटेज दिखाए गए।
25 अप्रैल 2012 : उच्चतम न्यायालय ने ढाई माह से अधिक समय तक चली मैराथन सुनवाई के बाद अपना फैसला सुरक्षित रखा।
29 अगस्त 2012 : उच्चतम न्यायालय ने कसाब की मौत की सजा तथा मामले में दो कथित भारतीय सह आरोपियों को बरी किए जाने का फैसला बरकरार रखा।
16 अक्टूकबर 2012 : केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राष्ट्रपति से कसाब की दया याचिका खारिज करने की सिफारिश की।
पांच नवंबर 2012 : राष्ट्रपति ने कसाब की दया याचिका ठुकराई।
आठ नवंबर 2012 : महाराष्ट्र सरकार को राष्ट्रपति के फैसले की सूचना मिली।
21 नवंबर 2012 : कसाब को पुणे स्थित यरवदा जेल में फांसी दी गई।

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