अमेरिका में बसे अप्रवासी भारतीयों के बीच भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता सिर चढ़कर बोल रही है। इसकी बानगी न्यूयॉर्क में उस समय दिखी, जब मोदी ने वहां मेडिसन स्क्वायर गार्डन में भारतीय अमेरिकी समुदाय को बिल्कुल रॉक स्टार सरीखे अंदाज में संबोधित किया।
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अमेरिका में बसे अप्रवासी भारतीयों के बीच भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता सिर चढ़कर बोल रही है। इसकी बानगी न्यूयॉर्क में उस समय दिखी, जब मोदी ने वहां मेडिसन स्क्वायर गार्डन में भारतीय अमेरिकी समुदाय को बिल्कुल रॉक स्टार सरीखे अंदाज में संबोधित किया। इस कार्यक्रम के दौरान भारतीय अमेरिकी लोगों के बीच उत्साह और जोश का आलम यह दर्शाने के लिए काफी था कि मोदी उन्हें किस तरह स्वीकार्य हैं और उनसे कितनी उम्मीदें हैं। मेडिसन स्क्वायर में मोदी के पूरे भाषण के दौरान लोग तालियों की गड़गड़ाहट के बीच 'मोदी-मोदी' के नारे लगाते रहे। वहां मौजूद द लोगों की मोदी के प्रति दीवानगी इस कदर थी कि पूरा मैडिसन मोदीमय नजर आ रहा था। न्यूयार्क में हर जगह 'मोदी-मोदी' के नारों के बीच ऐसा लग रहा था कि पूरा मैडिसन स्क्वायर 'मैड' हो गया है। मोदी अप्रवासी भारतीयों के साथ ही अमेरिकी नागरिकों के दिलो-दिमाग पर पूरी तरह छा गए।
मोदी के भाषण के समापन के बाद जब लोग मेडिसन स्क्वायर परिसर से बाहर निकले तो उन्होंने इसे अदभुत, अतुलनीय और अपने आप में परिपूर्ण बताया। कुछ अप्रवासी भारतीय के शब्दों में मोदी सभी सही विषयों को छुआ, सभी सही मुद्दों को उठाया और अमेरिका एवं भारत के संबंध को एक नई उंचाई पर ले आए। कुछ लोगों ने तो यह भ कहा कि मेडिसन स्क्वायर गार्डन के मंच पर होना और इस ऐतिहासिक एवं महत्वपूर्ण समारोह का हिस्सा बनना एक सम्मान की बात थी। मोदी ने यहां आकर भारतीयों का सिर ऊंचा किया है और पूरे देश को गौरवान्वित किया है। वहीं, कई लोगों ने प्रधानमंत्री के भाषण को ‘शानदार’ बताया।
पांच दिवसीय अमेरिकी दौरे पर यहां पहुंचे नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन से सिर्फ प्रवासी भारतीयों का ही नहीं बल्कि लगभग 40 शीर्ष अमेरिकी सांसदों का दिल भी जीत लिया। ये सांसद मोदी के संबोधन से इस कदर प्रभावित हुए कि उन्होंने मोदी के शब्दों को ‘प्रेरणादायी और विहंगम दृष्टिकोण से परिपूर्ण’ करार दिया। अमेरिकी सांसदों की यह टिप्पणी यह दर्शाती है कि नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता सिर्फ अप्रवासी भारतीयों के बीच ही नहीं बल्कि वहां के राजनेता के ऊपर भी छाया हुआ है। मोदी के शब्दों को सुनकर वहां मौजूद कांग्रेस सदस्य उनके साथ एक खास जुड़ाव महसूस करने लगे। इस अवसर पर मौजूद अमेरिका के शीर्ष 40 सांसदों में से एक ने उन्हें एक ‘करिश्माई’ व्यक्ति बताया जबकि कई अन्य को लगा कि देश का कायाकल्प उनके हाथों होना है। न्यूनतम शासन पर उनके विचारों को भी सांसदों ने काफी पसंद किया। टैक्सास से कांग्रेस के एक सदस्य के अनुसार, मोदी ने इस स्थान को एक रॉकस्टार की तरह भीड़ से भर दिया। वहीं, भारतीय मूल के एकमात्र अमेरिकी सांसद एमी बेरा ने मोदी के भाषण को प्रेरणादायी और विहंगम दृष्टिकोण से परिपूर्ण बताया।
इसमें कोई संशय नहीं है कि भारत के किसी भी राजनेता को अमेरिका में इतनी लोकप्रियता हासिल नहीं हुई, जितनी मोदी को मिली। अमेरिका में मोदी का संबोधन और अप्रवासी भारतीयों के बीच उनकी लोकप्रियता से स्वामी विवेकानंद का स्मरण होना स्वाभाविक है। साल 1893 में अमेरिका के शिकागो में आयोजित विश्व धर्म संसद में विवेकानंद ने भाषण दिया था उसकी प्रतिध्वनि आज भी सुनाई देती है। उस समय विवेकानंद के भाषण को पूरी दुनिया ने सराहा था। किसी अन्य भारतीय को अमेरिका में इतनी लोकप्रियता नहीं मिली थी। हालांकि, हम यहां मोदी और स्वामी विवेकानंद की लोकप्रियता की तुलना नहीं कर रहे हैं। आपको याद दिला दें कि मोदी इससे पहले सितंबर, 1993 में अमेरिका गए थे। उस समय आरएसएस प्रचारक के रूप में मोदी और मुरली मनोहर जोशी स्वामी विवेकानंद की 100वीं जन्मजयंती के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल होने शिकागो पहुंचे थे। मोदी वैश्विक भाईचारे के स्वामी विवेकानंद के संदेश का कई मौकों पर स्मरण करते रहे हैं। हाल में भी उन्होंने कहा था कि यदि विवेकानंद के संदेश पर अमल किया जाता तो विश्व को अमेरिका पर आतंकी हमले जैसे कृत्यों का साक्षी नहीं बनना पड़ता।
