इशरत केस : पीपी पांडेय सीबीआई की हिरासत में भेजे गए
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इशरत केस : पीपी पांडेय सीबीआई की हिरासत में भेजे गए

इशरत जहां मुठभेड़ मामले में यहां की एक विशेष अदालत ने आज गुजरात के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी पीपी पांडेय को 21 अगस्त तक के लिए सीबीआई की हिरासत में भेज दिया।

अहमदाबाद : इशरत जहां मुठभेड़ मामले में यहां की एक विशेष अदालत ने आज गुजरात के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी पीपी पांडेय को 21 अगस्त तक के लिए सीबीआई की हिरासत में भेज दिया।
केंद्रीय जांच एजेंसी ने पूछताछ के लिए पांडेय की 14 दिन की हिरासत मांगी थी, लेकिन अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट एचएस खुतवाड की सीबीआई अदालत ने केवल चार दिन की हिरासत मंजूर की। अदालत ने अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक पांडेय का यह आग्रह स्वीकार कर लिया कि उनके वकील की मौजूदगी में उनसे पूछताछ की जानी चाहिए।
मुठभेड़ की जांच के दौरान नाम आने पर पांडेय अप्रैल में भूमिगत हो गए थे। उन्हें अदालत ने भगोड़ा घोषित किया था। उच्चतम न्यायालय और बाद में गुजरात उच्च न्यायालय द्वारा गिरफ्तारी से अस्थाई राहत दिए जाने पर वह सामने आ गए थे, लेकिन बाद में फिर भूमिगत हो गए थे। खुतवाड़ ने हिरासत मांगने के सीबीआई के आग्रह पर गत बुधवार को अभियोजन और बचाव पक्ष के वकीलों की दलीलें पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था।
सीबीआई के वकील ने दलील दी थी कि मुठभेड़ में मारे गए दो अन्य लोगों अमजद अली राणा और जीशान जौहर की असल पहचान का पता लगाने के लिए पांडेय से पूछताछ जरूरी है। ये लोग मुठभेड़ में मारे गए इशरत और उसके मित्र जावेद शेख उर्फ प्रणेश पिल्लै के साथ थे। उच्चतम न्यायालय द्वारा सोमवार को अग्रिम जमानत याचिका खारिज किए जाने के बाद पांडेय ने अगले दिन सीबीआई अदालत के समक्ष समर्पण कर दिया था जहां से उन्हें 27 अगस्त तक के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था।
गुजरात पुलिस की अपराध शाखा ने 15 जून 2004 को इशरत और तीन अन्य को कथित मुठभेड़ में मार दिया था। उस समय पांडेय संयुक्त पुलिस आयुक्त (अपराध) थे। गुजरात पुलिस ने दावा किया था कि मारे गए लोग आतंकवादी थे और वे गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या के मिशन पर थे। सीबीआई ने बाद में इसे ‘फर्जी’ मुठभेड़ बताया था।
सीबीआई के वकील एजाज खान ने दलील दी कि पांडेय साजिश का अहम हिस्सा थे और अन्य आरोपियों की भूमिका का पता लगाने के लिए उनसे पूछताछ आवश्यक है। पांडेय के वकील अजय चोक्सी ने सीबीआई की दलील का यह कहकर विरोध किया था कि एजेंसी अन्य छह आरोपी पुलिस अधिकारियों से सभी सबूत एकत्र कर चुकी है और उसे उनके मुवक्किल की हिरासत की जरूरत नहीं है। सीबीआई ने पिछले महीने के शुरू में दायर आरोपपत्र में मुठभेड़ को फर्जी करार दिया था जिसे गुजरात पुलिस और गुप्तचर ब्यूरो का संयुक्त अभियान बताया गया। (एजेंसी)

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