कार्यक्रम शुरू होने से घंटों पहले से ही मेडिसन स्क्वायर पूरी तरह से मोदीमय हो चुका था। वहां भारतीयों का हुजूम उमड़ पड़ा था। मोदी जब मेडिसन स्क्वायर गार्डन पर सभा को संबोधित करने पहुंचे तो वहां लघु भारत का नजारा दिखाई दिया। भारत माता की जय से भाषण की शुरुआत करते हुए मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि सवा सौ करोड़ लोगों के बल पर भारत 21वीं सदी में दुनिया का नेतृत्व करेगा। यह हमारी सदी हो सकती है। 2020 तक भारत दुनिया को पेशेवर लोगों का निर्यात करेगा। मोदी ने यह संदेश देने की कोशिश अब भारत और भारतीयता को वैश्विक फलक पर देखने और परखने का नजरिया व पैमान बदल चुका है। भारत एक ऐसे देश के तौर पर उभर रहा है, जिसे कमतर आंकना किसी भी देश के लिए बड़ी भूल साबित होगी।
अप्रवासी भारतीयों को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि आपने देश की इज्जत बढ़ाई है और हम आपका सिर नहीं झुकने देंगे। जाहिर तौर पर मोदी के इस कथन से उन्हें गर्व महसूस हुआ होगा। अप्रवासी भारतीयों की जरूरत को ध्यान में रखकर उन्होंने उनके लिए आजीवन वीजा देने का भी ऐलान कर दिया। हजारों लोगों को हिंदी में संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि भारत में लोगों को सरकार से बहुत अपेक्षाएं हैं और हमारी सरकार उनकी उम्मीदों पर खरा उतरेगी। मोदी ने कहा कि भारत की 65 फीसद आबादी युवा है और इससे बड़ी संपदा किसी देश की क्या हो सकती है। उन्होंने सतत विकास के लिए जनभागीदारी का आह्वान किया। विकास को जनांदोलन बनाने का आह्वान भी किया। मोदी ने इस बात को दोहराया कि वे चाय बेचते-बेचते यहां तक पहुंचे हैं। मैं छोटा आदमी हूं। इसलिए छोटे-छोटे काम में मन लगाता हूं। छोटे लोगों के लिए बड़ा काम करना चाहता हूं।
अमेरिका में बसे 20 हजार भारतीयों को संबोधित करने के दौरान दौरान मैडिसन स्क्वायर मोदी-मोदी के नारों से गूंजता रहा। उन्होंने भारतीय समुदाय के लोगों को भरोसा दिलाया कि हम भारत का सिर झुकने नहीं देंगे। केसरिया रंग का नेहरू जैकेट और पीला कुर्ता पहने मोदी ने खचाखच भरे इंडोर स्टेडियम के लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्होंने 360 डिग्री के घूमते मंच से लोगों को संबोधित किया जिसमें अमेरिकी सीनेटर और कांग्रेस सदस्य शामिल थे।
इंडोर स्टेडियम में मौजूद श्रोताओं में पुरुष, महिलाएं और बच्चे शामिल थे जिन्होंने कई बार तालियों की गड़गड़ाहाट से मोदी का स्वागत किया और जय हिंद के नारे लगाये। ये सभी लोग अमेरिकी धरती पर प्रधानमंत्री के संबोधन से काफी उत्साहित महसूस कर रहे थे। मोदी मैडिसन स्क्वायर में भाषण देने वाले पहले विदेशी शासनाध्यक्ष बन गए। वैसे भी 20 हजार की क्षमता वाले इस पार्क को दुनिया के सबसे महंगे आयोजन केंद्र के रूप में जाना जाता है। मोदी ऐसे पहले भारतीय नेता भी बन गए हैं, जिसने ग्लोबल सिटीजन फेस्टिवल में सामाजिक संदेश दिया। मैडिसन स्क्वायर में जुटे अधिकांश पुरुष कोट-टाई के बजाय कुर्ता-पायजामा में आए थे। कई महिलाएं लहंगा, चुन्नी और साड़ियां पहने थीं। अंत में मोदी ने भारत के ‘वसुधव कुटुम्बकम’ के दर्शन का उल्लेख भी किया। वहां मौजूद लोगों के उत्साह और हषर्ध्वनि के बीच मोदी ने यह भी कहा कि 'मैं आपका ऋणी हूं। मैं इस ऋण को चुकाऊंगा। मैं भारत के आपके सपनों को पूरा करूंगा।
मोदी ने अपने भाषण का समापन करते हुए भारतीय-अमेरिकियों को आश्वस्त किया कि वह भारत के उनके सपनों को पूरा करने के लिए कठोर परिश्रम करेंगे। इससे पहले किसी भी भारतीय नेता को अमेरिका में इस तरह का स्वागत नहीं मिला।